प्रियंका गांधी अब पुलिस हिरासत में, सोनभद्र हत्याकांड को लेकर बैठीं थी धरने पर
नारायणपुर में धरने पर बैठीं प्रियंका गांधी ने सोनभद्र में पीड़ित परिवारों से मिलने से रोके जाने पर कहा कि वो बस पीड़ित परिजनों से मिलना चाहती हैं लेकिन प्रशासन उन्हें ऐसा करने नहीं दे रहा।
सोनभद्र: सोनभद्र हत्याकांड के पीड़ितों से मिलने पहुंचीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के काफिले को रोकते हुए पुलिस ने प्रियंका को हिरासत में ले लिया है। पहले तो पुलिस ने उनके काफिले को नारायणपुर पुलिस स्टेशन के पास रोक लिया लेकिन अब उन्हें हिरासत में ले लिया गया है। मालूम हो, प्रियंका गांधी यहां 10 लोगों की हत्या के बाद पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए आई थीं।
आपको बता दें कि बनारस होते हुए सोनभद्र जा रही प्रियंका गांधी को मीरजापुर में रोका गया। शान्ति पूर्वक धरने पर बैठी प्रियंका गांधी को पुलिस ने किया गिरफ्तार किया।
प्रियंका गांधी ने कहा कि सोनभद्र जनपद में धारा 144 लगी है, लेकिन मीरजापुर जनपद में मुझे क्यों रोका गया। साथ ही प्रियंका ने कहा मुझे आडर दिखा दे SDM।
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नारायणपुर में धरने पर बैठीं प्रियंका गांधी ने सोनभद्र में पीड़ित परिवारों से मिलने से रोके जाने पर कहा कि वो बस पीड़ित परिजनों से मिलना चाहती हैं लेकिन प्रशासन उन्हें ऐसा करने नहीं दे रहा। प्रियंका ने आगे बताया कि उन्होंने प्रशासन से यहां तक कहा कि उनके साथ सिर्फ चार लोग होने। मगर इसके बाद भी इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
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64 साल पुराना है मामला
गांव वालों के अनुसार, सोनभद्र के उभ्भा गांव की इस जमीन का विवाद 1955 से चल रहा है। यह जमीन रिटायर्ड आईएएस प्रभात कुमार मिश्रा की है। इसमें कुछ जमीन एक ट्रस्ट की भी है। जमीन पर कई साल से गांव की गोड़ जाति के लोगों का कब्जा है। रिटायर्ड आईएएस जब उक्त जमीन को कब्जा नहीं कर सके तो मूर्तिया के प्रधान यज्ञदत्त सिंह भूरिया को भूमि औने-पौने दाम में बेच दी।
हालांकि जमीन पर आदिवासियों का कब्जा बरकरार रहा, लेकिन पटना से आईएएस का एक शख्स जिसका नाम धीरज है, वह हर साल प्रति बीघे लगान भी वसूलने आता था। इसी जमीन पर कब्जा करने की कोशिश में लोगों की हत्या हुई है।
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ट्रकों-ट्रक भरकर हमलावर
बुधवार को प्रधान यज्ञदत्त ट्रैक्टर ट्राली व ट्रकों में भरकर करीब 200 लोगों को लेकर घोरावल थाना इलाके उम्भा गांव पहुंचा। इन लोगों के पास गंड़ासे व अवैध तमंचे थे। प्रधान ट्रैक्टरों से खेत की जबरन जुताई करवाने लगा। यह देख ग्रामीणों ने विरोध किया तो प्रधान के समर्थकों ने उन पर हमला कर दिया।
लोगों के मुताबिक, इस दौरान हमलावरों ने सामने आने वाले ग्रामीणों को गंड़ासे से काट डाला। करीब दो सौ राउंड फायरिंग हुई। फायरिंग में गोली लगने और गंड़ासे से घायल ग्रामीणों की लाशें खेत में चारों तरफ गिरती चली गईं।
लोगों का कहना है कि, ओबरा-आदिवासी बहुल जनपद में सदियों से आदिवासियों के जोत को तमाम नियमों के आधार पर नजरअंदाज किया जाता रहा है। सर्वे होने के बाद अधिकारियों की संवेदनहीनता उन्हें भूमिहीन बनाती रही है। इलाके में रसूखदार लोग इस तरह की काफी जमीनों पर अवैध तरीके से कब्जा किए हुए हैं।
जब हुआ मुआवजे के ऐलान तब हुआ अंतिम संस्कार
मृतकों के परिवार वालों ने सुबह शव लेने से इंकार कर दिया था। सपा समेत कई दलों ने इस कांड के खिलाफ प्रदर्शन भी किया। जिला प्रशासन ने समझा बुझाकर पीड़ित परिवार वालों को अंतिम संस्कार के लिए मनाया।