UP Politics: सात बागी विधायकों के खिलाफ एक्शन मोड में सपा, सदस्यता रद्द कराने की तैयारी, मुश्किल हुई आगे की सियासी राह

UP Politics: सपा से बगावत करने वाले इन विधायकों को भी सत्तारूढ़ पार्टी से बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद थी मगर अभी तक ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-06-21 06:57 GMT

Akhilesh Yadav  (photo:social media )

UP Politics: लोकसभा चुनाव से पूर्व हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान सपा से बगावत करके भाजपा के पक्ष में मतदान करने वाले सात विधायकों की सदस्यता अब खतरे में पड़ गई है। समाजवादी पार्टी का कहना है कि पार्टी इन विधायकों के खिलाफ विधानसभा के स्पीकर के पास शिकायत दर्ज कराएगी और इन विधायकों की सदस्यता रद्द कराई जाएगी।

इन विधायकों के बागी तेवर अपनाने के कारण राज्यसभा में भाजपा को बड़ा फायदा हुआ था और पार्टी का एक अतिरिक्त उम्मीदवार जीत हासिल करने में कामयाब रहा था। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी को करारा झटका लगा था क्योंकि पार्टी के तीसरे उम्मीदवार और प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन को हार का सामना करना पड़ा था।

भाजपा से अभी तक नहीं मिला सियासी लाभ

राज्यसभा चुनाव के दौरान एक अतिरिक्त उम्मीदवार की जीत से भाजपा काफी उत्साहित दिखी थी। सपा से बगावत करने वाले इन विधायकों को भी सत्तारूढ़ पार्टी से बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद थी मगर अभी तक ऐसा होता नहीं दिख रहा है। वैसे सपा के इन बागी विधायकों के साथ आने का लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को कोई सियासी लाभ नहीं मिल सका था।

इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा को रायबरेली और अमेठी दोनों लोकसभा सीटों पर बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। सपा से बगावत करने वाले विधायकों में रायबरेली की ऊंचाहार विधानसभा सीट के विधायक मनोज पांडेय भी शामिल हैं।


सदस्यता रद्द कराने की सपा की तैयारी

अब इन विधायकों की स्थिति ‘माया मिली न राम’ वाली हो गई है। भाजपा के पास सियासी फायदे के लिए गए इन विधायकों के सामने अब सदस्यता जाने का खतरा पैदा हो गया है। जानकारों का कहना है कि यदि सपा इन विधायकों की सदस्यता रद्द कराने में कामयाब रही तो इन विधायकों को बड़ा झटका लगेगा क्योंकि विधानसभा का अभी पूरे तीन साल का कार्यकाल बाकी है।

स्पीकर के बड़ा फैसला लेने की स्थिति में वे किसी भी सदन के सदस्य नहीं रह जाएंगे और यदि भाजपा की ओर से उपचुनाव में टिकट नहीं मिला तो इनके लिए स्थिति और विकट हो जाएगी।


लोकसभा चुनाव में भाजपा को भी फायदा नहीं

इन विधायकों के साथ देने के कारण भाजपा ने राज्यसभा चुनाव में तो बड़ा फायदा उठा लिया मगर लोकसभा चुनाव में पार्टी को इन विधायकों से कोई लाभ नहीं हासिल हो सका। सपा से विधायक बगावत करने वाले विधायकों में मनोज पांडेय के अलावा पूजा पाल, अभय सिंह, राकेश पांडेय, विनोद चतुर्वेदी और आशुतोष वर्मा जैसे दिग्गज शामिल है और इन सभी विधायकों के लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है।

जानकार सूत्रों का कहना है कि लोकसभा में मिली चुनावी हार के बाद से ही बीजेपी इन विधायकों के संपर्क में नहीं है और दूसरी ओर सपा पूरी तरह एक्शन मोड में दिख रही है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने साफ तौर पर कहा है कि धोखा देने वालों को किसी भी सूरत में माफ नहीं किया जा सकता।

समाजवादी पार्टी ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि गलती पर तो माफी दी जा सकती है मगर इन विधायकों ने साजिश रच कर पार्टी को सियासी नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में इन्हें माफी देने का कोई सवाल ही नहीं उठता। स्पीकर के पास शिकायत दर्ज करा कर इन विधायकों की सदस्यता रद्द कराई जाएगी।


अखिलेश यादव भी जता चुके हैं नाराजगी

राज्यसभा चुनाव में इन विधायकों की क्रॉसवोटिंग के बाद भी सपा मुखिया अखिलेश यादव ने गहरी नाराजगी जताई थी। खासतौर पर मनोज पांडेय के पालाबदल को लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव विशेष तौर पर नाराज थे। मनोज पांडेय के कारण ही सपा के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी पार्टी से इस्तीफा दिया था। इसके बावजूद उन्होंने सपा का साथ नहीं दिया और भाजपा को जीत दिलाने में मदद की।


बागी विधायकों की आगे की सियासी राह मुश्किल

सपा के इन बागी विधायकों ने राज्यसभा चुनाव के समय पार्टी नेतृत्व को अंतिम समय तक गलतफहमी में रखा और मतदान के दिन बड़ा सियासी खेल कर दिया था। इसी कारण भाजपा राज्यसभा में एक अतिरिक्त सेट झटकने में कामयाब हो गई थी जबकि सपा के तीसरे उम्मीदवार आलोक रंजन को हार का सामना करना पड़ा था।

जानकारों का कहना है कि सपा के एक्शन मोड में आ जाने के कारण अब इन बागी विधायकों की आगे की सियासी राह काफी मुश्किल नजर आ रही है। उपचुनाव में भाजपा का टिकट मिलने की स्थिति में भी जीत हासिल करना इनके लिए आसान साबित नहीं होगा। लोकसभा चुनाव के नतीजों से इस बात का संकेत पहले ही मिल चुका है।

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