Prayagraj News: कमिश्नर ने किया प्रभावित क्षेत्रों का जायजा, अधिकारियों को दिए कड़े निर्देश
Prayagraj News: आज प्रयागराज के कमिश्नर संजय गोयल मेला क्षेत्र पहुंचे और प्रभावित हुए शिविरों का जायजा लिया ।
Prayagraj News: संगम की रेत पर लगे माघ मेले में फैली अव्यवस्थाओं को लेकर श्रद्धालुओं और कल्पवासियों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है। बीते 5 दिनों से गंगा नदी में बड़े जलस्तर की वजह से 150 से अधिक शिविर प्रभावित हुए है और लगभग 300 से अधिक तंबुओं में पानी घुस गया है। इसी क्रम में आज प्रयागराज के कमिश्नर संजय गोयल मेला क्षेत्र पहुंचे और प्रभावित हुए शिविरों का जायजा लिया ।
संजय गोयल ने मौके पर मौजूद अधिकारियों को कड़े निर्देश देते हुए कहा है कि जल्द से जल्द स्थिति को सामान्य किया जाए। उधर कल्पवासियों की बात करें, तो प्रशासन के लापरवाह रवैया से काफी नाराज हैं। कौशांबी के रहने वाले विश्वनाथ पांडे संगम की रेती पर कल्पवास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बीते 5 दिनों से उनको मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।
संगम तट पर जप-तप करने आए साधु-संतों और कल्पवासियों को गंगा के पानी ने ही परेशान कर दिया है। गंगा का जल स्तर बढ़ने और कटान से सेक्टर दो और तीन में दर्जनों शिविरों में पानी भर गया है। लगातार बढ़ते जलस्तर की वजह से प्रभावित लोग अपने सामान को दूसरे के शिविरों में पहुंचाने के लिए दिनभर मशक्कत करते दिखाई दे रहे है। पीड़ित लोगों का कहना है कि पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के बाद से ही समस्याओं का दौर जारी है। उन्होंने कहा कि जब पीड़ित कल्पवासियों ने सड़क जाम किया तब अधिकारियों ने राहत कार्यो में तेज़ी लायी। बढे जलस्तर की वजह से रात भर परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।
जलस्तर से परेशानियों का समाधान किया जा रहा
मेला क्षेत्र पहुंचे कमिश्नर संजय गोयल ने प्रभावित क्षेत्र का जायजा लिया और मीडिया से मुखातिब होने पर उन्होंने कहा है कि सभी प्रभावित कल्पवासियों को सूचना दे दी गई है कि उनके लिए अलग से जगह चिन्हित करके व्यवस्था की जा रही है ।साथ ही साथ जलस्तर बढ़ने से हुई परेशानियों का भी समाधान किया जा रहा है।
गंगा में 20 हजार क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा
आपको बता दे दो दिन पहले कानपुर बैराज से गंगा में 20 हजार क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया। यह पानी अब प्रयागराज पहुंच रहा है। इस पानी के आने से कटान बढ़ गया और शिविर में भी पानी घुस गया। हालांकि जिस तरह से जलस्तर बढ़ रहा है उससे पांटून पुलों पर खतरा मंडराने लगा है। त्रिवेणी और काली पुल पर झूंसी की तरफ भी जबरदस्त कटान देखने को मिल रही है।
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