Sanjeev Maheshwari Jeeva Murder: कभी पत्रकार के भेष में अतीक को मारा, अब वकील बन मुख्तार के करीबी को किया ढ़ेर

Sanjeev Maheshwari Jeeva Murder : माफिया अतीक अहमद हो या जीवा की हत्या पैटर्न बदला हुआ है। इन दोनों मामलों में शूटर कम उम्र के हैं। साथ ही, पत्रकार या वकील के भेष में सुरक्षा में सेंध लगाने में कामयाब भी हुए हैं।

Update: 2023-06-07 21:52 GMT
अतीक भाई अशरफ के साथ और मुख़्तार व जीवा (Social Media)

Sanjeev Jeeva Murder : संगम नगरी प्रयागराज में उमेश पाल घर के बाहर गोलियों से छलनी कर दिया गया था। उमेश पाल हत्याकांड से शुरू हुआ सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। इसी कड़ी में बुधवार (07 जून) को लखनऊ कोर्ट में संजीव माहेश्वरी जीवा की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। इससे पहले, यूपी के कुख्यात माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को भी इसी तरह सरेआम गोलियों से भून दिया गया। इन सभी हत्याओं में एक बात सामान्य है। ये मौतें पुलिस सुरक्षा के बीच हुई।

हाल के महीनों में उत्तर प्रदेश में क़ानूनी सुरक्षा के बीच हत्याओं का सिलसिला सा चल पड़ा है, जो कब थमेगा कोई नहीं बता सकता। राजधानी लखनऊ में अदालत के भीतर संजीव माहेश्वरी की जब हत्या हुई तो लोगों के दिलो दिमाग पर एक बार फिर पिछली हत्याएं घूम गई।

वकील के कपड़ों में था आरोपी

बीजेपी के कद्दावर नेता रहे ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड (Brahmadatta Dwivedi murder case) के आरोपी संजीव माहेश्वरी को कोर्ट परिसर के भीतर गोली मारने वाला शख्स वकील के कपड़ों में था। काले कोट में हत्यारा कोर्ट रूम में काले कोट में आया था। साफ है इसकी वजह ये रही होगी कि, वकील के भेष में उस पर कोई शक न करे और वो अपने मंसूबों को अंजाम दे सके। हुआ भी वैसा ही। जीवा की हत्या के बाद आरोपी भागने की फिराक में जरूर था, लेकिन मौके पर मौजूद पुलिस ने उसे दबोच लिया।

कभी पत्रकार तो कभी वकील के भेष में शूटर

इस हत्याकांड ने उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर जरूर सवालिया निशान खड़े किए। आरोपी को भले ही गिरफ्तार कर लिया गया, मगर आने वाले दिनों में इस तरह की वारदात फिर नहीं होगी, इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता। चाहे माफिया अतीक अहमद-अशरफ की हत्या हो या संजीव माहेश्वरी जीवा (Sanjeev Maheshwari Jeeva Murder) की, पैटर्न एक ही नजर आया। अतीक की हत्या में शूटर पत्रकार बनकर आए थे तो जीवा की हत्या वकील के भेष में आए शख्स ने की। लगता है हत्यारों ने वारदात को अंजाम देने का पुराना पैटर्न छोड़ दिया है। इसीलिए कभी पत्रकार तो कभी वकील के रूप में अपने मंसूबों को अंजाम दे रहे हैं।

हत्याकांड में कम उम्र के नए शूटर्स

पुलिस के लिए एक नई चुनौती नए शूटर्स का सामने आना भी होगा। याद करें, अप्रैल महीने में जब माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को जिन तीन शूटर्स ने मौत के घाट उतारा था वो बेहद कम उम्र के लड़के थे। अतीक और अशरफ को मारने वाले ये तीनों शख्स मीडियाकर्मी के रूप में आए थे। उनके हाथों में माइक और कैमरा था। गले में आई कार्ड भी था। हत्या के बाद तीनों ने ही सरेंडर कर दिया था। ठीक उसी तरह, 07 जून को जब अदालत के भीतर जीवा की हत्या हुई तो शूटर वकील की पोशाक में था। सभी जानते हैं कि, जब इस तरह के बड़े अपराधियों को कोर्ट में पेश किया जाता है तो सुरक्षा-व्यवस्था किस कदर सख्त होती है। बावजूद, ऐसी वारदात कानून-व्यवस्था पर सवाल तो खड़ी करती ही है।

जीवा की पत्नी ने जताई थी हत्या की आशंका

आने वाले दिन योगी सरकार के लिए उतने भी आसान नहीं होने वाले हैं। क्योंकि, अतीक अहमद हों या जीवा दोनों पर ही हमले की आशंका जाहिर की गई थी। पुलिस सुरक्षा में उन्हें लाया ले जाया भी जा रहा था, बावजूद जानलेवा हमला हुआ। शूटर्स मंसूबे में कामयाब हुए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संजीव माहेश्वरी की पत्नी ने भी हत्या की आशंका जताई थी। बता दें, जीवा की पत्नी आरएलडी की नेता हैं उनका नाम पायल माहेश्वरी है।

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