Jaunpur News: सपा में जन प्रतिनिधियों की गुटबाजी से पार्टी बना संगठन विहीन, जिले में नहीं बन पायी कमेटी

Jaunpur News: समाजवादी पार्टी के अन्दर बड़े नेताओ के बीच चल रही गुटबाजी ने सपा को लगभग दो सप्ताह से जिले में संगठन विहीन करके रख दिया है।

Update:2023-07-15 16:54 IST

Jaunpur News: सपा का राष्ट्रीय नेतृत्व आगामी लोकसभा 2024 के चुनाव में प्रदेश के अन्दर साइकिल को तेज दौड़ाने का जहां दावा कर रहा है, वहीं जनपद जौनपुर में समाजवादी पार्टी के अन्दर बड़े नेताओ के बीच चल रही गुटबाजी ने सपा को लगभग दो सप्ताह से जिले में संगठन विहीन करके रख दिया है। पार्टी के सभी नेता एवं जन प्रतिनिधि अपनी ढपली और अपनी राग बजाने में परेशान है। ऐसे में राष्ट्रीय नेतृत्व का सपना जनपद जौनपुर में साकार हो सकेगा कहना बेहद कठिन है। संगठन के अभाव में कार्यकर्ता भी तितर-बितर नजर आने लगे है।

आपको बता दे कि सपा नेतृत्व द्वारा 24 अप्रैल को जनपद के सपा नेता डाॅ. अवधनाथ पाल को जिलाध्यक्ष बनाये जाने के साथ ही पार्टी के जन प्रतिनिधियों में गुटबाजी की राजनीति शुरू हो गई, लेकिन कोई खुलकर सामने नहीं आया और अन्दर खाने में तीर चलने लगे। जिला कमेटी के अन्य पदाधिकारियों के चयन पर गुटबाजी साफ दिखाई देने लगी। इस गुटीय जंग में विधायक केराकत तूफानी सरोज, विधायक मल्हनी लकी यादव और पूर्व मंत्री शैलेंद्र यादव ललई आमने सामने आकर फ्रन्ट पर सियासी जंग शुरू कर दिये। इस जंग में जिलाध्यक्ष डाॅ. पाल लकी और ललई के पाले में खेलने लगे इसके बाद तुफानी ने कुछ अल्पसंख्यक नेताओ को आगे करके 2 जुलाई 23 को पूरी कमेटी को ही भंग करा दिया और जौनपुर जनपद जिला संगठन विहीन हो गया।

लगभग दो सप्ताह होने को है और आज तक सपा का कोई भी जिलाध्यक्ष नहीं घोषित हो सका है। खबर है कि अब फिर रस्साकसी कमेटी की बहाली और पूरी तरह नयी कमेटी बनाने को लेकर चल रही है। जिला कमेटी में अल्पसंख्यक समुदाय से कोई नेता महत्वपूर्ण पद पर न रखे जाने से पूरे जिले के मुसलमान नाराज हो गये है जो लोकसभा के चुनाव में अपनी राह बदलने की तैयारी में नजर आ रहे है। ऐसा होने पर सपा को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। हलांकि सपा में चल रही जंग का लाभ सत्तारूढ़ दल को मिलने के प्रबल चांस राजनैतिक समीक्षक बता रहे है।

सपा के एक जिम्मेदार नेता ने बताया कि अगर भंग जिला कमेटी को नेतृत्व ने पुन: बहाल किया तो सपा का जिले में अब मटियामेट होना तय हो जाएगा। नयी कमेटी लायी गई तो पुरानी कमेटी और विधायक और पूर्व मंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर लग सकती है। कुछ ऐसे भी सपाई नेता है जो हाशिए पर बैठ कर आपस में नेताओ को भिड़ाने का खेल कर रहे है जिसका असर पार्टी की मजबूती पर पड़ना स्वभाविक है। अगर यह कहा जाए कि जिले के अन्दर पूरी सपा तुफानी सरोज विधायक, लकी यादव विधायक और पूर्व मंत्री शैलेंद्र यादव ललई के इर्द-गिर्द घूम रही है तो अतिशयोक्ति नहीं होगा। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले पूर्व कमेटी में महासचिव की भूमिका निभाने वाले अल्पसंख्यक नेता भी आग लगाने वाली राजनैतिक रोटी सेंक रहे है। जो भी हो सपा नेताओ की गुटबाजी लोक सभा के चुनाव में अपना असर दिखायेगी इससे तो इनकार नहीं है लेकिन कितना असर होगा इसका अभी आकलन नहीं मिल सका है। अब सवाल यह भी है कि जिले में चुनाव तक पार्टी संगठन विहीन रहेगी या फिर किसी के सर ताज बंधेगा ?

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