UP Election 2022: घोसी सीट पर कड़े मुकाबले में फंसे दारा सिंह चौहान, बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर बढ़ाया संकट

UP Election 2022: बसपा मुखिया मायावती ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर सपा के टिकट पर उतरे दारा सिंह के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shreya
Update:2022-02-21 13:20 IST

सपा प्रमुख अखिलेश यादव संग दारा सिंह चौहान (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट (Ghosi Vidhan Sabha Seat) भी इस बार काफी हॉट मानी जा रही है क्योंकि इस सीट पर किस्मत आजमाने के लिए योगी सरकार के मंत्री (Yogi Government Minister) रहे दारा सिंह चौहान (Dara Singh Chauhan) चुनाव मैदान में उतरे हैं। भाजपा की इस सीट पर मजबूत पकड़ मानी जाती है और पार्टी ने 2017 के चुनाव के बाद 2019 के उपचुनाव में भी इस सीट पर जीत हासिल की थी।

पार्टी की ओर से इस इस बार भी अपने मौजूदा विधायक विजय राजभर (Vijay Rajbhar) को चुनाव मैदान में उतार कर दारा सिंह चौहान को घेरने का प्रयास किया गया है। बसपा मुखिया मायावती (Mayawati) ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर सपा के टिकट पर उतरे दारा सिंह के वोट बैंक (Dara Singh Chauhan Vote Bank) में सेंध लगाने की कोशिश की है। बसपा ने पूर्व सपा नेता वसीम इकबाल (Waseem Iqbal) को उतारकर दारा सिंह का संकट और बढ़ा दिया है। कांग्रेस और आप प्रत्याशी भी मुकाबले को बहुकोणीय बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

2017 में मिली थी फागू चौहान को जीत

मऊ जिले की 4 विधानसभा सीटों मऊ, मधुबन, घोसी और मुहम्मदाबाद गोहना में 7 मार्च को आखिरी चरण में मतदान (Mau Assembly Seats Voting Dates) होगा। घोसी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 4 विधानसभा क्षेत्रों में घोसी विधानसभा क्षेत्र (Ghosi Assembly Seat) भी शामिल है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा यहां कमल खिलाने में कामयाब हुई थी।

पार्टी ने फागू चौहान (Phagu Chauhan) को चुनाव मैदान में उतारा था और उन्होंने मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी (Abbas Ansari) को हराकर इस सीट को भाजपा की झोली में डाल दिया था। फागू चौहान पूर्व में भी कई बार इस सीट पर चुनाव जीत चुके हैं। बाद में बिहार का राज्यपाल बनाए जाने पर उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था। 

(फोटो- ट्विटर) 

उपचुनाव में भी खिला था कमल

2019 में घोसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराया गया था और इस उपचुनाव में भाजपा ने विजय राजभर को चुनाव मैदान में उतारा था। इस उपचुनाव में भाजपा और सपा प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था। भाजपा प्रत्याशी विजय राजभर 68,371 मत पाकर इस सीट को जीतने में कामयाब हुए थे। सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह को 66,598 मत मिले थे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

बसपा प्रत्याशी ने भी यहां तक का दिखाई थी और 50,000 से ज्यादा मत पाने में कामयाब हुआ था। इस तरह 2019 के उपचुनाव में इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला था। इस बार के विधानसभा चुनाव में भी मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार दिख रहे हैं।

घोसी का जातीय समीकरण

घोसी विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति और पिछड़ी जाति के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या करीब 56,000 से ज्यादा है। राजभर और चौहान मतदाताओं की भी यहां प्रमुख भूमिका होती है। राजभर मतदाताओं की संख्या करीब 52 हजार और चौहान मतदाताओं की संख्या करीब 46 हजार है। मुस्लिम मतदाता भी चुनाव क्षेत्र में बड़ी ताकत रखते हैं और उनकी संख्या करीब 50,000 है। क्षेत्र में यादव, मल्लाह, ब्राह्मण, राजपूत और भूमिहार मतदाता भी अच्छी खासी संख्या में है। सभी दलों के प्रत्याशी यहां जातीय समीकरण साधने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

आसान नहीं है दारा सिंह की राह

मौजूदा विधानसभा चुनाव में सपा ने पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान को चुनाव मैदान में उतारा है। दारा सिंह ने चुनाव से पहले योगी सरकार पर पिछड़ों और दलितों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था। अब वे सपा के टिकट पर किस्मत आजमाने के लिए मैदान में उतरे हैं। भाजपा ने 2019 के उपचुनाव में जीत हासिल करने वाले विजय राजभर पर ही एक बार फिर भरोसा जताया है। बसपा ने वसीम इकबाल को चुनाव मैदान में उतारा है। वसीम पहले सपा में ही रहे हैं मगर चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया है और चुनावी अखाड़े में कूद पड़े हैं। कांग्रेस ने यहां पर महिला चेहरे पर भरोसा करते हुए प्रियंका यादव को टिकट दिया है।

बसपा की ओर से मुस्लिम उम्मीदवार उतारे जाने के बाद सपा के मुस्लिम वोट बैंक (SP Muslim Vote Bank) में सेंधमारी की आशंका प्रबल हो गई है। पहले भी चुनाव क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला होता रहा है। इस बार भी सपा,भाजपा और बसपा तीनों दलों के उम्मीदवार पूरी ताकत दिखाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। ऐसे में दारा सिंह चौहान के लिए यहां से जीत का सफर आसान नहीं माना जा रहा है। 

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