अयोध्या में राम मूर्ति को लेकर संतों का विरोध शुरु, परमधर्म संसद से उठी आवाज
वाराणसी: अयोध्या में राम मंदिर के बाद अब राम मूर्ति पर भी सियासत शुरू हो गई है। यूपी की योग सरकार भले ही रामभक्तों को तोहफा देते हुए अयोध्या में राम की सबसे बड़ी मूर्ति लगाने का प्लान बना रही हो लेकिन संतों के एक बड़े धड़े को योगी का ये प्लान रास नहीं आ रहा है। वाराणसी में चल रही धर्म संसद में संतों ने राम मूर्ति के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है। संतों के मुताबिक राम मंदिर से ध्यान भटकाने के लिए बीजेपी सरकार ने राममूर्ति का दांव चला है।
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धर्म संसद में प्रस्ताव पारित कर किया विरोध
वाराणसी में आयोजित धर्म संसद में भाग लेने पहुंचें अयोध्या के बड़े सरकार स्वामी परमहंस दास ने राम की स्टेचू के खिलाफ विरोध का बिगुल फूंक दिया है। परमहंस दास जी का कहना कि अयोध्या में श्रीराम का पहले मंदिर बनना चाहिए। उन्होंने धर्म संसद में अयोध्या में बनने वाले भगवान श्री राम की प्रतिमा के विरोध का समर्थन किया है। परमहंस ने कहा कि 25 नवंबर को अयोध्या में धर्मसभा नहीं अधर्म सभा थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ से संतों की जो उम्मीद थी वह टूट चुकी है। राम मंदिर को लेकर बीजेपी जनता और संतों को धोखा दे रही है। स्वामी परमहंस ने आरोप लगाया कि अयोध्या में आयोजित धर्मसभा में मोटी रकम देकर संतों को बुलाया गया था।
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मूर्ति विरोध के पीछे संतों का ये है तर्क
राम मूर्ति को लेकर विरोध के पीछे संत तर्क दे रहे हैं। धर्म संसद में पहुंचें संतों का कहना है कि राम की 221 मीटर ऊंची मूर्ति भगवान का अपमान है। पक्षी और जीव जंतु खुले में लगी मूर्ति के आसपास घूमेंगे। भगवान की मूर्ति सिर्फ मंदिरों में रखी जा सकती है, जो चारो ओर से घिरी हो। संतों के मुताबिक ऐसा लग रहा है कि बीजेपी सरकार सरदार पटेल और श्रीराम में होड़ पैदा करना चाहती है। संतों ने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि लोगों की भावनाएं आहत करने वाला कोई कार्य ना करें, वर्ना संत समाज आंदोलन को बाध्य होगा।
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