कोरोना के इलाज के लिए मिली संजीवनी: कुलपति

देश में कोविड-19 आने के साथ ही विश्वविद्यालय ने कोराना के सम्बन्ध में रिसर्च करना शुरू कर दिया। अभी भी विश्वविद्यालय में कोविड-19 से सम्बन्धित 20 शोध-पत्र जारी किये गये हैं तथा अधिकांश जल्दी ही प्रकाशित भी होंगे।

Update:2020-06-09 18:02 IST
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इटावा- कोविड-19 महामारी से जूझ रहे भारत समेत पूरे विश्व को आखिरकार विश्वविद्यालय द्वारा रिसर्च में प्रमाणित राज निर्वाण बटी (आरएनबी) संजीवनी मिल गयी। राज निर्वाण बटी (आरएनबी) साइंटिफिक मेथोडोलाॅजी के लेवल- 3 मानक के अनुसार विश्व की पहली एलोवैदिक दवा है जिसकी उपयोगिता सिद्ध हुई है।

यह लोग थे उपस्थित

चिकित्सा विश्वविद्यालय सैफई के कोविड-19 अस्पताल में अब तक भर्ती कुल 134 कोरोना संक्रमित मरीजों में से 91 कोरोना संक्रमित मरीज ठीक होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं। यह जानकारी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डा. राजकुमार ने एक प्रेस वार्ता में दी। इसमें कुलपति प्रो. राजकुमार के अलावा योगिराज निर्वाण देव, प्रतिकुलपति डा. रमाकान्त यादव, संकायाध्यक्ष डा. आलोक कुमार, चिकित्सा अधीक्षक डा. आदेश कुमार, कुलसचिव सुरेश चन्द्र शर्मा, ओएसडी शैलेन्द्र कुमार यादव, अपर चिकित्सा अधीक्षक डा. एसपी सिंह, नोडल अधिकारी कोविड-19 डा. रमाकान्त रावत आदि उपस्थित रहे।

12 आयुर्वेदिक दवाओं के घटक

राज निर्वाण बटी (आरएनबी) एवं राज निर्वाण काढ़ा (आरएनके) पर विस्तार से चर्चा करते हुए कुलपति प्रो. डा. राजकुमार ने बताया कि वर्तमान में आरएनबी में कुल 12 आयुर्वेदिक दवाओं के घटक हैं। इस बटी पर तीन शोध पत्र जारी हो चुके हैं तथा एक शोध पत्र का प्रकाशन भी हो चुका है। इस दवा को साइंटिफिक कमिटी, इथिकल कमिटी, कोरोना कमिटी से अनुमोदन मिल चुका है तथा आईसीएमआर से भी जल्दी ही अनुमोदन मिलने की उम्मीद है। राज निर्वाण बटी (आरएनबी) को 40 माॅडरेट लक्षण वाले कोरोना के संक्रमित मरीजों पर सुबह शाम 125 मिली ग्रा. मात्रा 05 मिली ग्रा. शहद के साथ दी गयी जिससे 30 मरीज पूरी तरह इस आयुर्वेदिक दवा के प्रयोग से ठीक हो गये।

जिसमें 26 कोविड मरीजों के कोविड टेस्ट 05वें दिन निगेटिव रहे तथा 4 मरीजों के कोविड टेस्ट 10वें दिन निगेटिव आये। इस आयुर्वेदिक दवा के साथ कोविड-19 अस्पताल में भर्ती सभी कोरोना संक्रमित मरीजों तथा कोविड-19 अस्पताल में कार्यरत् सभी हेल्थ वर्कस को नियमित रूप से दो समय राज निर्वाण काढ़ा (आरएनके) भी दिया गया जिसका बेहद सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला। इस बटी (आरएनबी) के प्रभाव पर 03 शोध पत्र भी विश्वविद्यालय द्वारा जारी किये गये हैं तथा 01 शोध पत्र का प्रकाशन भी प्रतिष्ठित जर्नल में हो चुका है।

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अनुमति देने पर विचार

इसके साथ ही दवा के सकारात्मक प्रभावों को देखते हुए प्रदेश सरकार इसको प्रदेश के अन्य कोविड संक्रमित मरीजों पर प्रयोग करने की अनुमति देने का भी विचार कर रही है। इस प्रयोग की खास बात यह भी है कि इन 30 कोरोना पाॅजिटिव मरीजों में 9 मरीज 60 वर्ष से ऊपर आयु के 08 मरीज किसी न किसी रूप में गंभीर बीमारी जिसमें डायविटिज, हार्ट अटैक, कैंसर आदि प्रमुख है से ग्रसित थे ठीक हुए। प्रो. राजकुमार ने यह भी बताया कि यह दवा वैश्विक मानकों के अनुसार लेवल 03 पर आती है तथा इस पर अभी रिसर्च चल रहा है तथा हमारी कोशिश है कि इसे मानक 01 एवं 02 पर लाया जाये ताकि विश्वस्तर पर इसका फायदा कोविड-19 संक्रमित मरीजों को मिल सके। ध्यान देने वाली बात यह है कि पूरे विश्व में कोरोना पर अभी किसी प्रकार की दवा इजाद नहीं हुई है।

रिसर्च करना शुरू किया

देश में कोविड-19 आने के साथ ही विश्वविद्यालय ने कोराना के सम्बन्ध में रिसर्च करना शुरू कर दिया। अभी भी विश्वविद्यालय में कोविड-19 से सम्बन्धित 20 शोध-पत्र जारी किये गये हैं तथा अधिकांश जल्दी ही प्रकाशित भी होंगे। इन रिसर्चों में यह देखा गया कि कोरोना शरीर के किन-किन हिस्सों पर पहले अटैक करता है जिसकी वजह से कोविड मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। इसके बाद प्राचीन चिकित्सा की उन दवाओं को छाॅटा गया जो इन सिस्टम के लिए कारगर है।

इसके पश्चात् इन प्राचीन दवाओं पर आधुनिक चिकित्सा में हुए शोधों को देखा गया। इस बात का विशेष ध्यान दिया गया कि कोरोना शरीर के किन भागों पर अटैक करता है, और प्राचीन चिकित्सा में कौन सी दवायें हैं जो इन जगहों को प्रोटेक्ट कर सकती हैं। इस महत्वपूर्ण रिसर्च के लिए विश्वविद्यायल द्वारा विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य की मदद भी ली गयी।

रिपोर्टर - उवैश चौधरी, इटावा

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