सपा MLC को झटकाः अवैध कब्जे पर सालों से स्कूल खड़ा, प्रशासन ने किया ध्वस्त
औरैया में रविवार को जिला प्रशासन ने सपा के एमएलसी डॉ कमलेश पाठक के विद्यालय के कुछ हिस्से को ध्वस्त कर दिया।
औरैया। उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में सदर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला बनारसीदास में रविवार की सुबह जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। जिला प्रशासन ने समाजवादी पार्टी के एमएलसी डॉ कमलेश पाठक के विद्यालय के कुछ हिस्से को जेसीबी चलाकर ध्वस्त कर दिया। इस बारे में जिला प्रशासन का कहना है कि एमएलसी कमलेश ने अवैध रूप से कब्जा करते हुए यहां पर निर्माण कराया था, जिसे न्यायालय के आदेश के बाद गिरा दिया गया।
सपा एमएलसी डॉ कमलेश पाठक पर औरैया जिला प्रशासन की बड़ी कार्रवाई
सपा एमएलसी के विद्यालय के कुछ हिस्से को किया ध्वस्त
इसके बाद जेसीबी से निर्माण ध्वस्त किए जाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई। देखते ही देखते जेसीबी चालको ने अवैध रूप से बनाए गए भवन को जमींदोज कर दिया। वही इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्य द्वारा अपर जिला अधिकारी रेखा एस चौहान से निवेदन किया गया कि अगर स्कूल का यह हिस्सा ध्वस्त हो जाएगा तो बच्चों की पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न होगा। मगर अपर जिलाधिकारी ने न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कार्यवाही में व्यवधान न डाले जाने की बात कही।
इस बारे में जानकारी देते हुए अपर जिला अधिकारी रेखा एस चौहान ने बताया कि कमलेश पाठक ने अवैध कब्जइ कर स्कूल निर्माण करवाया था, जिसे बेदखल कर दिया गया है। उनसे 3 लाख 75 हजार रुपए क्षतिपूर्ति तथा 10 रुपये निष्पादन व्यय आरोपित किया जाता है। उन्होंने बताया क्षति पूर्ति बसूली के लिए कमलेश पाठक को नोटिस जारी किया जाएगा।
तीन साल से कमलेश पाठक ने कर रखा है जमीन पर कब्जा
वहीं जिस जगह अवैध निर्माण हुआ वह भूमि बंजर के रूप में सरकारी अभिलेखों में दर्ज हैं। जिस पर करीब तीन साल से कमलेश पाठक अवैध कब्जा किए हुए हैं। अतिक्रमण कर्ता की ओर से 14 दिसंबर 2020 को आपत्ति प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया था। जिसमें आपत्ति करने हेतु एक माह का अवसर चाहा गया था। मगर एक माह का अवसर बीत जाने पर भी आपत्ति प्रस्तुत नहीं की गई। इसलिए न्यायालय ने भवन को ध्वस्त कर भूमि को अपने कब्जे में लेने के आदेश जारी कर दिए।
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वही समाजवादी पार्टी के एमएलसी डॉक्टर कमलेश पाठक के पुत्र डॉक्टर तिलकराज पाठक ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा यह कार्रवाई विद्वेष भावना से की जा रही है। जबकि भूमि के सभी कागजात उनके पास उपलब्ध है। यही नहीं जिला प्रशासन ने उन्हें कोई भी नोटिस जारी नहीं किया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि जिसकी तारीख 6 अप्रैल निर्धारित थी उसे जिला प्रशासन ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए 25 फरवरी दिखाकर उसे निरस्त कर दिया। कहा कि भवन गिराए जाने की प्रक्रिया पूरी तरह से राजनीतिक विद्वेष के कारण हुई है। उन्होंने कहा कि वह इस बारे में न्यायालय में अपील करेंगे।