मिश्रिख से भाजपा विधायक रामकृष्ण भार्गवः अफसर जनता के प्रति जवाबदेह हों
राजनीति में मौके पर चौका मारने के लिए मशहूर भाजपा विधायक रामकृष्ण भार्गव को सहनशीलता के बारे में भी जाना जाता है। कोई घमंड नहीं। अगर कोई अपना पराया मुंह पर अभद्र व्यवहार भी कर दे तब भी वे शांत रहते हैं। बदले की भावना भी नहीं रहती। खुद दलित बिरादरी से हैं लेकिन उनकी पकड सवर्णों में खासतौर से है।
पुतान सिंह
सीतापुर। राजनीति में मौके पर चौका मारने के लिए मशहूर भाजपा विधायक रामकृष्ण भार्गव को सहनशीलता के बारे में भी जाना जाता है। कोई घमंड नहीं। अगर कोई अपना पराया मुंह पर अभद्र व्यवहार भी कर दे तब भी वे शांत रहते हैं। बदले की भावना भी नहीं रहती। खुद दलित बिरादरी से हैं लेकिन उनकी पकड सवर्णों में खासतौर से है।
घर कोई वरिष्ठ नागरिक आ गया, तो खातिरदारी तो करते ही हैं चरणबंदगी करना नहीं भूलते। नाश्ता भोजन का भी इंतजाम होता है। हर किसी से वे गांव घर की ही भाषा शैली में बात करते हैं। चेहरे पर हमेशा मुस्कराहट और हल्के फुल्के ढंग से अपनी बात कहने के लिए वे जाने जाते हैं।
अफसर हो अथवा इलाके का लेखपाल, भइया अथवा साहब कह कर ही संबोधित करते हैं, काम करने के लिए निवेदन करते हैं। आदेश देना उनकी फितरत में है ही नहीं। शायद इसी लिए उनकी बात खाली नहीं जाती।
अपना अलग अंदाज
राजनीति करने का यह उनका अपना अंदाज है। जिसके बल पर वे 35 साल से मछरहेटा और मिश्रिख विधानसभा क्षेत्र की जनता की सेवा करते आ रहे हैं।
परिसीमन से पूर्व जिले में मछरेहटा विधानसभा सीट हुआ करती थी। यह भी अनुसूचित एवं जन जाति के लिए आरक्षित थी। रामकृष्ण भार्गव इसी क्षेत्र के मधवापुर गांव के निवासी हैं। पिता रघुनंदन भार्गव ग्राम प्रधान थे, बचपन में गंवई राजनीति पिता जी की ही अंगुली पकड कर सीखी।
शहर में भी घर बन गया तो वे यहां भी रहने लगे। इसी बीच रामकृष्ण का संपर्क जिले के दिग्गज नेता रहे संकटा प्रसाद से हुआ तो सक्रिय राजनीति में उतर आए। अस्सी के दशक का वह दौर था जब आपातकाल खत्म होने के बाद लोग विकास कार्य के लिए तरसते थे। बिजली, सड़क, स्कूल, रोजगार की बड़ी दरकार हुआ करती थी।
पहला चुनाव निर्दलीय जीते
1984 के विधानसभा चुनाव में किसी दल से टिकट न मिलने के कारण निर्दलीय चुनाव लडने का निर्णय किया। वह दौर कांग्रेस का था। इसके बावजूद लंबे अंतर से वह चुनाव जीत गए।
रामकृष्ण भार्गव कहते हैं कि उससे पहले जितने विधायक हुए, किसी ने काम नहीं कराया था। इसी कारण जनता ने दलीय उम्मीदवारों के बजाए मुझे पसंद किया। कांग्रेस की सरकार बनी। मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह से मुलाकात हुई। बताते हैं कि मुख्यमंत्री से मिलने गया तो पहली मुलाकात में आश्वासन दिया कि कोई काम नहीं रूकेगा।
रामगढ चीनी मिल बडी उपलब्धि
श्री भार्गव बताते हैं कि कई दिन बाद मछरेहटा क्षेत्र में चीनी मिल स्थापित करने की मांग मुख्यमंत्री से की तो वे मान गए। इलाके के रामगढ गांव के पास मिल लगवाने की मंजूरी दी गई।
बताते हैं कि मुख्यमंत्री वीर बहादुर ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांव से अनुरोध कर मिल लगवाने की मांग की थी, नतीजा यह रहा कि मिल का काम शुरू हो गया। कुछ वर्ष में ही मिल में पेराई शुरू हो गई।
इससे इलाके के लाखों किसानों को लाभ मिला। हजारों युवकों को रोजगार भी मिला। पूरा मछरहेटा क्षेत्र तरक्की की राह पर चल पडा। विधायक कहते हैं कि यह उपलब्धि ही हमारे लिए सबसे खुशी का वक्त रहा।
बताते हैं कि मेरे सामने संकट के भी कई दौर आए। कभी हताश नहीं हुए। लंबे समय तक विधायक न चुने जाने के बावजूद जनता के बीच रह कर उनकी मदद करते रहे।
कोई पद न होने के बावजूद अफसरों से जनता के काम करवाना बडा टेढा काम होता है। इसी लिए कहता हूं, अधिकारी परमानेंट जनता के सेवक होते हैं, हम लोग टंपरेरी, लिहाजा अफसरों को हर समय जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए।
लंबे समय तक कांग्रेस में रहे
वह वीर बहादुर सिंह के नजदीक होते गए। 1991 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लडे जीत गए। बताते हैं कि इसी दौरान राजनीति में बदलाव होने लगा, जिस खांचे में वे सेट नहीं हो रहे थे।
इसी कारण चुनाव हारे भी लेकिन, 2002 के चुनाव में बसपा के साथ जाना पडा। टिकट मिला, चुनाव जीते। चूंकि क्षेत्र की जनता की सेवा करनी थी, इस कारण सपा की सरकार बनने पर सपा के साथ हो गए।
मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने मुझे कारागार राज्यमंत्री का दायित्व सौंपा। इसके बाद के चुनाव हारे भी। इस दरम्यान परिसीमन में मछरहेटा विधानसभा खत्म कर दी गई।
मिश्रिख सुरक्षित सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लडे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्ग दर्शन में मिश्रिख क्षेत्र का भरपूर विकास हो रहा है।
विधायक निधि बहुत जरूरी
भार्गव विधायक निधि को जनता के लिए बहुत जरूरी मानते हैं। कहते हैं कि क्षेत्र के छोटे छोट काम इसी निधि से आसानी से हो जाते हैं। विधायक निधि अगर न मिले तो तमाम लोगों की अपेक्षाएं हमारे स्तर से पूर्ण ही नहीं हो पाएंगी।
उनका मानना है कि अगर कोई विधायक निधि की धनराशि में भ्रष्टाचार करे तो जांच कर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
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सरकार किसी भी दल की हो, अफसर जनता के प्रति जवाबदेह रहें। भार्गव मौजूदा समय में नौकरशाही से खुश नहीं हैं। कहते हैं कि अफसरों का रवैया ठीक नहीं रहता है। ऐसा भी नहीं है कि सभी अफसर एक जैसे हैं।
बानगी के तौर पर बताया कि जिले में जब से एसपी आरपी सिंह आए हैं, कानून व्यवस्था में सुधार हुआ है। पीडितों की सुनवाई हो रही है। लेकिन विकास कार्यों के मामले में और भी सुधार की जरूरत है।
कभी शांति भंग की आशंका का केस भी नहीं दर्ज हुआ
विधायक रामकृष्ण भार्गव बताते हैं कि मेरे लिए सबसे सुखद अनुभूति यही है कि आज तक किसी भी थाने में शांति भंग की आंशका मतलब 107 बटे 16 का केस भी नहीं दर्ज हो सका।
वे न अपराधियों को साथ रखते हैं और न अपराधियों को बढावा देते हैं। बल्कि किसी गुंडे ने गरीब को प्रताडित किया तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए अधिकारियों से बात करते हैं।
नैमिषारण्य क्षेत्र का हो रहा विकास
वह बताते हैं कि नैमिषारण्य तीर्थ मिश्रिख क्षेत्र में आता है। साढे तीन साल में इस क्षेत्र का भरपूर विकास कराया है। गोमती नदी के देव देवश्वर घाट अब देखने लायक हो गया है।
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पूरे परिक्रमा मार्ग पर यात्री प्रतीक्षालय बन गए हैं। सिधौली से नैमिषारण्य तक सडक चैडीकरण के लिए 158 करोड रूपये मंजूर कराकर काम भी शुरू कर दिया गया है। मिश्रिख में 133 केवीए बिजली स्टेशन चालू हो गया है। नैमिषारण में 100 करोड की लागत से तमाम स्थानों पर काम हुए हैं।
अब भाजपा में रहकर जनता की सेवा करते रहना है
विधायक कहते हैं कि मैंने जब भी दल बदला है, उसके पीछे मजबूरी रही है। मजबूरी जनता की सेवा। अगर हम ही स्थापित नहीं होंगे तो जनता के काम कैसे करा सकेंगे।
लेकिन अब बाकी जिंदगी भाजपा में रहकर जनता की सेवा करते रहना है। कहते हैं कि मैं ही नहीं, कोई भी नेता दल तभी बदलता है जब उसके सामने जनता की सेवा करने का विकल्प नहीं रह जाता।
बेटा रह चुका है जिला पंचायत अध्यक्ष
विधायक का पूरा परिवार ही राजनीति में है। मुलायम सिंह यादव की सरकार के दौरान रामकृष्ण भार्गव ने अपने पुत्र अजय भार्गव को जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लडवाया था।
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काफी उठापटक के बाद चुनाव जीतने में सफल हुए थे। अजय भार्गव ने इस पद पर रहते हुए जिले भर के लोगों के सपंर्क में आकर काम कराए। मौजूदा समय में अजय के छोटे भाई विजय भार्गव मछरहेटा विकास खंड के ब्लाक प्रमुख हैं।