पुलिस को चुनौतीः बागपत में अबतक 7 का मर्डर, ADG-SP भी बदमाशों के आगे बेबस

Update: 2016-10-12 06:40 GMT

बागपतः जिले में हत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बागपत में अब तक 7 लोगों का मर्डर हो चुका है। इसमें एडीजी और एसपी भी बदमाशों के आगे बेबस नजर आ रहे हैं। सोमवार को हुई पांच हत्याओं की तफ्तीश करने एडीजी क्राइम बागपत में डेरा डाले थे, लेकिन इसके बावजूद यहां गोलियां बरसी और पिता-पुत्र की हत्या कर दी गई। इसमें और तीन लोग घायल हो गए। इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि आखिर बागपत में पुलिस का खौफ कितना है। आलम ये है कि जिस दोघट थाना इलाके में पांच हत्याएं हुई, उसी थाना इलाके में ही ये दो हत्याएं हो गई।

गांव में तैनात थे पुलिस कर्मी फिर भी हुआ हादसा

एडीजी क्राइम अभय कुमार बागपत के दोघट थाना इलाके के गांगनौली गांव में हुई दो पुलिसकर्मियों और तीन लोगों की हत्या के मामले में दौरे पर थे। घटनास्थल और गांव में पुलिस का पहरा भी बढ़ा दिया था। गांव में घूमने और अधिकारियों को निर्देश देकर एडीजी क्राइम गांगनौली गांव से बागपत पुलिस लाइन भी नहीं पहुंचे थे, कि तभी खबर आई कि दोघट थाना इलाके के निरपुडा गांव में गोलियां चल गईं हैं। गोलियां भी एसी चली कि पिता-पुत्र की लाश बिछ गई, जबकि तीन लोग घायल हो गए। पुलिस का अमला फिर निरपुडा की तरफ दौड़ पड़ा। गांव में जमीन खून से लाल थी, दो लाशें पड़ी थी और तीन गोलियां लगने से घायल होकर इलाज के लिए तरस रहे थे।

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क्या था मामला?

छपरौली गांव के रहने वाले सुनील ने अपने साढू नरेश उर्फ विनोद के साथ पशु डेयरी में साझा किया था। साढ़े तीन लाख रूपए को लेकर दोनों में विवाद हो गया। कई बार इसको लेकर मारपीट भी हुई थी। मंगलवार को नरेश ने निरपुडा गांव में आपसी लोगों की बैठक बुलाई और इसमें सुनील अपने बेटे नितिन, अंकित और कुछ अन्य रिश्तेदारों को लेकर पहुंच गए। बात शुरू ही हुई थी कि कहासुनी होते-होते मारपीट में बदल गई। आरोप है कि सुनील और उसके बेटों ने गोलियां बरसा डाली।

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इसमें सुनील और उनके बेटे नितिन की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरा बेटा अंकिल लहूलुहान हो गया। दो अन्य लोगों को भी गोली लग गई। इससे वहां भगदड मच गई। चूंकि एडीजी क्राइम अभय कुमार प्रसाद बागपत थे तो पुलिस भी जगह-जगह अलर्ट थी। इसलिए थोड़ी ही देर में पुलिस गांव में पहुंच गई और घेराबंदी शुरू कर दी। पुलिस को मौके से कई खोखें भी मिलें हैं, लेकिन पुलिस अधिकारी बोलने से बच रहें हैं।

इस घटना ने ये साबित कर दिया कि चाहे लोकल पुलिस और चाहे लखनऊ से आए बड़े अधिकारी। घटना को अंजाम देने वालों में इस बात का जरा भी खौफ नहीं है। अब पुलिस इन हत्यारोपियों को कब तक अरेस्ट करती है।

 

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