UP Election 2022: आजमगढ़ के गोपालपुर विधानसभा में भाजपा और बसपा में कड़ी टक्कर

पिछले पांच चुनावों के आंकड़े पर नजर डालें तो वर्ष 1996 के चुनाव में सपा के वसीम अहमद यहां से 42189 मत पाकर चुनाव जीते थे। जबकि दूसरे स्थान पर रहे बसपा के नसीम अहमद आजमी को 37715 मत मिले थे।

Published By :  Divyanshu Rao
Update: 2022-02-08 16:43 GMT
बीजेपी और बसपा के चुनाव चिन्ह की तस्वीर 

UP Election 2022:  जिले की गोपालपुर सीट पर भाजपा व बसपा के बीच सीधी टक्कर है। यहां पर विरोध के बावजूद सपा ने अपने मौजूदा विधायक नफीस अहमद को उम्मीदवारी देकर खुद को चुनाव से बाहर कर लिया है। यह कहना गलत नहीं होगा कि यदि सपा यहां पर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री वसीम अहमद की पत्नी शमा वसीम को उम्मीदवारी देती तो स्थितियां कुछ और होती और निश्चित तौर पर लड़ाई त्रिकोणीय हो जाती।

पिछले पांच चुनावों के आंकड़े पर नजर डालें तो वर्ष 1996 के चुनाव में सपा के वसीम अहमद यहां से 42189 मत पाकर चुनाव जीते थे। जबकि दूसरे स्थान पर रहे बसपा के नसीम अहमद आजमी को 37715 मत मिले थे। इसके बाद हुए 2002 के चुनाव में सपा के वसीम अहमद 38109 मत पाकर फिर चुनाव जीते। जबकि दूसरे स्थान पर रहे बसपा के रेयाज खान को 32356 मत मिले। इसके बाद हुए 2007 के चुनाव में बसपा के श्यामनरायन यादव 44729 मत पाकर जीत गये।

जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वन्दी रहे सपा के वसीम अहमद 43265 मत पाये। इसके बाद 2012 के चुनाव में सपा के वसीम अहमद 77697 मत पाकर चुनाव जीते। जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वन्दी रहे बसपा के कमला प्रसाद यादव को 47563 मत मिले। वर्ष 2017 के चुनाव में सपा के नफीस अहमद ने बसपा के कमला प्रसाद यादव को हराया। मौजूदा स्थितियों को देखें तो आजमगढ़ जिले के गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र में पहली बार भाजपा सबसे मजबूत स्थिति में दिखलायी पड़ रही है।

सब मिलाकर यह कहा जा सकता है कि यहां पर भाजपा ने अपना चुनाव खड़ा कर लिया है। यहां पर भाजपा के मुकाबले कुछ मजबूत स्थिति में दिख रही है तो वह बसपा है। सपा व बसपा भी खुद को लड़ाई में लाने के लिए संघर्ष तो कर रही है मगर उनको कुछ खास सफलता नहीं मिल पा रही है। सपा को तो यहां पर अपनों के ही विरोध का सामना करना पड़ रहा है। गोपालपुर में सभी प्रमुख राजनैतिक दलों की ओर से अपने प्रत्याशी घोषित किये जा चुके हैं और यह प्रत्याशी पूरे जोश-खरोश के साथ मैदान में डट गये हैं।

इसके साथ ही सपा प्रत्याशी का पुरजोर विरोध भी चल रहा है। अब यह विरोध चुनाव पर कितना प्रभाव डालेगा, यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। सपा की ओर से यहां पर नफीस अहमद को उम्मीदवारी दी गयी है। वह यहां के सीटिंग विधायक भी हैं। कुछ माह पहले सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने यहां के पूर्व विधायक व प्रदेश सरकार के मंत्री रहे स्व0 वसीम अहमद की पत्नी शमा वसीम को पार्टी में शामिल करते हुए यह आश्वासन दिया था कि उन्हें इस बार उम्मीदवारी दी जायेगी।

यूपी विधानसभा चुनाव की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो:न्यूज़ट्रैक)

यहां के सीटिंग विधायक नफीस अहमद के विरोध के कारण सपा सुप्रीमों ने यह निर्णय लिया था। इसके विपरीत शमा वसीम को उम्मीदवारी नहीं दी गयी। इससे कार्यकर्ता और भी नाराज हो गये। टिकट न मिलने पर शमा वसीम का रोते हुए भावुक वीडियो भी खूब वायरल हुआ। उन्होंने सपा सुप्रीमों को काफी बुरा-भला कहा। साथ ही खुद के निर्दल या किसी अन्य दल से चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी। ऐसे में कांग्रेस के लोग उनको टिकट देने के लिए उनसे संपर्क करने लगे।

वह भी टिकट के लिए बसपा की लाइन में लगी हुई थी। यह अलग बात है कि बाद में शमा वसीम ने यहां से चुनाव लडऩे का इरादा त्याग दिया। इसके बावजूद भी नफीस से लोगों की नाराजगी पूरी तरह से दूर नहीं हुई है। बसपा ने यहां से बिलरियागंज के ब्लाक प्रमुख रमेश यादव को उम्मीदवारी दी है। दलित वोटों के साथ नफीस से नाराज लोग भी कुछ संख्या में उनके साथ जुड़ रहे हैं। साथ ही यादव विरादरी का भी कुछ वोट उनको मिलने का आसार दिखलायी पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में वह सपा को कमजोर करने में वह जरूर कामयाब हो जा रहे हैं। साथ ही बसपा यहां पर भाजपा को टक्कर देती दिख रही है।

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