Prayagraj News: संगम की रेती पर कल्पवास की हुई शुरुआत, जाने क्या है महत्व और संगम तट पर ही क्यों होता है कल्पवास

Prayagraj News : देश विदेश से कल्पवासी पौष पूर्णिमा स्नान में आते हैं और माघी पूर्णिमा स्नान तक संगम की रेती पर रहते हैं।

Report :  Syed Raza
Published By :  Ragini Sinha
Update:2022-01-18 12:37 IST

संगम की रेती पर कल्पवास की हुई शुरुआत 

Prayagraj News : पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ संगम की रेती पर कल्पवास की भी शुरुआत हो गई है। इस बार लाखो की तादाद में श्रद्धालु एक महीने तक संगम की रेती पर कल्पवास कर रहे हैं। देश विदेश से कल्पवासी पौष पूर्णिमा स्नान में आते हैं और माघी पूर्णिमा स्नान तक संगम की रेती पर रहते हैं। 

कल्पवासी कल्पवास करते हैं

पूरे माघ मेला क्षेत्र में कल्पवासी कल्पवास करते हैं और देश के कोने कोने से आकर भक्ति भावना में लीन होते हैं।दिनभर धार्मिक भजन और गीत गाते है, तुलसी पौधे की पूजा की जाती है और दो समय गंगा में स्नान और एक समय सादा भोजन ग्रहण करते हैं। तीर्थो का राजा प्रयागराज को कहा गया है। इसलिए कल्पवास का महत्व यहां और बढ़ जाता है।


आपको बता दे भारतीय आश्रम परम्परा में गृहस्थ आश्रम को सबसे श्रेष्ठ माना गया है जिसमे साल के ग्यारह महीने घर में रहकर और एक महीने मोह-माया से दूर रहकर पवित्र नदियों के संगम के किनारे वास करके जप तप और साधना से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। मोक्ष की इसी लालसा को लेकर लाखों श्रद्धालु माघ मेले में धर्म की नगरी तीर्थराज प्रयाग में गंगा-यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी पर एक महीने तक वास करते हैं जिसे कल्पवास कहा जाता है। संगम तट पर एक माह तक चलने वाले कल्पवास की शुरुवात हो गई है।


संगम में स्नान , त्याग और संयम का जीवन जीते हुए कल्पवासी पूरे समय भगवान् के नाम का सत्संग करते है। इस अनूठी दुनिया में धर्म-आध्यात्म, आस्था- समर्पण और ज्ञान व संस्कृति के तमाम रंग देखने को मिलते हैं। मान्यता है कि 33 करोड़ देवी देवता एक महीने तक संगम की रेती में विराजमान रहते है। कल्पवास करने आये श्रद्धालु दिन में दो बार गंगा स्नान करते है एक बार खाना खाते है, और दिन भर भजन कीर्तन करते है।


इसी कड़ी में चित्रकूट से आए मिश्रा परिवार भी कल्पवास कर रहा हैं जो बीते 8 सालों से संगम रेती पर हर साल कल्पवास करने आ रहे हैं। उनका कहना है कि कल्पवास में वह अपने परिवार और देश की सुख शांति के लिए प्रार्थना करते हैं और इस बार कोरोना महामारी जल्द से जल्द दूर हो इसके लिए भी वह कामना कर रहे हैं। 

 क्या कहना है ग्रामीण का

प्रदेश में आम जनता के हित वाली सरकार बने और सभी कष्ट दूर करने वाली सरकार बने इसकी भी कल्पवासी कामना कर रहे हैं। उधर दुबे परिवार की अन्नू दूबे का कहना है कि वह भी पिछले कई सालों से कल्पवास करती हुई आ रही है, और जब से उन्होंने कल्पवास करना शुरू किया है तब से उनके घर में सुख शांति बनी रहती है वह भी कोरोना महामारी जल्द से जल्द दूर हो इसके लिए भी भगवान से प्रार्थना कर रही हैं।

इस बार संगम की रेती पर बच्चे भी अपने बड़े बुजुर्गों के साथ कल्पवास करते दिख रहे हैं ।चित्रकूट से आए 9 साल के स्वस्तिक मिश्रा कल्पवास के महत्व को समझ रहे हैं और का कहना है कि वह अपने नाना नानी के साथ कल्पवास करने आए हैं क्योंकि अभी स्कूल की छुट्टी चल रही है यहां आकर के बहुत अच्छा लग रहा है और दिन भर धार्मिक आयोजन में ही समय बीत जाता है।

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