Shravasti News: पहले नवरात्र पर जिले के प्रमुख मंदिरों में उमड़ा आस्था का सैलाब, माता सीता से है खास कनेक्शन, जानें क्या है मान्यता
Shravasti News: श्रद्धालुओं ने माता के जयकारों के साथ महाआरती में भाग लिया और माता सीता और श्रृषि बाल्मिकी का आशीर्वाद लिया। धार्मिक मान्यता है कि माता सीता मंदिर में दर्शन और पूजन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।;
पहले नवरात्र पर जिले के प्रमुख मंदिरों में उमड़ा आस्था का सैलाब (Photo- Social Media)
Shravasti News: श्रावस्ती में पूरे देश की तरह चैत्र नवरात्रि की धूम मची हुई है। देवी मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है। नवरात्रि का आज पहला दिन है, और इस दिन माता शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। राम नगरी में भी मां शैलपुत्री के स्वरूप की आराधना हो रही है।बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान श्रीराम की धर्मपत्नी माता सीता की इकौना तहसील अन्तर्गत सीता द्वार मंदिर में दर्शन और पूजा कर रहे हैं। लवकुश नगरी में माता के पूजन का सिलसिला भोर से ही शुरू हो गया था।
श्रद्धालुओं ने किया माता सीता मंदिर में दर्शन और पूजन
श्रद्धालुओं ने माता के जयकारों के साथ महाआरती में भाग लिया और माता सीता और श्रृषि बाल्मिकी का आशीर्वाद लिया। धार्मिक मान्यता है कि माता सीता मंदिर में दर्शन और पूजन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नवरात्रि के पहले दिन माता रानी के दर्शन के बाद श्रद्धालुओं ने कहा कि मां की पूजा करके बहुत ही सकारात्मक अनुभूति हो रही है। उन्होंने प्रार्थना की कि माता रानी सभी का कल्याण करें और सभी को सुख-शांति प्रदान करें। श्रद्धालुओं ने यह भी कहा कि लवकुश नगरी में आकर माता की आराधना करना उनके लिए सौभाग्य की बात है।
मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित संतोष दास तिवारी ने बताया कि नवरात्र के पहले दिन मां जगत जननी के शैलपुत्री स्वरूप की विशेष पूजा की जा रही है। श्रद्धालु मां के दर्शन कर आशीर्वाद ले रहे हैं।मंदिर का कपाट सुबह 6:00 बजे महाआरती के साथ खोला गया, जिसमें काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीराम की धर्मपत्नी माता सीता यहां विराजमान हैं और सभी भक्तों को सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य प्रदान करती हैं।नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक काफी संख्या में हर दिन श्रद्धालु मंदिर में माता का दर्शन और पूजन करेंगे।
इसी क्रम में लक्ष्मण बैराज स्थित सिद्धपीठ जगपति माता मंदिर में भी ब्रह्म मुहूर्त में ही कपाट खुल गया। जहा धीरे धीरे भक्तों की तादाद बढ़ती गई और आसपास समेत पड़ोसी देश नेपाल से भी भक्त पहुंच कर देवी माता का दर्शन पूजन किया और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की मन्नत मांगी। मंदिर की महंत कुमारी रीता गिरि ने बताया कि पूरे नव दिन यहां श्रद्धालु पूजा पाठ करने दूर दूर से आते हैं और माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।इसी क्रम में भिनगा के राजकालीन सिद्ध पीठ काली माता मंदिर में भी नव दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा अर्चना करने के लिए भारी संख्या में भीड़ उमडती रही। इसी तरह से इकौना के ज्वाला माता मंदिर में भी सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई।
प्रथम मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा-अर्चना
इसके अलावा शहर समेत ग्रामीण क्षेत्रों के मंदिरों में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर प्रथम मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। देवी मंदिरो में नवरात्र के समय सामान्य दिनों की अपेक्षा भक्तों की काफी भीड़ आती है। हर बार की तरह इस बार भी नवरात्र के पहले दिन भक्तों ने विधि-विधान से अपने घरों में कलश की स्थापना की। अधिकांश घरों में सुबह आठ बजे तक कलश की स्थापना कर विधि विधान से मां शैलपुत्री की पूजा हुई।