क्या होने वाला है शिवपाल सिंह यादव का अगला कदम, बड़े उलटफेर के संकेत
Shivpal Singh Yadav: योगी आदित्यनाथ से हुई मुलाकात से साफ हो गया है कि चाचा भतीजे अब राजनीतिक सफर में ज्यादा लम्बा साथ निभाने को तैयार नहीं हैं।
Shivpal Singh Yadav: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले 'मुलायम परिवार' में चाचा भतीजे की खटास भले ही दूर करने के दावे किए गए हो। पर चुनाव खत्म होते ही यह खटास अब सतह दिखने लगी है। मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (samajwadi party ) के अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने जिस तरह से चुनाव के बाद एक बार फिर अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) की अनदेखी शुरू की उससे शिवपाल समर्थकों में नाराजगी साफ देखी जा रही हैं।
इसके बाद प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) से हुई मुलाकात से साफ हो गया है कि चाचा भतीजे अब राजनीतिक सफर में ज्यादा लम्बा साथ निभाने को तैयार नहीं हैं।
बतातें चलें कि विधानसभा चुनाव के पहले अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव काफी मशक्कत के बाद गठबन्धन को तैयार हुए थें। मेल मिलाप होने में शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश यादव को कई मौके दिए तब कही जाकर गठबन्धन हो सका। हांलाकि कहने को तो यह गठबन्धन था लेकिन शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाज पार्टी की जमकर उपेक्षा की गई। शिवपाल ने अपने लिए पहले 100 सीटें मांगी फिर 50 और उसके बाद 30 सीटों तक के लिए तैयार हो गए पर मिली सिर्फ एक सीट वो भी जसवंतनगर की। इसके बाद भी शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश यादव क लिए मैनपुरी के करहल में प्रचार भी किया। पर यहां भी उन्होंने खुद को उपेक्षित महसूस किया। अब जब विधानसभा चुनाव सम्पन्न हुए तो सपा के सहयोगी दलों की बैठक में शिवपाल सिंह यादव को न बुलाया जाना भी उनका बडा अपमान कहा गया। इसके बाद शिवपाल सिंह यादव अपने समर्थकों के दबाव में बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले जिसके बाद राजनीतिक क्षेत्र में तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
शिवपाल सिंह यादव जल्द होंगे एनडीए का हिस्सा!
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि शिवपाल सिंह यादव जल्द ही एनडीए का हिस्सा होने जा रहे हैं। वहीं दूसरी संभावना उनके भाजपा में शामिल होकर आजमगढ़ से लोकसभा का चुनाव लडने अथवा राज्य सभा जाने की भी है। शिवपाल समर्थकों का कहना है कि जसवंतनगर सीट से शिवपाल सिंह यादव के पुत्र आदित्य यादव को चुनाव लडना चाहिए। वैसे भी शिवपाल सिंह यादव विधानसभा चुनाव में बेटे के लिए टिकट चाहते थे, लेकिन अखिलेश यादव ने मना कर दिया था। अब वह बेटे के भविष्य को लेकर भी चिंतित हैं। इस रणनीति से उनकी यह चिंता दूर हो सकती है। भाजपा हर हाल में लोकसभा उपचुनाव में जीत दर्ज करना चाहेगी, जिससे 2024 से पहले एक और सकारात्मक संदेश दे सके। अखिलेश यादव की ओर से आजमगढ़ की सीट खाली किए जाने के बाद इस पर छह महीने के भीतर उपचुनाव होना है।