रायबरेली: भारत बंद पर कांग्रेस रही फिसड्डी, मीडिया तक ही सीमित रहे नेता

देश भर में किसानों का भारत बंद का आह्वान था। सपा कांग्रेस सरीखे राजनैतिक दलों ने किसानों को समर्थन दिया था। इस बीच सरकार भी मुस्तैद थी और किसानों के प्रदर्शन को फ्लाप करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए थी।

Update: 2020-12-08 09:51 GMT
रायबरेली: भारत बंद पर कांग्रेस रही फिसड्डी, मीडिया तक ही सीमित रहे नेता

रायबरेली: उत्तरप्रदेश के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा के प्रभार वाले जिले रायबरेली में कांग्रेस पहले से ही हाशिये पर है। यहां प्रियंका गांधी की सक्रियता भी कांग्रेस को उबार नही पाई। हाल ही में कुछेक सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम इसके उदाहरण हैं। अब पूरे यूपी में ले देकर बची एक संसदीय सीट रायबरेली में भी कांग्रेस वेंटिलेटर पर है। मंगलवार को किसान आंदोलन के दौरान भारत बंद के मौके पर ये बात करीब से देखने को मिली। जब किसानों के समर्थन में महज एक दर्जन से कम कांग्रेसी ही सड़क पर आए और इन्हे भी पुलिस ने हिरासत में लेकर कोतवाली पहुंचा दिया।

किसानों का भारत बंद का आह्वान

मंगलवार को देश भर में किसानों का भारत बंद का आह्वान था। सपा कांग्रेस सरीखे राजनैतिक दलों ने किसानों को समर्थन दिया था। इस बीच सरकार भी मुस्तैद थी और किसानों के प्रदर्शन को फ्लाप करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए थी। प्रशासन सरकार के निर्देश पर नेताओं पर नकेल कसे हुआ था। बावजूद इसके प्रदेश भर में नेता सड़क पर उतरे और किसानो के बंद का समर्थन किया। काफी नेता नजर बंद किए गए।

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नेता हुए नजर बंद

यही हाल रायबरेली में भी रहा जहां सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं विधायक मनोज पांडेय सरीखे नेता नजर बंद किए गए। वहीं बहुत सारे सपा नेता किसानो के साथ प्रदर्शन करते दिखे। इसके विपरीत कांग्रेस नेता अपनी नेता प्रियंका गांधी की नीति पर सोशल मीडिया तक महदूद रहे। दर्जन भर कांग्रेस के नेता सड़क पर नही आ सके। इससे साफ है़ कि कांग्रेस यूपी से लोकसभा की अपनी इकलौती सीट को 2024 में बचाने में फेल हो सकती है।

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रायबरेली सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र है। डेढ़ दशक से सोनिया यहां से सांसद चुनी जा रही हैं। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली फतह करने के लिए कांग्रेस को नाको चने चबाने पड़े थे। जहां प्रियंका गांधी ने डेरा डाला था और गांव-गांव चौपालें लगाई थीं वहीं सपा का समर्थन पाकर पूरे यूपी से आंसू पोछने के लिए एक सीट जीता था। सोनिया के मुकाबले में कांग्रेस के बागी दिनेश सिंह ने ब्रेकर का काम किया था, और बड़ी जीत के आकड़ों को कम कर दिया था। इसी क्रम में कहीं ना कहीं बागी विधायक अदिति सिंह फैक्टर भी आज देखने को मिला है।

रिपोर्ट- नरेन्द्र सिंह, रायबरेली

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