बिजली पर बड़ा फैसला: अब नहीं होगा पाॅवर कार्पोरेशन का निजीकरण, आंदोलन खत्म
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कि निर्देश पर कैबिनेट की सब कमेटी के साथ संघर्ष समिति की हुई बैठक में तय हुआ है कि पूर्वाचंल विद्युत वितरण निगम लि. का निजीकरण नहीं किया जायेगा। इसके साथ ही पूरे प्रदेश में आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को भी प्रबंधन वापस लेगा।
लखनऊ। यूपी के पूर्वाचंल विद्युत वितरण निगम लि. के निजीकरण समेत अन्य मुद्दो को लेकर आंदोलन कर रही यूपी विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और यूपी पावर कार्पोरेशन प्रबंधन की वार्ता सफल हो गई है। संघर्ष समिति और कार्पोरेशन प्रबंधन के बीच वार्ता में बिजली निगमों के निजीकरण की प्रक्रिया को तीन महीने तक टाल दिया गया है। इसके साथ ही विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने अपना कार्यबहिष्कार आंदोलन स्थगित कर दिया है।
निगम का निजीकरण नहीं किया जायेगा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कि निर्देश पर कैबिनेट की सब कमेटी के साथ संघर्ष समिति की हुई बैठक में तय हुआ है कि पूर्वाचंल विद्युत वितरण निगम लि. का निजीकरण नहीं किया जायेगा। इसके साथ ही पूरे प्रदेश में आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को भी प्रबंधन वापस लेगा। वार्ता में तय हुआ कि यूपी के किसी भी निगम का निजीकरण फिलहाल नहीं होगा।
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तीन महीने के बाद इसकी फाइनल समीक्षा होगी
निगमों में मौजूदा व्यवस्था के तहत ही सुधार किया जायेगा। जबकि पूर्वाचंल विद्युत वितरण निगम लि. के राजस्व और लाइन हानियों के लिए कार्पोरेशन प्रबंधन व संघर्ष समिति साथ मे रणनीति बनायेंगे और हर महीने इसकी समीक्षा की जायेगी तथा तीन महीने के बाद इसकी फाइनल समीक्षा होगी और निजीकरण के संबंध में अंतिम निर्णय लिया जायेगा। इसके अलावा यह भी तय किया गया कि बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं के उत्पीड़न के मामलों को प्रबंधन और संघर्ष समिति मिल कर सुलझायेंगे।
ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के मौजूदगी में हुई वार्ता
इससे पहले सोमवार को कार्पोरेशन प्रबंधन और संघर्ष समिति के बीच ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के मौजूदगी में हुई वार्ता में भी सहमति बन गई थी लेकिन वार्ता के बाद चेयरमैन पावर कार्पोरेशन ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से पहले विचार करने के लिए समय मांगा था। जिस पर संघर्ष समिति ने अपने आंदोलन को और तेज करने का ऐलान कर दिया था।
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एक सितम्बर से आंदोलन शुरू हुआ था
बता दें कि पूर्वाचंल विद्युत वितरण निगम लि. के निजीकरण की प्रक्रिया को निरस्त करने तथा बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं की अन्य समस्याओं को लेकर उप्र. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने बीती पहली सितम्बर से अपना आंदोलन शुरू किया था। आंदोलन में बिजली विभाग से सभी कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर, अभियंता और संविदा कर्मचारी शामिल हुए।
पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने चेतावनी दी थी
इस आंदोलन से पावर कार्पोरेशन व संघर्ष समिति के बीच काफी तल्खी आ गई थी। पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने चेतावनी दी थी कि विरोध प्रदर्शन करने पर आवश्यक सेवा अधिनियम के तहत 01 साल की जेल, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत 01 साल की जेल जिसे 02 साल और बढ़ाया जा सकता है तथा पैंडेमिक एक्ट के तहत जुर्माना जैसा दंड दिया जाएगा। जबकि संघर्ष समिति ने प्रबंधन पर पलटवार करते हुए कहा था कि विरोध प्रदर्शन के कारण प्रदेश में कहीं भी किसी भी कर्मचारी पर कोई दंडात्मक कार्यवाही की गई तो इसकी तीखी प्रतिक्रिया होगी जिसकी सारी जिम्मेदारी कार्पोरेशन प्रबंधन और चेयरमैन की होगी।
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पांच अक्टूबर को पूरे दिन का कार्य बहिष्कार किया
इसके बाद संघर्ष समिति ने पहले चरण में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत सभी जिलों में पहली सितंबर से हर कार्य दिवस में शाम 4:00 बजे से 5:00 बजे तक विरोध सभाएं कर निजीकरण वापस लेने के लिए प्रदेश सरकार का ध्यानाकर्षण किया। बीती 15 सितंबर से एक घंटे का कार्य बहिष्कार किया गया और पांच अक्टूबर को पूरे दिन का कार्य बहिष्कार किया।