भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में जुटा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

Update:2018-02-28 12:02 IST

सुशील कुमार

मेरठ। आरएसएस की विचारधारा को लेकर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन संघ कार्यकर्ताओं के अनुशासन और समर्पण की बात से कोई इनकार नहीं करता। रविवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजधानी माने जाने वाले मेरठ में हुए संघ के बड़े समागम में यह बात एक बार फिर साबित हो गई। क्या यह आश्चर्यजनक नही है कि 650 एकड़ के मैदान में करीब तीन लाख लोंगो की भीड़ जमा हो और मंच से आवाज सिर्फ किसी एक व्यक्ति की गूंजे। यह आवाज और किसी की नहीं बल्कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की थी।

शारारिक अभ्यास के दौरान भी करीब तीन लाख स्वयंसेवक बेहद व्यवस्थित दिखे। न तो कोई शोरशराबा और न ही किसी तरह की कोई अनुशासनहीनता। संघ नेताओं की आवाज पर स्वयंसेवक उनके निर्देशों की तामील करते दिखे। स्वयंसेवकों का गर्मी और उमस के बीच एकाग्रचित्त होकर बैठना संघ के अनुशासन की नजीर पेश कर गया। ऑस्ट्रेलिया से समागम में शामिल होने आए स्वयंसेवक मार्क कहते हैं कि एक साथ इतने सारे लोगों का अनुशासन के साथ एकत्र होना, वह भी बिना किसी पुलिस सहयोग के, पहली बार देखा है।

कार्यक्रम में केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह,पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री डॉ.महेश शर्मा, प्रदेश सरकार के गन्ना मंत्री सुरेश राणा ,पूर्व केंद्रीय मंत्री सजीव बालियान समेत क्षेत्र के भाजपा सांसदों और विधायकों समेत भाजपा के तमाम छोटे-बड़े नेता शामिल थे। खास बात यह है कि सभी गणवेश में थे। यही नहीं, सभी आम कार्यकर्ताओं के बीच बैठे दिखे। आयोजन के जरिये संघ प्रमुख ने भाजपा की सियासी जमीन और उर्वर बनाने की कोशिश की।

हिन्दू एकता को सब रोगों की दवा बताया

राष्ट्रोदय समागम में संघ प्रमुख मोहन भागवत का अंदाज दार्शनिक होते हुए भी कई संदेश दे गया। उन्होंने हिन्दू एकता को समाज के तमाम रोगों की दवा बताया। समागम में संघ प्रमुख ने जातिवाद को भूलने का संदेश देकर 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए एकता की पटकथा लिखने की भरपूर कोशिश की।

संघ प्रमुख ने कहा, हमारे झगड़ों पर सभी अपनी रोटियां सेंकते हैं। पंथ कोई हो, पूजा पद्घति कोई भी हो, जाति कोई भी हो, भगवान कोई भी हो, सभी में एकता को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने कहा कि दुनिया अच्छी चीजों को तभी मानती है जब उसके पीछे कोई शक्ति खड़ी हो। उन्होंने कहा कि हिंदुओं की एकता ही हमारी शक्ति है।

दलित आंदोलनों से बढ़ी चिंता

दरअसल संघ ने भले ही अपने जन्मकाल से छुआछुत, अस्पृश्यता, जात-पात को दूर करने की कोशिश की हो, किंतु इसमें उसे उम्मीद के अनुरूप सफलता नहीं मिली। हालांकि 2014 के आम चुनाव के दौरान ऐसा लगा था कि जातियों की दीवार तोडक़र हिंदुओं का ध्रुवीकरण बीजेपी की तरफ होने लगा है। उत्तर प्रदेश में दलितों की बड़ी नेता कही जाने वाली बीएसपी सुप्रीमो मायावती को भी उस समय तगड़ा झटका लगता दिखा था जब दलित उनका साथ छोडक़र भाजपा के साथ चले गए थे। लेकिन केन्द्र और प्रदेश में सत्ता मिलने के बाद देश और प्रदेश के कुछ भागों में दलित आंदोलनों से उपजी चिंगारी से संघ की चिंता बढ़ी है।

इन घटनाओं से संघ के हिंदू एकता के प्रयासों को गहरा धक्का लगता दिख रहा है। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी दलित और अति पिछड़े काफी हद तक बीजेपी के साथ दिखे। यूपी में सहारनपुर हिंसा को तो दलित बनाम राजपूत हिंसा के रूप में देखा गया। बसपा सुप्रीमो मायावती हों या राहुल गांधी या दलित नेता जिग्नेश मेवाणी, सभी इस घटना के सहारे उत्तर प्रदेश व गुजरात समेत देश के अन्य राज्यों में दलितों में अपनी पैंठ जमाने की कोशिश करते दिखे।

महाराष्ट्र में हाल में हुई हिंसा का मामला हो या रोहित वेमुला, गोतस्करी और ऐसे दूसरे मामलों में दलित युवकों की हत्या का मुद्दा बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने वाला रहा। खुद संघ प्रमुख पर आरक्षण खत्म करने वाले बयान से दलित विरोधी होने के आरोप लगे थे। इस माहौल में संघ की बड़ी कोशिश हिंदू एकता के नाम पर दलितों को भाजपा से जोडऩे की है।

समागम में पहुंचे दो दर्जन साधु-संत

सभी को पता है कि देश की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। इसलिए संघ का खास जोर उत्तर प्रदेश में है। यही वजह है कि आगामी 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यूपी में वाराणसी, आगरा के बाद मेरठ में संघ ने राष्ट्रोदय समागम का भव्य स्तर पर आयोजन कर युवाओं और दलितों को जोडऩे का मंत्र फूंका है।

समागम में अपने संबोधन के जरिये भागवत ने यह संदेश देने की पूरी कोशिश की कि दलितों के घर जाने,उन्हें अपने साथ जोडऩे एवं शाखा के लिए प्रेरित करने से न सिर्फ राष्ट्र मजबूत होगा बल्कि फूट डालकर राज करने वालों की दाल भी नही गलेगी। राष्ट्रोदय में दलितों को हम सब हिन्दू हैं, का संदेश देने के मकसद से दलित समाज से जुड़े शुक्रताल अनसुइया आश्रम में रविदास मिशन से जुड़े स्वामी सतीश दास, सहारनपुर के कबीर निर्णय मंदिर के मिलनदास महाराज समेत करीब दो दर्जन साधु-संतों को बुलाया गया था।

यही नहीं समागम में सहभोज के जरिये सामाजिक समरसता का संदेश देने की भी कोशिश की गई। राष्ट्रोदय में जैन संत विहर्ष सागर महाराज और जूना पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरि ने भी कट्टर हिंदुत्व के नये मायने बताए। विहर्ष सागर महाराज ने कहा कि हिन्दुस्तान में जो भी रहता है वह हिंदू है। वहीं जूना पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरि ने कहा कि जो भारतीय पूर्वजों का वंशज है, वो हिंदू है।

यूपी के बारे में संघ अधिक गंभीर

राजनीतिक जानकार संघ प्रमुख के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हालिया कार्यक्रमों को भाजपा के लिए सियासी उर्वर जमीन तैयार करने के तौर पर आंक रहे हैं। मेरठ में संघ के एक बड़े नेता की मानें तो संघ की तरफ से लगातार देश के अलग-अलग हिस्सों में भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए बड़े आयोजन होते रहेंगे।

इस नेता के अनुसार पश्चिमी उत्तर प्रदेश को लेकर संगठन इसलिए अधिक गंभीर है क्योंकि 2014 में वेस्ट यूपी सीट देने वाला सबसे अच्छा क्षेत्र रहा था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मेरठ, गाजियाबाद, बागपत, गौतमबुद्घनगर समेत 19 सीटें भाजपा की झोली में गई थीं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश को लेकर संघ की गंभीरता का पता इसी बात से चलता है कि रविवार के समागम के बाद संघ प्रमुख ने सोमवार को पश्चिमी क्षेत्र की कार्यकरिणी की बैठक में संघ की शाखाओं के विस्तार और समाजिक कार्यों के साथ ही पश्चिमी क्षेत्र के राजनीतिक हालातों की भी समीक्षा की। संघ के अब तक के सबसे बड़ा समागम के बाद यह तय है कि अगले साल होने वाला लोकसभा चुनाव हिन्दुत्व के मुद्दे पर ही लड़ा जाएगा।

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