Gorakhpur hatyakand: प्रियंका गांधी का सवाल, एफआईआर न करने का दबाव बनाने वाले अफसरों को क्यों बचा रही यूपी सरकार?

कांग्रेस महासचिव ने गोरखपुर में व्यापारी हत्याकांड में आरोपी पुलिस कर्मियों को बचाने वाले अफसरों की कार्रवाई की मांग

Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update:2021-10-01 20:33 IST

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (फोटो-न्यूजट्रैक)

Gorakhpur hatyakand: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) द्वारा कानपुर के रियल इस्टेट कारोबारी मनीष गुप्ता (real estate karobari manish gupta) की पत्नी मीनाक्षी को सरकारी नौकरी और आर्थिक मदद देने के बाद राजनीतिक दल जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की मांग करने लगे हैं। कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी और महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि समझ में नहीं आ रहा कि प्रदेश सरकार एफआईआर न करने का दबाव बनाने वाले अफसरों को क्यो बचा रही है।

प्रियंका ने शुक्रवार की दोपहर को ट्वीट कर लिखा है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रदेश की किस तरह की छवि बना रहे हैं। एक निर्दोष कारोबारी की निर्मम हत्या के बाद जिलास्तर के अधिकारी एफआईआर न करने का दबाव बनाते रहे व प्रदेशस्तर के बड़े अधिकारी ने आरोपी पुलिसकर्मियों को बचाने वाली बयानबाजी की। ऐसे अधिकारियों पर तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए।

कोर्ट में सरेंडर की कोशिश में है जेएन सिंह

प्रापर्टी डीलर मनीष गुप्ता हत्याकांड के आरोपी इंस्पेक्टर जेएन सिंह और उसके साथी कोर्ट में सरेंडर की कोशिश में हैं। सरेंडर को लेकर पुलिस के आला अधिकारियों की तरफ से भी मदद मिल रही है। इतना ही नहीं, एनकाउंटर के लिए कुख्यात जेएन सिंह को एनकाउंटर का खौफ सताने लगा है। वहीं सोशल मीडिया पर इनाम घोषित करने से लेकर एनकाउंटर तक की मांग होनी शुरू हो गई है। गोरखपुर और आसपास के जिलों की कचहरियों में अधिवक्ताओं की नाराजगी देख, आरोपी सरेंडर करने की भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। जबकि पुलिस विभाग के अधिकारी आरोपितों की गिरफ्तारी पर पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं।

अभी भी हादसा साबित करने में जुटे हैं अधिकारी

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से लेकर होटल के कमरे की सीसीटीवी फुटेज के बाद भी पुलिस के आला अधिकारी जांच के बाद ही गिरफ्तारी की बात कह रहे हैं। डीजीपी से लेकर आईजी तक हादसे के घटनाक्रम को ही आगे बढ़ा रहे हैं। बावजूद इसके लगातार बढ़ते दबाव को देखते हुए आरोपितों की रातों की नींद उड़ी हुई है। वरिष्ठ अघिवक्ता मधुसूदन त्रिपाठी का कहना है कि पूरे प्रकरण में प्रशासन के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। जिलाधिकारी, एसएसपी से लेकर सभी जिम्मेदार अधिकारियों को हटाकर ही निष्पक्ष जांच संभव हो सकती है।

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