ये जनाब चले हैं सहारनपुर का मेयर बनने, अधिकारों का पता नहीं

Update:2017-11-07 14:40 IST

महेश कुमार शिवा

सहारनपुर : प्रदेश में निकाय चुनाव की तैयारी जोर शोर से शुरू हो चुकी है। नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद के दावेदारों द्वारा नामांकन प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई हैं। लेकिन हैरत की बात तो यह है कि सहारनपुर नगर निगम के पहले मेयर बनने जा रहे। किसी भी प्रत्याशी को यह पता नहीं कि मेयर के अधिकार क्या है और वह किस योजना के तहत शहर का विकास करेंगे। हंसी आती है ऐसे उम्मीदवारों पर जो यह कहते हैं कि जब जिम्मेदारी आ जाएगी तो अधिकार भी पता चल जाएंगे। एक उम्मीदवार ने तो यहां तक कह डाला कि अपने अधिकार प्राप्त करने के लिए वह कोर्ट में जाएंगे।

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अपना भारत, न्यूजट्रेक द्वारा प्रदेश भर में मेयर का चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों से पांच सवाल पूछे गए। सहारनपुर में जितने भी दलों के प्रत्याशी मेयर उम्मीदवार बनाए गए हैं, उनमें से किसी को मालूम नहीं कि मेयर बनने के बाद उनके अधिकार क्या होंगे।

उम्मीदवारों से पूछे गए सवाल

संविधान के 74वें संशोधन के बारे में जानते हैं

क्या आपको पता है कि उत्तरप्रदेश में अभी भी यह संशोधन लागू नहीं हुआ है

क्या आपको पता है कि संशोधन लागू न होने से अभी मेयर के पास कोई खास अधिकार होता ही नहीं है

जब किसी मेयर को अभी कोई अधिकार है ही नहीं तो जनता से अपने नगर को विकसित करने के वादे किस आधार पर कर रहे हैं

अपने नगर को इन परिस्थितियों में विकसित करने की क्या योजना है

चलिए सबसे पहले बात करते हैं, भाजपा के सहारनपुर नगर निगम के मेयर पद के प्रत्याशी संजीव वालिया से। संजीव वालिया नगर पालिका रहते हुए सभासद रह चुके है। उनकी पत्नी भी सभासद रह चुकी है। संजीव वालिया से जब उक्त पांच प्रश्नों के बारे में पूछा गया तो पहले प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि यह किताबी ज्ञान है, जो उन्हें नहीं मालूम।

उन्होंने सभी पांचों प्रश्नों के उत्तरों को मिक्स कर दिया और कहा कि उन्होंने वार्ड सभासद रहते हुए अपने वार्ड में अनेकों विकास कार्य कराए है। मेयर बनने के बाद उनका मकसद होगा कि सहारनपुर में सीवर लाइन व्यवस्था सुदृढ हो। इसके अलावा शहर की सड़के साफ सुथरी हो। मेयर के अधिकारों की बात पूछे गए प्रश्न को वह भी टाल गए।

अब बात करते हैं कांग्रेस प्रत्याशी शशि वालिया। शशि वालिया कांग्रेस के काफी समय से जिलाध्यक्ष भी हैं और उन्हें यहां पर सुलझा हुआ नेता माना जाता है। शशि वालिया ने कांग्रेस के जिलाध्यक्ष पद पर रहते हुए अनेकों चुनाव दूसरे लोगों को लड़ाए है।

उनसे जब पहला प्रश्न पूछा गया तो उनका उत्तर नहीं था, दूसरे और तीसरे प्रश्न का उत्तर भी वह नहीं दे सके। इसके बाद उनसे हमने चैथा और पांचवां सवाल किया ही नहीं।

इन प्रत्याशियों ने दिए हंसा देने वाले उत्तर

उक्त पांचों प्रश्नों की बाबत सपा प्रत्याशी साजिद चौधरी से वार्ता की गई, तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि जब मेयर बन जाएंगे और कंधे पर जिम्मेदारी आ जाएगी तो अधिकारों का भी पता चल ही जाएगा।

 

 

बसपा प्रत्याशी हाजी फजलुर्रहमान से वार्ता की गई तो उन्हें किसी भी प्रश्न का ज्ञान नहीं था। उन्होंने हमसे ही पूछा कि मेयर के क्या अधिकार होते हैं। साथ ही कहा कि अधिकारों को प्राप्त करने के लिए वह कोर्ट जाएंगे, कोर्ट होती ही किस लिए है।

कुल मिलाकर सहारनपुर में चार प्रमुख दलों ने अपने अपने प्रत्याशी मेयर पद के लिए चुनाव मैदान में उतारे हैं। लेकिन किसी को भी यह ज्ञान नहीं कि मेयर के अधिकार क्या हैं और वह किस योजना और किस तरह से अपने शहर का विकास कराएंगे। मसलन बस किसी तरह से मेयर बन जाए, शहर का विकास कैसे होगा, यह बाद में देखा जाएगा।

क्या है संविधान का 74वां संशोधन

केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत के तहत आने वाले क्षेत्रों का सुनियोजित विकास कराए जाने के लिए संविधान में 74वां संशोधन किया था। इस संशोधन के तहत निगम के मेयर, पालिका और पंचायत के अध्यक्ष को अधिकार दिए गए हैं कि वह शहर के विकास के लिए प्रोजेक्ट तैयार कर उस पर कार्य कर सकते हैं। अपने तरीके से शहर का विकास करा सकते है।

अभी तक यह संशोधन गुजरात, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान व दूसरे अन्य राज्यों में लागू हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार में संविधान का यह संशोधन लागू नहीं है।

संविधान का यह संशोधन यूपी में न होने के कारण अधिकार केवल नगर आयुक्त, उच्च प्रशासनिक अधिकारी, नगर पालिका और पंचायत के अधिशासी अधिकारियों को ही है। इस संशोधन के यूपी में लागू न होने के कारण मेयर को किसी भी तरह का अधिकार नहीं है। वह केवल बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पारित करा कर नगर विकास मंत्रालय को भेज सकते हैं। नगर विकास मंत्रालय इस पर कार्रवाई करें या न करें, यह उसके अधिकार क्षेत्र में है।

पिछली योजना में नगर निगम, पालिका और पंचायत के अध्यक्ष बने लोगों ने भी राज्य सरकार से इस संशोधन को लागू करने की मांग तक नहीं की, कारण संभवत उन्हें भी इसका ज्ञान न रहा हो।

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