राममंदिर भूमि पूजन: भक्तों का सपना होगा सच, महीनों से चल रहीं तैयारियां
अयोध्या आगामी कृष्णपक्ष द्वितीया, संवत 2077 तदनुसार 5 अगस्त को श्रीराम जन्मभूमि पर मन्दिर निमार्ण कार्यारम्भ हेतु भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या पधार रहे हैं।
अयोध्या: अयोध्या आगामी कृष्णपक्ष द्वितीया, संवत 2077 तदनुसार 5 अगस्त को श्रीराम जन्मभूमि पर मन्दिर निमार्ण कार्यारम्भ हेतु भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या पधार रहे हैं। इस हेतु भारत की मिट्टी से जन्मी प्रमुख 36 परम्पराओं के 135 पूज्य संत महात्माओं को एवं अन्य विशिष्ट अतिथिगणों को आमंत्रित किया गया है। 1984 में प्रारम्भ हुए श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण के 77वें आन्दोलन में भाग लेने वाले रामभक्त बड़ी संख्या में उपस्थित रहते। किन्तु वर्तमान समय में कोरोना महामारी के कारण ऐसा संभव नहीं है।
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श्री राम जन्म भूमि भूमि तीर्थ ट्रस्ट के, महामंत्री चंपत राय ने बताया निमंत्रण पत्र सभी आमंत्रित गणों को पहुंचाया जा रहा है। सुरक्षा की दृष्टि से एक कार्ड पर एक ही व्यक्ति का प्रवेश होगा, कार्ड के साथ अपना अधिकृत परिचय पत्र लाना अनिवार्य होगा। कार्यक्रम में किसी प्रकार का मोबाइल व बैग पूर्णतयः वर्जित है।
उन्होंने बताया आमंत्रित संतगणों में दशनामी सन्यासी परम्परा, रामानन्द वैष्णव परम्परा, रामानुज परम्परा, नाथ परम्परा, निम्बार्क, माध्वाचार्य, वल्लभाचार्य, रामसनेही, कृष्णप्रणामी, उदासीन, निर्मले सन्त, कबीर पन्थी, चिन्मय मिशन, रामकृष्ण मिशन, लिंगायत, वाल्मीकि सन्त, रविदासी सन्त, आर्य समाज, सिक्ख परम्परा, बौद्ध, जैन, सन्त कैवल्य ज्ञान, सतपंथ, इस्कान, स्वामीनारायण, वारकरी, एकनाथ, बंजारा सन्त, वनवासी सन्त, आदिवासी गौण, गुरु परम्परा, भारत सेवाश्रम संघ, आचार्य समाज, सन्त समिति, सिन्धी सन्त, अखाड़ा परिषद के पदाधिकारी। नेपाल से भी पूज्य संत कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे।
मोहन भागवत की उपस्थिति में वैदिक रीति द्वारा संपन्न होना है
यद्यपि भूमि पूजन एवं कार्यारम्भ का मुख्य कार्यक्रम कल 5 अगस्त को माननीय प्रधानमंत्री के करकमलों द्वारा विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक के सरसंघचालक मोहन भागवत की उपस्थिति में वैदिक रीति द्वारा संपन्न होना है। तथापि श्रीराम जन्मभूमि पर पूजन का यह क्रम 108 दिन पहले 18 अप्रैल से आरम्भ हो गया था, जिसमें प्रतिदिन वेदपाठ, पुरुष सूक्त, श्रीसूक्त, अघोरमंत्र, वास्तु, ग्रह, नक्षत्र शान्ति के पाठ एवं विश्व सहस्त्र नाम, श्रीराम सहस्त्र नाम, श्री हनुमत सहस्त्र नाम, दुर्गा सप्तसती पाठ के मंत्रों द्वारा हवन एवं रुद्राभिषेक भी किया गया। जिससे कि सम्पूर्ण क्षेत्र प्रचण्ड आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत रहे।
वस्त्रों का निर्धारण प्रत्येक दिन के स्वामी ग्रह और उससे संबंधित रंग के आधार पर किया जाता है
जानकारी में आया है कि कुछ लोगों द्वारा दिनांक 5 अगस्त को भगवान के श्रृंगार में हरे रंग वस्त्रों पर पर विवाद खड़ा करने का प्रयास किया है। इसक सम्बन्ध प्रधानमंत्री कार्यालय या श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र से नहीं है। यह विषय पूर्णतः मुख्य पुजारी और परम्परा से है, इसका निर्णय मुख्य पुजारी स्थापित परम्पराओं के अनुरूप करते हैं। पूरा भारत जानता है कि देव विग्रह के वस्त्रों का निर्धारण प्रत्येक दिन के स्वामी ग्रह और उससे संबंधित रंग के आधार पर किया जाता है। यह बात सर्वज्ञात है कि बुध ग्रह का संबंध हरे रंग से है और इस परंपरा का पालन जबसे रामलला विराजमान वहां बैठे हैं तब से किया जा रहा है। इस पर टिप्पणी करना किसी अन्य प्रकार के पूर्वाग्रह का द्योतक है।
1500 से भी अधिक स्थानों से पवित्र एवं ऐतिहासिक स्थलों की मिट्टी लाई गयी है
अभी तक प्राप्त सूचना के आधार पर बताया जा सकता है कि हमारे आह्वान पर पूरे देश से लगभग 1500 से भी अधिक स्थानों से पवित्र एवं ऐतिहासिक स्थलों की मृदा (मिट्टी) तथा 2000 से भी अधिक स्थानों व देश की 100 से भी अधिक पवित्र नदियों एवं सैकड़ों कुण्डों के जल देश के कोने-कोने से रामभक्तों द्वारा लाए गए हैं। देश में व्याप्त उत्साह का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि अनेक बन्धु-भगनियों ने अपने आस-पास का पवित्र जल अथवा संरक्षित जल कोरियर द्वारा तीर्थ क्षेत्र के कार्यालय अथवा कारसेवकपुरम् में प्रेषित किया है।
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यह क्रम पिछले 15 दिनों से आरम्भ होकर अभी तक चल रहा है
इसमें प्रमुख रूप से गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, सिन्धु, ब्रह्मपुत्र, झेलम, शतलुज, रावी, चिनाव व व्यास सहित समस्त पवित्र नदियों एवं देश के सभी प्रसिद्ध पवित्र कुण्डों का जल सम्मिलित है। इसके साथ ही साथ अनेकों ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व के स्थानों की मिट्टी व जल भेजा गया है। जिनमें प्रमुख रूप से हल्दीघाटी की मिट्टी, चित्तौड़ दुर्ग की मिट्टी, स्वर्ण मन्दिर के कुण्ड का जल व मिट्टी, वैष्णों देवी की मिट्टी, मैसेकर घाट (मैस्कर घाट)-कानपुर, बिठूर में ब्रह्मखूंटी व नाना साहब पेशवा के किले की मिट्टी, रायगढ़ किले की मिट्टी, सभी ज्योतिर्लिंगों के प्रांगण की मिट्टी, सरस्वती उद्गम स्थल का जल व रज, रविदास मन्दिर काशी की रज, बाबा साहब अम्बेदकर की इच्छा भूमि एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उद्गम स्थली नागपर की रज, व पवित्र जल, मानसरोवर की पवित्र रज व जल आदि अयोध्या पहुँच चुके हैं। यह क्रम पिछले 15 दिनों से आरम्भ होकर अभी तक चल रहा है।
सभी प्राप्त सामग्री को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कार्यालय पर सुरक्षित रखा गया है। वैदिक विद्वानों के सुझाव के आधार पर इसका निर्माण में समय-समय पर सदुपयोग किया जायेगा।
नाथ बख्श सिंह -अयोध्या
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