UP Election 2022: मुख्तार अंसारी इस बार नहीं लड़ेंगे चुनाव, मऊ सदर सीट से बेटे अब्बास को मैदान में उतारा
UP Election 2022: सुभासपा के टिकट पर मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास चुनावी अखाड़े में कूद पड़े हैं। उन्होंने इस सीट से नामांकन भी दाखिल कर दिया।
UP Election 2022: बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) इस बार मऊ सदर सीट से चुनाव नहीं लड़ेंगे। मुख्तार अंसारी ने अपनी राजनीतिक विरासत बेटे अब्बास अंसारी (Abbas Ansari) को सौंप दी है। सुभासपा (SBSP) के टिकट पर मुख्तार के बेटे अब्बास चुनावी अखाड़े में कूद पड़े हैं। सोमवार को उन्होंने इस सीट से नामांकन (Abbas Ansari Filed Nomination) भी दाखिल कर दिया। पहले मुख्तार के खुद ही इस सीट से चुनाव लड़ने की चर्चाएं थीं मगर अब यह साफ हो गया है कि उनकी जगह उनके बेटे बेटे अब्बास अंसारी ही चुनाव मैदान में उतरेंगे।
मऊ सीट (Mau Assembly Seat) पर लंबे समय से मुख्तार का दबदबा था और वे करीब 25 साल से इस सीट से लगातार चुनाव जीत रहे थे। उन्होंने इस सीट पर पहला चुनाव 1996 में जीता था। इस तरह लंबे समय बाद यह पहला मौका होगा जब मुख्तार चुनावी अखाड़े में नहीं दिखेंगे। हालांकि अदालत ने नामांकन प्रक्रिया (Nomination Process) की औपचारिकताओं को पूरा कराने की अनुमति दे दी थी मगर मुख्तार ने अपनी राजनीतिक विरासत बेटे को सौंपने का फैसला किया है।
अदालत ने दे दी थी अनुमति
पिछले हफ्ते मुख्तार के अधिवक्ता दरोगा सिंह ने अदालत से नामांकन की औपचारिकताएं पूरी कराने की अनुमति देने की मांग की थी। अदालत की ओर से मुख्तार के अधिवक्ता और अन्य लोगों को जेल में जाकर औपचारिकताएं पूरी कराने की अनुमति भी मिल गई थी। अधिवक्ताओं ने सारी प्रक्रियाएं पूरी भी कराई थीं। इसके बाद माना जा रहा था कि मुख्तार इस बार भी चुनावी अखाड़े में कूदेंगे मगर आखिरकार मुख्तार ने चुनाव न लड़ने का फैसला किया है।
मुख्तार के अधिवक्ता दरोगा सिंह का कहना है कि मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी ने मऊ सीट से नामांकन दाखिल कर दिया है। मुख्तार ने अपनी राजनीतिक विरासत पूरी तरह अपने बेटे को सौंप दी है। अब्बास ही चुनावी अखाड़े में मुख्तार की विरासत संभालेंगे।
फागू चौहान ने अब्बास को हराया था
अब्बास अंसारी ने पिछला चुनाव घोसी सीट से लड़ा था। पिछले चुनाव में मुख्तार मऊ सदर सीट से जीते थे जबकि घोसी में उनके बेटे अब्बास को हार का सामना करना पड़ा था। मौजूदा समय में बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने अब्बास को हराया था। फागू चौहान को 88,298 मत हासिल हुए थे जबकि अब्बास 81,295 वोट हासिल करके दूसरे नंबर पर रहे थे। अब्बास ने पिछला चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा था मगर इस बार वे सुभासपा के टिकट पर मऊ सदर सीट से प्रत्याशी होंगे।
मऊ सीट पर लंबे समय से कब्जा
मऊ सदर विधानसभा सीट पर मुख्तार अंसारी की मजबूत पकड़ मानी जाती है और वे करीब 25 साल से लगातार इस सीट से विधायक है। मुख्तार ने बसपा के टिकट पर 1996 में पहला चुनाव इस सीट पर जीता था। 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। 2012 में वे कौमी एकता दल से चुनाव लड़कर विधानसभा में पहुंचे थे।
2017 के चुनाव में बसपा ने उन्हें फिर चुनाव मैदान में उतारा था और मुख्तार इस चुनाव में भी जीतने में कामयाब रहे थे। मुस्लिम मतदाताओं के निर्णायक भूमिका में होने के बावजूद समाजवादी पार्टी इस सीट पर कभी नहीं जीत पाई है। 1991 में राम लहर के बावजूद भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी को इस सीट पर हार मिली थी। उन्हें सीपीआई के इम्तियाज अहमद ने मात्र 133 मतों से हराया था। नकवी ने 1993 में भी सीट से चुनाव लड़ा था मगर बसपा के नसीम ने उन्हें 10 हजार से अधिक मतों से पराजित कर दिया था।
पिछले चुनाव में सुभासपा को हराया
पिछले विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे और उन्हें 96,793 मत हासिल हुए थे। उन्होंने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के महेंद्र राजभर को 8698 मतों से शिकस्त दी थी। राजभर को 88095 मत मिले थे जबकि समाजवादी पार्टी के अल्ताफ अंसारी 72,016 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे। मजे की बात यह है कि पिछले चुनाव में मुख्तार ने सुभासपा के उम्मीदवार को ही हराया था और इस बार मुख्तार के बेटे अब्बास को सुभासपा ने ही टिकट दिया है।
मऊ सदर सीट का जातीय समीकरण
मऊ सदर सीट का जातीय समीकरण मुख्तार को चुनाव जिताने में काफी मददगार साबित होता रहा। इस सीट पर करीब 1.70 लाख मुस्लिम मतदाता है। दलित मतदाताओं की संख्या करीब 92,000 है जबकि यादव व राजभर मतदाता 45-45 हजार हैं।
क्षत्रिय और ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या क्रमशः करीब 18000 और 6000 है। सुभासपा के टिकट पर उतरने से मुख्तार के बेटे को इस बार फिर मुस्लिम और राजभर मतदाताओं का समर्थन पाने में कामयाबी मिल सकती है।
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