Jaunpur News: जेल प्रशासन की लापरवाहियों के चलते एक और कैदी की मौत, अब दी जा रही ये दलीलें

Jaunpur News: जिला कारागार में निरूद्ध विचाराधीन बन्दी मुकेश की मौत चिकित्सीय अभाव के चलते हो गई है।

Report :  Kapil Dev Maurya
Published By :  Shreya
Update: 2021-08-12 14:58 GMT
मृतक (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Jaunpur News: जिला कारागार में निरूद्ध विचाराधीन बन्दी मुकेश की मौत चिकित्सीय अभाव के चलते होने की खबर है। हालांकि जेल के अधिकारी जेल के अन्दर उपचार की बात कर रहे हैं। लेकिन सच तो उच्च स्तरीय जांच से ही सामने आ सकेगा। अब यहां पर सवाल यह है कि चूंकि बन्दी अनुसूचित जनजाति का गरीब बताया गया है तो उसकी आवाज कौन बनेगा?

यहां बता दें कि थाना पवांरा की पुलिस ने अपने थाना क्षेत्र के ग्राम चेतरिया निवासी मुकेश वनवासी को 7 जून 2018 को एक हत्या के आरोप में जेल में कैद करा दिया। तभी वह जेल में कैद था उसके पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी, जमानत करा कर जेल के बाहर हो सके। लेकिन आज मरने के बाद उसकी लाश जेल से बाहर जरूर आयी है। इसे यदि कहा जाये कि जिन्दा जेल गया और मुर्दा बन कर बाहर निकल सका तो अतिशयोक्ति नहीं होगा।

जेल अधीक्षक एस के पान्डेय के अनुसार, पिछले तीन दिनों मुकेश गम्भीर रूप से बीमार चल रहा था। उसे हार्नियां और हाईड्रोसील की बीमारी थी। जेल के अन्दर चिकित्सक द्वारा उसका उपचार किया जा रहा था। बीती रात लगभग 09 बजे के आसपास उसकी तबीयत अत्याधिक खराब हुई तब उसे जिला अस्पताल भेजा गया जहां पर चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। यहां एक बड़ा सवाल यह है कि जब तीन दिन पहले से बन्दी बीमार था तो बेहतर उपचार के लिए जिला अस्पताल क्यों नहीं भेजा गया। क्या जेल प्रशासन मर्जे को गम्भीर होने का इंतजार कर रहा था।

जिला कारागार (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

दी जा रही ये दलीलें

जेल अधीक्षक अब दलील यह दे रहे हैं कि वह इतना सीरियस नहीं था कि अस्पताल भेज दिया जाता। जब अधिक बीमार हुआ तो अस्पताल भेजा गया तब तक देर हो चुकी थी। मृतक बन्दी के परिवार को बुलाकर लाश को अन्तिम संस्कार के लिए सुपुर्द कर दिया गया है। यहां एक सवाल और है क्या प्रशासनिक स्तर पर इस बन्दी के मौत की जांच करायी जायेगी। इस गरीब की आवाज कोई समाज सेवी बन सकेगा ?

बतादे इसके पहले भी जेल प्रशासन की लापरवाहियों के चलते जेल में एक बन्दी की मौत पर जेल के कैदियों और बन्दियों ने जमकर बवाला किया लगभग 08 घन्टे तक जेल को अपने कब्जे में ले रखा था। उस समय जिला सहित मंडल स्तर तक के अधिकारी हांफते नजर आये और बाद में जेल में बन्दियो के खान पान स्वास्थ्य आदि पर विशेष ध्यान देने की बात कही गयी थी। लेकिन उसी तरह की लापरवाही फिर नजर आयी और एक बन्दी की मौत हो गयी है। 

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