तैयारियां तेज: 22 लाख लोगों पर 177 वेंटिलेटर

कोरोना वायरस के बढ़ते मरीजों की वजह से शहर में भी वेंटिलेटर समेत अन्य उपकरणों की मांग बढ़ रही है। हालांकि अब तक जितने भी मरीज भर्ती है उनके इलाज में...

Update: 2020-04-01 15:55 GMT

नोएडा: कोरोना वायरस के बढ़ते मरीजों की वजह से शहर में भी वेंटिलेटर समेत अन्य उपकरणों की मांग बढ़ रही है। हालांकि अब तक जितने भी मरीज भर्ती है उनके इलाज में वेंटिलेटर की आवश्यकता नहीं है। लेकिन जरूरत पड़ने पर इसकी आपूर्ति करने के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी गई है। बताया गया कि महज 5 प्रतिशत मरीजों में ही वेंटिलेटर की आवश्यकता हो सकती है।

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बता दें कि जिले की आबादी करीब 22 लाख है। यहां दो सरकारी अस्पताल पीएचसी व सीएचसी है। ग्रेटरनोएडा के जिम्स व नोएडा के चाइल्ड पीजीआई में आइसोलेशन वार्ड बनाए गए है। इसके अलावा निजी अस्पताल है। जिनमें पहले से ही अन्य बीमारियों के मरीज भर्ती है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक शहर में कुल 177 वेंटिलेटर है। इनमे से अधिकतर चल रहे हैं। हालांकि इन वेंटिलेटरों पर पहले से गंभीर मरीज है। कोविड-19 के लिए कुछ वेंटिलेटरर्स को रिजर्व में रखा गया है। हालांकि इसकी संख्या कितनी है इसे नहीं बताया गया।

डीएम ने बताया कि यह अच्छी बात है कि शहर में संक्रमित किसी मरीज को वेंटिलेटर की आवश्यकता नहीं है। जरूरत पड़ने पर व्यवस्था की जा चुकी है। उधर, मंगलवार को डा. महेश शर्मा ने सेक्टर-4० में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर गुड विल अस्पताल का निरीक्षण किया। आईएमए के अध्यक्ष डा. एनके शर्मा ने बताया कि इस अस्पताल में आइसोलेशन बार्ड बनाया जाए इस पर विचार किया जा रहा है।

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कोरोना मरीजों के लिए क्यों जरूरी है वेंटिलेटर-

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, कोविड-19 से संक्रमित 8० पर्सेंट मरीज अस्पताल गए बिना ठीक हो जाते हैं, लेकिन छह में से एक मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है और उसे सांस लेने में समस्या होने लगती है। ऐसे मरीजों में वायरस फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। फेफड़ों में पानी भर जाता है, जिससे सांस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है। इसलिए वेंटिलेटर्स की जरूरत पड़ती है। इसके जरिए मरीज के शरीर को समान्य मात्रा में ऑक्सीजन पहुंच जाती है।

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