Gandhi Jayanti Special: मोहन से महात्मा तक का खास म्यूजियम, प्रयागराज के अनिल रस्तोगी ने पेश की मिसाल
Gandhi Jayanti Special: इस म्यूज़ियम में आने के बाद लोगों को बापू के जीवन, उनके विचारों और उनके संदेशों को और करीब व गहराई से समझने का मौक़ा मिलता है।
Gandhi Jayanti Special: अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आज 152वीं जयंती है। (Mahatma Gandhi 152 birth Anniversary) पूरे देश में लोग अपने अपने तरीके से महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दे रहे हैं, साथ ही साथ उनको याद भी कर रहे हैं। इसी कड़ी में संगम शहर प्रयागराज (Prayagraj) के रहने वाले अनिल रस्तोगी (Anil Rastogi) ने महात्मा गांधी की कई यादों को नायाब तरीके से सजा करके रखा है। अनिल रस्तोगी महात्मा गांधी से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपने घर को ही म्यूजियम (Musume) बना लिया, जिसमें उनके द्वारा 52 सालों से लगातार जमा की हुई गांधी जी से जुड़ी हर एक चीज को दर्शाया गया है। लोग इस अनूठे म्यूजियम को देखने के लिए भी आते हैं और मोहन से महात्मा तक के सफर की जमकर सराहना भी करते हैं।
अनिल रस्तोगी की पत्नी का कहना है कि जब वह शादी करके आई थीं तब से लेकर अब तक महात्मा गांधी के प्रति इस प्रेम को देख कर वो काफी खुश हैं और अब जब लोग उनके घर में इस म्यूजियम को देखने के लिए आते हैं तो उनको गर्व महसूस होता है। इस अनूठे म्यूज़ियम में आने के बाद लोगों को बापू के जीवन, उनके विचारों और उनके संदेशों को और करीब व गहराई से समझने का मौक़ा मिलता है।
मोहन से महात्मा और राष्ट्रपिता तक का सफर
इस म्यूज़ियम में कई तस्वीरों, लेटर्स और अखबारों की कटिंग्स के ज़रिये भी बापू के "मोहन से महात्मा और राष्ट्रपिता " बनने के सफ़र को दिखाया गया है। गांधी अब सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि समूची दुनिया के लिए एक विचार और आन्दोलन बन चुका है, ऐसे में अनिल रस्तोगी की कोशिशों से बढ़कर राष्ट्रपिता के प्रति शायद ही कोई दूसरी श्रद्धांजलि हो सकती हो। महात्मा गांधी भारत में ही नहीं, बल्कि समूची दुनिया में किस कदर लोकप्रिय हैं इसकी बानगी देखनी हो तो आपको प्रयागराज आना होगा।
अनिल रस्तोगी ने बापू का अनूठा म्यूज़ियम तैयार किया
प्रयागराज के जॉर्ज टाउन क्षेत्र में रहने वाले अनिल रस्तोगी ने बापू का ऐसा अनूठा म्यूज़ियम तैयार किया है जो दुनिया में किसी दूसरी जगह शायद ही देखने को मिले। दुनिया के 125 देशों ने अब तक बापू पर जो भी डाक टिकट, करेंसी और पोस्टकार्ड जारी किये हैं, इस म्यूज़ियम में वह सब के सब मौजूद हैं। इसके अलावा दुनिया भर में बापू पर अब तक जारी लगभग हर एक ग्रीटिंग्स, सिक्के, सोविनियर, पोस्टल स्टेशनरी, फर्स्ट डे कवर, मिनिएचर शीट, टोकंस, स्पेशल कवर्स और फोन कार्ड्स भी मौजूद हैं। म्यूज़ियम में " मोहन से महात्मा तक " के इस अनूठे कलेक्शन को इकठ्ठा करने में पचास से ज्यादा सालों का वक्त लगा है। बालक मोहन या कहें कि बैरिस्टर मोहन दास करमचंद गांधी या कहें कि ये है हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी। प्रयागराज के अनिल रस्तोगी के म्यूज़ियम में बापू के जीवन के हर वह रंग देखने को मिलेंगे, जिन्हें दुनिया के 125 देशों ने करीब साढ़े सैंतीस सौ डाक टिकटों में उतारा है।
इन डाक टिकटों में करीब छब्बीस सौ भारत में जारी किये गए हैं जबकि साढ़े ग्यारह सौ विदेशों में म्यूज़ियम में " मोहन से महात्मा तक " के अनूठे कलेक्शंस में सिर्फ डाक टिकट ही नहीं बल्कि बापू पर अब तक दुनिया भर से जारी लगभग हर एक करेंसी, सिक्के, पोस्टकार्ड, पोस्टल स्टेशनरी, ग्रीटिंग्स, सोविनियर और स्पेशल कवर्स भी मौजूद हैं। इतना ही नहीं दुनिया भर से जारी मिनिएचर शीट्स, फर्स्ट डे कवर्स, टोकंस, फोन कार्ड्स वगैरह भी अनिल रस्तोगी के इस अनूठे म्यूज़ियम की शोभा बढ़ा रहे हैं। बापू पर ऐसा अनूठा कलेक्शन दुनिया में शायद ही किसी दूसरी जगह देखने को मिले। इनमें कई डाक टिकट, करेंसी व पोस्टल स्टेशनरी तो ऐसी हैं जो अब आसानी से दूसरी जगह देखने को नहीं मिलते।
म्यूज़ियम के लिए कलेक्शन की शुरुआत 1969 से की
अनिल रस्तोगी ने इस म्यूज़ियम के लिए कलेक्शन की शुरुआत करीब पचास साल पहले 1969 में बापू के जन्मशती वर्ष के दौरान की थी। इनमे से कई डाक टिकटों और करेंसी के लिए उन्हें काफी परेशान होना पडा। अनिल रस्तोगी के मुताबिक़ नई पीढी को बापू के अहिंसा के सन्देश और उनकी गांधीगिरी से रूबरू कराने के लिए ही उन्होंने यह म्यूज़ियम तैयार किया है। म्यूज़ियम के कलेक्शंस को देखने के बाद पता चलता है कि दुनिया के दर्जनों उन देशों ने भी बापू पर डाक टिकट व सिक्के जारी किये हैं जहां उन्होंने कभी कदम भी नहीं रखा।