सीतापुर: मंत्री ने किया ‘शिक्षा किरण’ का अनावरण, इन जिलों को मिलेगा लाभ

डॉक्टर सतीश चंद्र द्विवेदी ने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी और स्कूलों के बंद होने के चलते खासकर हमारे देश के ग्रामीण इलाकों में बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई है।

Update:2021-01-29 19:47 IST
सीतापुर: मंत्री ने किया ‘शिक्षा किरण’ का अनावरण, इन जिलों को मिलेगा लाभ

सीतापुर। 10 बिलियन अमेरिकी डाॅलर के अग्रणी वैश्विक समूह, एचसीएल के संस्थापक, श्री शिव नादर के समाजसेवी अभियान, शिव नादर फाउंडेशन ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में मौलिक शिक्षा के लिए राज्यमंत्री (आईसी), डाॅक्टर सतीश चंद्र द्विवेदी की मौजूदगी में अपने मोबाईल ग्रामीण साक्षरता अभियान- शिक्षा किरण का अनावरण किया। डाॅक्टर सतीश चंद्र द्विवेदी इस समारोह के मुख्य अतिथि थे। शिक्षा किरण का उद्देश्य क्लासरूम को यूपी के ग्रामीण इलाकों, खासकर सबसे दूरदराज के इलाकों में विद्यार्थियों और व्यस्कों के द्वार तक पहुंचाना है। इस कार्यक्रम में विशेष डिज़ाईन के वाहन यूपी के तीन जिलों- सीतापुर, बुलंदशहर और गौतम बुद्ध नगर के 36 गांवों में जाएंगे और उन बच्चों एवं व्यस्कों तक पहुंचेंगे, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के चलते शिक्षा एवं साक्षरता प्राप्त करने के अवसर गंवा बैठे।

शिव नादर फाउंडेशन

डॉक्टर द्विवेदी ने एक संदेश साझा कर खासकर कोविड-19 महामारी के चलते उत्पन्न हुई चुनौतियों के बीच राज्य के वंचित समुदायों के लिए शिक्षा की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए शिव नादर फाउंडेशन के प्रयासों की सराहना की।

कोविड से बच्चों की शिक्षा हुई प्रभावित

इस अवसर पर डॉक्टर सतीश चंद्र द्विवेदी ने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी और स्कूलों के बंद होने के चलते खासकर हमारे देश के ग्रामीण इलाकों में बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई है। हम विद्यार्थियों के स्वास्थ्य को सर्वोपरि रखते हुए आवश्यक प्रोटोकॉल्स के साथ उच्च स्तर पर स्कूलों को दोबारा खोलने के सावधानीपूर्वक कदम उठा रहे हैं, लेकिन प्राथमिक स्तर के बच्चे ऑनलाइन माध्यम से अपनी शिक्षा जारी रख सकते हैं। यह दूरदराज के ग्रामीण इलाकों के बच्चों के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण है, जिसके पास डिजिटल संसाधनों की कमी होती है।"

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शिक्षा किरण की टीम की सराहना

द्विवेदी ने आगे कहा, "शिक्षा किरण की टीम ने इन बच्चों तक स्कूल की मौलिक शिक्षा पहुंचाने के लिए उल्लेखनीय अभियान चलाया है। मैं इस चुनौतीपूर्ण समय में इन बच्चों के अध्ययन का सफर जारी रखने के उनके इस प्रयास की सराहना करता हूँ। मैं इस अभियान के लिए शिव नादर फाउंडेशन को भी धन्यवाद देता हूँ और यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश राज्य को समर्पित करता हूँ।’’

शिक्षा किरण

रॉबिन सरकार, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, शिक्षा अभियान ने कहा, ‘‘शिक्षा किरण 2012 में शिव नादर फाउंडेशन द्वारा शुरू किए गए व्यापक शिक्षा अभियान का हिस्सा है। इसका मिशन एक साक्षर व सशक्त भारत का निर्माण करना है। पिछले नौ सालों में हमने इन्फॉर्मेशन कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (आईसीटी) का उपयोग कर गांवों में प्राथमिक स्कूल के विद्यार्थियों के बीच अध्ययन के परिणाम सुधारने एवं व्यस्कों के लिए मौलिक साक्षरता कार्यक्रम चलाने का प्रयास किया है। हमारे प्रयासों के परिणाम दिखे और हमने आईसीटी का उपयोग कर 827 स्कूलों में 70,000 से ज्यादा विद्यार्थियों के अध्ययन के परिणामों में सुधार किया, 1654 टीचर्स को प्रशिक्षित कर पढ़ाने के तरीके को ज्यादा प्रभावशाली एवं दिलचस्प बनाया।"

महामारी के कारण कोई विद्यार्थी पीछे छूटे ना

डायरेक्टर ने आगे कहा, "शिक्षा किरण हमारे मिशन का एक और प्रयास है और यह इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इस समय यह सुनिश्चित करने की अत्यधिक आवश्यकता है कि महामारी की चुनौतियों का सामना करते हुए कोई भी विद्यार्थी पीछे छूटे न रह जाए। हमें उत्तर प्रदेश सरकार के तीन जिलों में शिक्षा किरण कार्यक्रम का क्रियान्वयन करने की खुशी है।’’

लर्निंग यूनिट्स दूर करेंगी शिक्षा की कमी

शिक्षा किरण लर्निंग यूनिट्स शिक्षा आपूर्ति की कमी को पूरा करने के लिए काम करेंगी, जो महामारी के कारण उत्पन्न हुई है। ये यूनिट्स खास डिज़ाईन के 15 हफ्ते के कार्यक्रम द्वारा प्राथमिक स्कूल के विद्यार्थियों को प्रमुख लर्निंग इनपुट प्रदान करेंगी। ये लक्षित गांवों में प्रौढ़ शिक्षा एवं जागरुकता कार्यक्रम भी प्रस्तुत करेंगी।

शिक्षा किरण अभियान

भारत में स्कूल छोड़े जाने की दर बहुत ज्यादा है, जो मुख्यतः लड़कियों और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में देखने को मिलती है। शिक्षा किरण अभियान प्राथमिक स्कूल के बच्चों को अध्ययन में रुचि बनाए रखने और महामारी खत्म होने के बाद स्कूलों में पंजीकरण कराके अपनी शिक्षा जारी रखने की प्रेरणा देने के लिए डिज़ाईन किया गया है। यह कार्यक्रम अध्ययन के मुख्य परिणाम प्राप्त करने का प्रयास करता है, जिसमें फाईन मोटर स्किल्स, सेंसरी अवलोकन, क्रिटिकल थिंकिंग, विश्लेषण, गणना के सिद्धांत, इंग्लिश अक्षर आदि शामिल हैं।

एससीईआरटी पाठ्यक्रम

शिक्षा डिजिटल कंटेंट स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) पाठ्यक्रम (कक्षा 1 से कक्षा 3) के अनुरूप डिज़ाइन किया गया है। विद्यार्थियों को खास रूप से तैयार किए गए क्लासरूम्स (खुले इलाकों में, कैनोपी के नीचे) में विशेष टीचिंग-लर्निंग सामग्री (टीएलएम) जैसे ऑडियो-विज़्युअल्स, गेम्स एवं गतिविधियों द्वारा स्थानीय हिंदी भाषा में पढ़ाया जाएगा। इस तरह की शिक्षा की आपूर्ति शिक्षा किरण वाहनों द्वारा होगी, जिनमें व्यापक टीचिंग टूल्स, जैसे विशाल स्क्रीन एवं लाउडस्पीकर लगे होंगे तथा पाठ एक इंस्ट्रक्टर एवं एक असिस्टैंट द्वारा छोटे छोटे बैच में पढ़ाए जाएंगे, ताकि सोशल डिस्टैंसिंग एवं हाईजीन सुनिश्चित हो सके।

कौशल एवं कृषि का अनुभव

व्यस्कों के लिए इस कार्यक्रम में जीवन के कौशल एवं कृषि की अभिनव विधियों, जैसे जड़ी बूटियों की खेती, पशुपालन, डेयरी व्यवसाय आदि की जानकारी भी होगी। प्रतिभागियों को खासकर ग्रामीण भारत के लिए डिज़ाइन की गई नवीनतम सरकारी योजनाओं व नीतियों से भी नियमित तौर पर अवगत कराया जाएगा।

शिक्षा अभियान

शिक्षा अभियान (प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम) की शुरूआत सन 2012 में एक साक्षर व सशक्त देश बनाने के मिशन के साथ हुई। परिवर्तनकारी शिक्षा व एचसीएल टेक्नाॅलाॅजी के प्रौद्योगिकी कौशल का उपयोग करने में शिव नादर फाउंडेशन की विशेषज्ञता के साथ शिक्षा अभियान ने एक आईसीटी आधारित कार्यक्रम का निर्माण किया, जिसमें शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कर अध्ययन की प्रक्रिया को उत्तम बनाने तथा विद्यार्थियों को संलग्न व प्रेरित करने के लिए उनमें कौशल का विकास करने की सामथ्र्य है।इस अभियान का उद्देश्य शिक्षा की मौजूदा समस्याओं को दूर कर इंटरैक्टिव कंटेंट एवं समय समय पर आंकलन प्रस्तुत करते हुए शिक्षा की प्रक्रिया को ज्यादा रोचक, मजेदार व प्रभावशाली बनाना है। इस समय शिक्षा अभियान सीतापुर, गौतम बुद्ध नगर और बुलंदशहर में चल रहा है और इसका उद्देश्य एक ऐसे मॉडल का विकास करना है, जो पुनरावृत्ति योग्य, स्केलेबल एवं मापे जाने योग्य हो।

अभियान में प्रौढ़ शिक्षा का समावेश

2016 में शिक्षा अभियान में शिक्षा द्वारा प्रौढ़ शिक्षा का समावेश किया गया। शिक्षा में आईसीटी आधारित विधि का उपयोग किया जाता है, ताकि उन निरक्षर व्यस्कों को लिखना, पढ़ना एवं अंकगणित सिखाए जा सकें, जो औपचारिक रूप से स्कूल नहीं गए हैं। शिक्षा प्रोग्राम में लर्नर्स अलग अलग उम्र, संस्कृति, सामाजिक आर्थिक वर्ग, भाषा, लिंग, प्रेरणा, क्षमता/अक्षमता एवं व्यक्तिगत रुचि के हैं।

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शिव नादर फाउंडेशन

बता दें कि शिव नादर फाउंडेशन का गठन 10 बिलियन अमेरिकी डाॅलर के अग्रणी ग्लोबल टेक्नोलॉजी उद्यम- एचसीएल के संस्थापक, शिव नादर द्वारा 1994 में किया गया। यह फाउंडेशन लोगों को परिवर्तनकारी शिक्षा प्रदान कर एक समान, योग्यता-आधारित समाज के निर्माण के लिए समर्पित है तथा सामाजिक-आर्थिक अंतर को दूर करना चाहता है। पिछले 26 सालों में फाउंडेशन ने साक्षरता, के12 व उच्च शिक्षा के अपने मुख्य संस्थानों द्वारा 30,000 से ज्यादा विद्यार्थियों व एलुमनी को लाभान्वित किया है। आज इस फाउंडेशन के पास 100,000 से ज्यादा लोगों का समुदाय है, जिनमें पूरी दुनिया में फैले इसके एलुमनी और विद्यार्थी ही नहीं, अपितु फैकल्टी सदस्य, कॉर्पोरेट एक्ज़िक्यूटिव्स एवं एक्सटेंडेड परिवार भी शामिल हैं।

1 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश

फाउंडेशन ने अपने सात मुख्य संस्थानों एवं शिक्षा व कला के क्षेत्र में किए जाने वाले प्रयासों के लिए 1 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है। मौजूदा समय में 12,600 से अधिक विद्यार्थी एवं 2000 से ज्यादा फैकल्टी दुनियाभर में फैले इसके 19,000 एलुमनी समुदाय के साथ इस फाउंडेशन का हिस्सा हैं। इस फाउंडेशन के विद्यार्थी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों, जैसे अमेरिका के आईवी लीग एवं अन्य देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, चीन व यूके के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिए गए हैं। यहां के विद्यार्थी भारत तथा विश्व के मुख्य कॉर्पोरेशंस जैसे गोल्डमैन सैश्स, होंडा, एचपी, शिंडलर आदि में काम कर रहे हैं। फाउंडेशन के संस्थानों में फैकल्टी का चयन सर्वश्रेष्ठ भारतीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों से किया जाता है, और उनका शोध व इनोवेशन पर गहरा केंद्रण होता है।

‘क्रिएटिव फिलांथ्रोपी’

शिव नादर फाउंडेशन ‘क्रिएटिव फिलांथ्रोपी’ के सिद्धांत का पालन करता है। यह एक शक्तिशाली मॉडल है, जो ऐसे संस्थानों का विकास करता है, जो निरंतर काम करें और भविष्य की पीढ़ियों को लाभान्वित करते रहें। इस दृष्टिकोण द्वारा दीर्घकालिक, हाई-इंपैक्ट, सामाजिक आर्थिक परिवर्तन के लिए सतत संस्थागत फिलांथ्रोपी सुनिश्चित होती है।

रिपोर्ट- पुतान सिंह

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