UP Politics: समाजवादी पार्टी को करारा झटका, नहीं रहा यूपी विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा
UP Politics: उत्तर प्रदेश विधान परिषद में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। विधान परिषद में सपा की नेता प्रतिपक्ष की मान्यता खत्म हो गई है।
UP Politics: उत्तर प्रदेश विधान परिषद में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को बड़ा झटका लगा है। विधान परिषद में सपा की नेता प्रतिपक्ष की मान्यता खत्म हो गई है। 100 सदस्यों वाली विधान परिषद में 10 प्रतिशत से अधिक सदस्य रहने पर नेता प्रतिपक्ष पद होता है। लेकिन, समाजवादी पार्टी के 9 सदस्य ही सदन में हैं।
उत्तर प्रदेश एमएलसी चुनाव (MLC Elections) के रिजल्ट आ गए हैं। कुल पांच सीटों में से भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 4 सीटों पर जीत दर्ज की। जबकि, एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की। लेकिन इस चुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को सभी सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा। इस हार के बाद अब सपा को विधान परिषद में एक और झटका लगा है।
100 सीटों वाले विधान परिषद में सपा के मात्र 9 MLC
दरअसल, समाजवादी पार्टी के लिए एमएलसी चुनाव (UP MLC Election) में कम से कम एक सीट पर जीत दर्ज करना जरूरी थी। सपा अगर एक सीट पर भी दर्ज कर पाती तो विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी को बचाया जा सकता था। सदन में सपा के कुल 9 सदस्य हैं। पार्टी को नेता विपक्ष की कुर्सी को बचाए रख पाने के लिए एक और सीट की दरकार थी। लेकिन पार्टी के तमाम प्रयास धरे के धरे रह गए। लाख कोशिशों के बाद भी सपा को जीत नहीं मिली। इसे विधान परिषद में समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव के लिए एक और झटके के तौर पर देखा जा रहा है। अब विधान परिषद के कुल 100 सदस्यों में सपा के केवल 9 सदस्य हैं।
MLC चुनाव में किस सीट पर कौन जीता?
यूपी एमएलसी चुनाव की बात करें तो बरेली-मुरादाबाद खंड स्नातक सीट, गोरखपुर-फैजाबाद स्नातक सीट, कानपुर-उन्नाव स्नातक खंड और झांसी-इलाहाबाद शिक्षक खंड सीट पर बीजेपी प्रत्याशी ने जीत दर्ज की। वहीं, कानपुर शिक्षक खंड की सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी राज बहादुर चंदेल ने जीत दर्ज की। समाजवादी पार्टी के हिस्से कोई सीट नहीं आई।
सपा के लिए बीजेपी से ज्यादा अहम थे MLC चुनाव
उत्तर प्रदेश विधान परिषद (MLC) में चुनाव से पहले बीजेपी 73 सदस्य थे। बीजेपी के हिस्से सबसे ज्यादा सदस्य हैं। समाजवादी पार्टी के 9, बहुजन समाज पार्टी के 1, शिक्षक गुट के 2, निर्दलीय कोटे से 4, अनुप्रिया पटेल की अपना दल (एस), संजय निषाद की निषाद पार्टी, रघुराज प्रताप सिंह की जनसत्ता दल के एक-एक सदस्य हैं। शेष रिक्त पांच सीटों के लिए चुनाव हुए हैं। नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी हासिल करने के लिए हर हाल में समाजवादी पार्टी को कम से कम एक एमएलसी सीट जीतना आवश्यक था। इसीलिए नजरिये से सपा के लिए बीजेपी से ज्यादा ये चुनाव अहम था।