Sonbhadra: ट्रकों की रिलीजिंग में बड़ा खुलासा, फर्जी रिलीज आर्डर पर छुड़ा लिया हर तीसरा वाहन
Sonbhadra: सोनभद्र में विभागीय अधिकारियों की रैंडम चेकिंग में हर तीसरा वाहन, फर्जी रिलीज आर्डर पर छुड़ाए जाने की बात सामने आने के बाद लखनऊ तक हड़कंप की स्थिति उत्पन्न हो गई है।;
Sonbhadra : सोनभद्र के साथ ही पूर्वांचल के विभिन्न जनपदों में फर्जी रिलीज आर्डर (fake release order) से वाहन छुडाने वाले रैकेट का एक और बड़ा कारनामा सामने आया है। सोनभद्र में विभागीय अधिकारियों की रैंडम चेकिंग में हर तीसरा वाहन, फर्जी रिलीज आर्डर पर छुड़ाए जाने की बात सामने आने के बाद लखनऊ तक हड़कंप की स्थिति उत्पन्न हो गई है। हालांकि विभागीय स्तर पर इसको लेकर विस्तृत जांच, छानबीन शुरू हो गई है, लेकिन जिस तरह से सोनभद्र में, इस रैकेट की जड़ें मजबूत होने की बात सामने आई है, उसने विभाग के आला अधिकारियों के भी होश उड़ा दिए हैं।
सोनभद्र में फर्जी रिलीज आर्डर पर बालू-गिट्टी लदे ट्रकों को छोड़ने का मामला
बताते चलें कि सोनभद्र में फर्जी रिलीज आर्डर पर बालू-गिट्टी लदे ट्रकों को छोड़ने का मामला लगभग डेढ़ माह से गरमाया हुआ है। अप्रैल 2020 से जुलाई 2022 के बीच हो रही जांच में जहां विभाग से सीधे जुर्माना राशि जमा कर वाहनों के छुड़ाने के मामले में, बड़े स्तर पर फर्जी रिलीज आर्डर पर थानों में बंद कराए गए, वाहनों को छुड़ाने की बात सामने आ चुकी हैं। वहीं, अब न्यायालय में जुर्माना जमा होने के बाद, छूटने वाले वाहनों को लेकर भी फर्जी रिलीज आर्डर के प्रयोग का वाकया सामने आने के बाद, जिले से लेकर प्रदेश की राजधानी तक हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।
हर तीसरा वाहन फर्जी रिलीज आर्डर पर छुड़ाया गया
बताया जा रहा है कि न्यायालय से जुड़े मामलों की प्रारंभिक जांच में, हर तीसरा वाहन फर्जी रिलीज आर्डर पर छुड़ाए जाने का कथित मामला सामने आया है। जांच पूरी होने के बाद की क्या तस्वीर होगी, यह तो पखवाड़े भर बाद ही पता चल पाएगा लेकिन जिस तरह से रैंडम चेकिंग में 20 वाहनों में सात वाहन फर्जी रिलीज आर्डर पर छुड़ाए पाए गए हैं। उसने हर जिम्मेदार की नींद उड़ा दी है। अब एक अप्रैल 2020 से जुलाई 2022 के बीच थानों से छूटने वाले हर वाहन को लेकर विभागीय रिकार्ड और न्यायालयीय रिकार्ड दोनों के सत्यापन निर्देश दिए गए हैं।
कहा जा रहा है कि जिस तरह की चीजें सामने आ रही हैं, उससे दो वर्ष के भीतर 500 से अधिक वाहन फर्जी रिलीज आर्डर पर छूटे पाए जा सकते हैं। उधर, आरटीओ राजेश वर्मा ने भी सेलफोन पर, फर्जी रिलीजिंग के मामले में बड़े रैकेट के शामिल होने की बात स्वीकारी। कहा कि मामले की विस्तृत जांच कराई जा रही है। उधर, इस मामले में जांच टीम गठित करने वाले उप परिवहन आयुक्त वाराणएसी एके सिंह से इस बारे में जानकारी लेने के लिए, उनके फोन पर काल की गई लेकिन उन्होंने कन्नी काट ली।
ऑफ सीजन में भी राजस्व में उछाल ने खड़े किए कई सवाल
फर्जी रिलीजिंग आर्डर से चंद सालों के भीतर ही परिवहन महकमे (transport department) को करोड़ों की चपत में लग गई है। सूत्रों पर भरोसा करें तो महज फर्जी रिलीजिंग में ही यह आंकड़ा पांच से दस करोड़ तक पहुंच सकता है। आॅफ द रिकार्ड वाहनों को छोड़ने का खेल है सो अलग। परिवहन महकमे से किस तरह राजस्व की चपत लगी, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि न्यूजट्रैक द्वारा किए गए खुलासे के बाद, जहां फर्जी रिलीजिंग पर लगाम लगा। वहीं अफसरों की बढी निगरानी ने, अंधेरा गहराने के बाद से पौ फटने तक वाहनों को छोड़े जाने के खेल पर अंकुश लगाया। परिणाम यह हुआ कि जुलाई-अगस्त जैसे ऑफ सीजन में भी सोनभद्र राजस्व के मामले में पूर्वांचल में टाॅप पर पहुंच गया। सूत्रों की मानें तो जहां लक्ष्य की 70 प्रतिशत पूर्ति भी बड़ी लगती थी। वहां महज जुलाई-अगस्त में मिले राजस्व ने उसे 72 प्रतिशत पहुंचा दिया। अक्टूबर से वाहनों का रेला सड़क पर बढ़ेगा। इससे परिवहन विभाग के जिम्मेदारों को सोनभद्र के इतिहास में पहली बार लक्ष्य का सौ प्रतिशत राजस्व हासिल होने की उम्मीद बढ गई है।
रात में चंद घंटों की मेहनत ने कई को बना दिया करोड़पति
रात के अंधेरे में होने वाले खेल में किस तरह से रूपयों का वारा-न्यारा होता है, इसके लिए यहीं जानना काफी है कि दिन में बेरोजगार की तरह घूमने और रात में ओवरलोड और बगैर परमिट वाले वाहनों को पास कराने में चंद घंटे की मेहनत करने वाले कई लोग करोड़पति बन चुके है। पुलिस रिकर्ड में भी इससे जुड़े कई लोगों को परिवहन-लोकेशन माफिया का दर्जा दिया जा चुका है। इस खेल में सिर्फ परिवहन विभाग ही नहीं, पूर्व में परिवहन विभाग से जुड़े एक अधिकारी का भी नाम चर्चा में रह चुका है। मामले को शांत कराने के लिए उसके एक कर्मी को सस्पेंड तक किया गया था।