कालिंदी ब्राइट स्टील से जीडीए की वसूली जायज: हाईकोर्ट
कोर्ट ने कंपनी द्वारा जीडीए के अधिकारियों से सांठगांठ कर 65 लाख 71 हजार रुपये से ज्यादा रकम वापस लेने के मामले में कंपनी से की जा रही एक करोड़ 62 लाख 32 हजार रुपये की वसूली को जायज ठहराया है।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद की कालिंदी ब्राइट स्टील कंपनी से जीडीए द्वारा भूमि आवंटन को लेकर वसूली के खिलाफ कंपनी की याचिका खारिज कर दी है।
कोर्ट ने कंपनी द्वारा जीडीए के अधिकारियों से सांठगांठ कर 65 लाख 71 हजार रुपये से ज्यादा रकम वापस लेने के मामले में कंपनी से की जा रही एक करोड़ 62 लाख 32 हजार रुपये की वसूली को जायज ठहराया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति बी अमित स्थलकर एवं न्यायमूर्ति डॉ. वाईके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया है। मामले के तथ्यों के अनुसार वर्ष 1989 में कंपनी को सेक्टर 14 कौशाम्बी में दो भूखंड (15 व 16) चार हजार रुपये वर्गमीटर की दर से आवंटित किए गए। समय पर भुगतान न करने पर आवंटन निरस्त कर दिया गया तो कंपनी ने कोर्ट में गुहार लगाई।
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कोर्ट ने भूखंड उपलब्ध होने पर कंपनी को उसका आवंटन करने का निर्देश दिया। इसी दौरान 1993 में राज्य सरकार के निर्देश पर जीडीए ने कंपनी को फिर से भूखंड आवंटित करने का निर्णय लिया। लेकिन इस बार आवंटन में आठ हजार 60 रुपये प्रति वर्गमीटर कीमत तय की गई। इस हिसाब से कंपनी को तीन करोड़ चार लाख 37 हजार से अधिक भुगतान करना था।
कंपनी ने भुगतान करके नेशनल कंज्यूमर फोरम में वाद दाखिल करके कहा कि उससे ब्याज के रूप में अधिक धनराशि ले ली गई। इस मुद्दे पर दोनों पक्षों में फोरम से बाहर हुए समझौते के बाद कंपनी को जीडीए ने 65 लाख71 हजार 775 रुपये लौटा दिए। सात साल बाद जीडीए ने एक करोड़ 62 लाख 32 हजार रुपये वसूली सर्टिफिकेट जारी किया।
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याचिका का विरोध करते हुए जीडीए के अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने कहा कि चार सदस्यीय कमेटी की जांच से यह बात समाने आई कि कंपनी को गलत तरीके से रकम वापस की गई थी। उसमें जीडीए के अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई है। कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। कोर्ट जीडीए के अधिवक्ता की दलील को सही पाते हुए याचिका खारिज कर दी।