भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया 5 करोड़ का बांध, हल्की बाढ़ में बह गए स्टड
नदी के किनारे बनाए गए बांस और बालू की बोरी के स्टड बहने लगे हैं। अब तक 50 प्रतिशत तक स्टड बह चुके हैं। दो-तीन दिन से नदी का जल स्तर कम है।
सीतापुर: सिंचाई विभाग भ्रष्टाचार के लिए बदनाम है। इसकी एक और बानगी पेश है। शारदा नदी के किनारे बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए बनाए गए पांच करोड़ रूपए के स्टड बाढ़ का हल्का झटका भी नहीं झेल सका। नदी के किनारे बनाए गए बांस और बालू की बोरी के स्टड बहने लगे हैं। अब तक 50 प्रतिशत तक स्टड बह चुके हैं। दो-तीन दिन से नदी का जल स्तर कम है। लिहाजा धारा की तीव्रता भी कमजोर पड़ गई है, वरना अब तक पांच करोड से बनाए गए सभी स्टड बह चुके होते।
12 करोड़ की परियोजना, ठेका पांच करोड़ पर उठा
रेउसा इलाके में शारदा नदी के किनारे काशीपुर से कम्हरिया सेखूपुर तक 41 स्टड बनाए जाने थे। ताकि बारिश के दौरान नदी उफना कर गांव अथवा खेत की ओर बढ़े तो उसे काबू में रखा जा सके। यह परियोजना 12 करोड़ रूपए लागत की थी। टेंडर हुआ तो एक ठेकेदार ने 45 प्रतिशत बिलो टेंडर डाला। यानी कि विभागीय इंजीनियरों ने जो स्टीमेट 12 करोड़ का बनाया था, यानी कि 41 स्टड के निर्माण पर 12 करोड़ रूपये खर्च का अनुमान था। लेकिन उतना ही काम सिर्फ पांच करोड़ 81 लाख रूपए में कराने के लिए आवेदन किया। यह टेंडर सबसे कम का था।
ये भी पढ़ें- कोरोना काल में गन्ना विभाग की नई पहल, किसानों को ऐसे भेजी जाएंगी पर्चियां
नियमानुसार सबसे ज्यादा बिलो टेंडर वाले को ही ठेका दे दिया जाता है। हालांकि अधीक्षण अभियंता को यह अधिकार होता है कि वह ठेकेदार से हलफनामा लेकर उसे विभाग की ओर से निर्धारित किए गए कार्य मानक अनुसार कराए। लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ। मिलीभगत के चलते कागज पर सब होता चला गया। नतीजा ये है कि बाढ़ उफान पर होगी तो यह स्टड एक झटके में बह जाएंगे। उसके बाद ठेकेदार से वसूली करने की कार्रवाई नहीं होनी है। ऐसी कार्रवाई पूर्व में कभी नहीं हुई।
काम अभी भी अधूरा
यहां कुल 41 स्टड बनाए जाने थे। इनमें से सिर्फ 28 ही बन सके। जिसमे से दो से नौ नंबर के स्टड ध्वस्त हो गए हैं। वर्तमान में काम बाधित है। दरअसल, इसी इलाके में हर साल नदी की बाढ़ से भारी नुकसान होता है। लेकिन नुकसान उतना नहीं होता है जितना बाढ़ नियंत्रण पर खर्च किया जाता है। इस कारण यहां पर बाढ़ नियंत्रण के लिए कराए जाने वाले कार्य भी सवालों के घेरे में हैं।
ये भी पढ़ें- ये सिर्फ IAS ही नहीं बल्कि हैं एक्टर भी, इनके हूनर को दुनिया कर रही सलाम
दरअसल, बाढ़ नियंत्रण के कार्य इसी तरह के होते हैं। नदी के किनारे बांस गाड़ कर उसके तटीय स्तर पर बोरियों में बालू भर कर रख दी जाती हैं। पूरानी और घटिया बोरियों में बालू भर कर रखी जातीं हैं, इसका खुलासा खुद डीएम अखिलेश तिवारी कर चुके हैं। आखिर बाढ़ आने पर जब यह कार्य टिक ही न पाए तो फिर इसकी उपयोगिता ही खत्म हो जाती है।
कार्य शुरू होने पर निरीक्षण, बाद में मुंह बंद
यह भी हास्यास्पद है। स्टड निर्माण के प्रारंभ में इसके विधायक ज्ञात तिवारी हर रोज दौरा करते हैं। उनकी बात पर अमल नहीं होती तो वे कुछ दिन पूर्व ही डीएम अखिलेश तिवारी को भी अपने साथ ले गए। डीएम ने भी पाया कि कार्य मानक अनुसार नहीं है। ठेकेदार को हिदायत दी, कुछ असर नहीं हुआ।
ये भी पढ़ें- इस बार नागपंचमी पर बन रहे कई शुभ संयोग, जानिए इस दिन पूजा का महत्व
नतीजा, स्टड बहने लगे हैं। अब जबकि घटिया काम ध्वस्त हो रहा है तो न विधायक की ओर से आवाज उठ रही और न प्रशासन की आरे से। हालांकि अधिशाषी अभियंता वीके सिंह ने कहा है कि स्टड सभी बनाए जाएंगे, जो स्टड टूटे हैं उनकी मरम्मत की जा रही है।
रिपोर्ट- पुतान सिंह