रायबरेली: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की जांच में मिले करोड़ों के छात्रवृति घोटाले में प्रदेश के वीवीआईपी जिले रायबरेली का भी नाम शामिल है। अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्र- छात्राओं को दी जाने वाली छात्रवृति में लगभग 1,200 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया था।
कैग ने वर्ष 2014 -15 में दी जाने वाली छात्रवृति की जांच की, जिसमें करोड़ों का घोटाला उजागर हुआ। अब तक की जांच में 10 जिलों का ऑडिट किया गया है। जिसमें प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत मेरठ, आगरा, सहारनपुर, अलीगढ़, बिजनौर, इलाहाबाद, मथुरा सहित रायबरेली का नाम शामिल है। यही नहीं पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी इस घोटाले की परिधि में है।
क्या है मामला?
कैग द्वारा अनुसूचित जाति और जनजाति छात्र-छात्राओं को दी जाने वाली छात्रवृति की जांच में 1,200 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आने के बाद जिलों के समाज कल्याण विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। यहां तक की सीएजी ने जिले में में एक पत्र भेजकर विभाग से इस घोटाले के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है। सूत्रों की मानें, तो वर्ष 2014-15 में जिले में अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्र-छात्राओं को छात्रवृति बांटी गई थी उसमें मानक से करीब 27 लाख रुपए ज्यादा बांटे गए थे। कैग ने इसी रुपए के खर्च पर सवाल उठाते हुए अपनी कार्यवाही की है।
एक ही विश्वविद्यालय के कई स्कूलों में फर्जीवाड़ा!
वहीं, जिला समाज कल्याण विभाग में इस मामले को लेकर कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। हालांकि, सूत्र बताते हैं कि कैग की रिपोर्ट में खर्च रुपए की बात सामने आई है ऐसा एक ही विश्वविद्यालय के अलग-अलग स्कूलों में असमान फीस के कारण हुआ है। प्रत्येक विद्यालय का अपना फी स्ट्रक्चर होता है। जबकि छात्रवृति का मानक एक ही है। ऐसे में जब कुल छात्रों के हिसाब से मानक के अनुरूप छात्रवृति की गणना की जाएगी, तो अंतर आना स्वाभाविक है।
मैं कुछ नहीं बता सकता
इस संबंध में रायबरेली के जिला समाज कल्याण अधिकारी के.के सिंह ने कहा, 'कैग द्वारा वर्ष 2014-15 में बांटी गयी छात्रवृति की ऑडिट की गई है। इस सम्बन्ध में विभाग से एक पत्र प्राप्त हुआ है। लेकिन इस मामले पर मैं कुछ नहीं बता सकता।'
कोई पत्र आया है, लेकिन विशेष जानकारी नहीं
रायबरेली के जिलाधिकारी संजय खत्री का कहना है, कि 'अभी तक कैग की कोई भी रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। जिला समाज कल्याण विभाग से जानकारी जरूर मिली है कि कोई पत्र आया है, जिसमें विभिन्न स्कूलों द्वारा छात्रवृति की अधिक धनराशि ली गई है, इस संबंध में जो भी उचित कार्यवाही होगी वह की जाएगी।'