लखनऊः ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के चीफ ओवैसी के 'भारत माता की जय' बोलने से इनकार वाले बयान से उठे विवाद ने आरएसएस के लिए टाॅनिक का काम किया है। इस विवाद ने अनायास ही संघ के हाथ में राष्ट्रवाद का वह मुद्दा सौंप दिया। जिसका हवाला देते हुए संघ देश भर में जमीनी स्तर पर अपने कार्यकर्ताओं को मजबूत करने में जुटा हुआ है।
इस मुद्दे से संघ को मिल रहा फायदा
कुष्ठ रोगियों के लिए काम करने वाली संस्था दिव्य प्रेम सेवा मिशन के आशीष जी ने कहा कि ओवैसी के बयान से जो विवाद उठा है, उसने अनायास ही संघ के हाथ में वह मुद्दा दे दिया है, जिसका संघ को फायदा मिल रहा है।
यूपी में भी भुनाया जा रहा यह मुद्दा
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी चारबाग स्थित रज्जू भैया स्मृति भवन का लोकार्पण करने के बाद प्रचारकों की बैठक ली और उनके साथ आगामी रणनीति पर चर्चा की। इसको भी बयान से उठे विवाद को लोगों के बीच भुनाने से ही जोड़ कर देखा जा रहा है।
एकजुट होंगे राष्ट्रवादी विचाराधारा के लोग
एक अन्य प्रदेश पदाधिकारी ने कहा कि संघ से जुड़ने वाले लोगों में राष्ट्रवाद सर्वोपरि है और इसी को लेकर हम अपने घरों से निकलते हैं। मौजूदा समय में जब इसी पर हमला हो रहा तो फिर स्वाभाविक है कि राष्ट्रवादी विचारधारा के लोग एकजुट होंगे।
इसी विवाद का हवाला देकर कार्यकर्ताओं में भरा जा रहा जोश
स्थानीय सूत्रों की मानें तो इसी विवाद का हवाला देकर कार्यकर्ताओं में जोश भरा जा रहा है, इस विवाद ने ऐन चुनाव के पहले स्वंय सेवकों में जोश भरने का काम किया है।
क्या है विवाद?
महाराष्ट्र के लातूर में ओवैसी ने एक रैली में कहा था, "मैं भारत माता की जय नहीं बोलूंगा।" "कोई मेरी गर्दन पर भी चाकू रख दे, तब भी नहीं बोलूंगा। संविधान में कहीं नहीं लिखा कि भारत माता की जय बोलो।" ओवैसी का ये बयान आरएसएस चीफ मोहन भागवत के लिए था। संघ प्रमुख ने कुछ दिन पहले कहा था कि अब नौजवानों को भारत माता की जय बोलना सिखाना पड़ता है।