अयोध्या के विवादित ढांचा ढहाने जाये के मामले में पेश हुई साध्वी रितम्भरा

साध्वी ऋतंभरा शुक्रवार को अयोध्या के विवादित ढांचा को ढ़हाए जाने के आपराधिक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) में पेश हुईं। इसी केस के अन्य अभियुक्तों की तरफ से हाजिरी माफी की अर्जी दी गई। विशेष अदालत ने साध्वी ऋतंभरा की उपस्थिति दर्ज करते हुए अन्य अभियुक्तों की हाजिरी माफी की अर्जी मंजूर कर ली। विशेष अदालत में इस केस की सुनवायी रोज ब रोज हो रही है जो कि 28 जनवरी को भी जारी रहेगी।

Update: 2019-01-25 14:51 GMT

लखनऊ: साध्वी ऋतंभरा शुक्रवार को अयोध्या के विवादित ढांचा को ढ़हाए जाने के आपराधिक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) में पेश हुईं। इसी केस के अन्य अभियुक्तों की तरफ से हाजिरी माफी की अर्जी दी गई। विशेष अदालत ने साध्वी ऋतंभरा की उपस्थिति दर्ज करते हुए अन्य अभियुक्तों की हाजिरी माफी की अर्जी मंजूर कर ली। विशेष अदालत में इस केस की सुनवायी रोज ब रोज हो रही है जो कि 28 जनवरी को भी जारी रहेगी।

उल्लेखनीय है कि 6 दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचा ढंहाए जाने के इस मामले में कुल 49 एफआईआर दर्ज हुए थे।एक एफआईआर फैजाबाद के थाना रामजन्म भूमि में एसओ प्रियवंदा नाथ शुक्ला जबकि दूसरी एसआई गंगा प्रसाद तिवारी ने दर्ज कराई थी। शेष 47 एफआईआर अलग अलग तारीखों पर अलग अलग पत्रकारों व फोटोग्राफरों ने भी दर्ज कराए थे। सीबीआई ने जांच के बाद इस मामले में कुल 49 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।

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अब इस मामले में कुल 32 अभियुक्तों के खिलाफ दिन-प्रतिदिन सुनवाई हो रही है। 19 अप्रैल, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी कर इस मामले की सुनवाई दो साल में पूरा करने का निर्देश विशेष अदालत को दिया था। सीबीआई के विशेष वकील ललित सिंह के मुताबिक अब तक इस मामले में कुल 329 गवाह पेश किए जा चुके हैं।

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30 मई, 2017 को इस आपराधिक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) ने साध्वी ऋतंभरा के साथ ही एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार व विष्णु हरि डालमिया पर आईपीसी की धारा 120 बी (साजिश रचने) के तहत आरोप तय किया था। जिसके बाद इन सभी अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 149, 153ए, 153बी व 505 (1)बी के साथ ही आईपीसी की धारा 120 बी के तहत भी मुकदमे का विचारण शुरु हो गया।

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सीबीआई की विशेष अदालत ने इसके साथ ही महंत नृत्य गोपाल दास, महंत राम विलास वेदांती, बैकुंठ लाल शर्मा उर्फ प्रेमजी, चंपत राय बंसल, धर्मदास व डाॅ. सतीश प्रधान के खिलाफ 147, 149, 153ए, 153बी, 295, 295ए व 505 (1)बी के साथ ही आईपीसी की धारा 120 बी के तहत आरोप किया था। जबकि गर्वनर होने के नाते कल्याण सिंह के खिलाफ आरोप तय नहीं हो सका था।

हालाकि आरोप तय होने के बाद विष्णु हरि डालमिया व रमेश प्रताप सिंह की मौत हो चुकी है। जबकि आरोप तय होने से पहले 14 अभियुक्तों की मौत हो चुकी थी।

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