लखनऊ: देश में कंप्यूटर शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार कई प्रोजेक्ट तो लाती है लेकिन ये प्रोजेक्ट सिर्फ कागज़ों तक ही रह जाते हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी हाईटेक एजुकेशन के लिए प्रदेश के लाखों छात्र-छात्राओं को मुफ़्त में लैपटॉप बांटे और संविदा पर कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति की। लेकिन प्रदेश में 2017 विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सरकार इन कंप्यूटर शिक्षकों से इनकी रोज़ी-रोटी छीनने के चक्कर में है। इसी परेशानी में आज राजधानी के शिक्षा भवन में माध्यमिक कंप्यूटर अनुदेशक एसोसिएशन ने धरना प्रदर्शन किया और जिला विद्यालय निरीक्षक को ज्ञापन दिया।
क्या है मामला :
-लगातार 5 साल तक काम कर रहे 2500 कम्प्यूटर टीचरों की सेवाओं को समाप्त कर दिया गया।
-बाकी 1500 कम्प्यूटर टीचरों की सेवा भी मार्च 2016 में समाप्त होने वाली है।
-7 महीने पहले टीचरों को प्रदेश के शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री से अपनी सेवाओं को नियमित करने और निश्चित मानदेय देने पर सहमति बन गई थी।
-सैद्धांतिक सहमति बनकर आगे की कार्यवाही के लिए वित्त विभाग को गई।
-लेकिन अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं हुई।
क्या हैं मांगे?
-कंप्यूटर टीचरों को राज्य सरकार एक निश्चित मानदेय पर रखे।
-कंप्यूटर टीचरों का पद सृजित कर पूर्ण शिक्षक का दर्जा मिले।
कंप्यूटर टीचरों का क्या कहना है :
एसोसिएशन की जिला अध्यक्ष और कंप्यूटर टीचर प्रीती यादव का कहना है कि कार्यवाही को जल्दी पूरा कराने के लिए कंप्यूटर टीचरों ने मुख्यमंत्री से 14 सितंबर 2015 मुलाकात की थी लेकिन तब से अभी तक सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है। टीचरों की कमी और अनदेखी का ही नतीजा है की यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में लाखों छात्र-छात्राएं कंप्यूटर विषय की पढ़ाई किए बगैर ही परीक्षा में बैठने को मजबूर हैं, और टीचर बेरोजगारी तथा भुखमरी की कगार पर आ गए हैं।
उन्होंने कहा की अगर फ़रवरी तक सरकार ने कार्यवाही पूरी नहीं की तो प्रदेश के सभी कम्प्यूटर टीचर 9 मार्च को विधानसभा का घेराव करेंगे और कार्य पूरा होने तक अनिश्चितकालीन धरना जारी रखेंगें ।