Sonbhadra News: पुलिस की लापरवाही ने ली थी ललई की जान, 16 साल पुराने हत्याकांड में बड़ा फैसला

Sonbhadra News: मौत के पीछे पुलिस की लापरवाही को भी एक बड़ा कारण माना और इसके लिए तत्कालीन एसओ दिवाकर सिंह को जिम्मेदार ठहराते हुए मामले में एसपी को एफआईआर कराने के निर्देश दिए।

Update:2023-02-07 21:51 IST

Sonbhadra Lalai Murder Case (Social Media)

Sonbhadra News: 16 वर्ष पूर्व ओबरा थाना क्षेत्र के बिल्ली गांव में लाठी-डंडे से की गई पिटाई के चलते हुई ललई प्रसाद की मौत मामले में बड़ा फैसला सामने आया है। अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय राहुल मिश्रा की अदालत ने मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए जहां दोष सिद्ध पाकर दोषी गुड्डू को उम्रकैद और 20 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई। वहीं मौत के पीछे पुलिस की लापरवाही को भी एक बड़ा कारण माना और इसके लिए तत्कालीन एसओ दिवाकर सिंह को जिम्मेदार ठहराते हुए मामले में एसपी को एफआईआर कराने के निर्देश दिए।

थाने पर बैठाए रखने से ललई को नहीं मिल पाया समय से उपचारः

ओबरा थाना क्षेत्र के बिल्ली गांव निवासी राजबहादुर पुत्र ललई प्रसाद ने घटना को लेकर 17 अप्रैल 2006 को तत्कालीन एसपी को शिकायती पत्र सौंप फरियाद लगाई थी। कहा था कि 16 अप्रैल 2006 की शाम 4 बजे उसके पिता ललई प्रसाद को बिल्ली गजराजनगर निवासी गुड्डू, उनकी पत्नी, उनकी मां,उनके मामा और एक ने लाठी, डंडे, सबल से मारा जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। अगले दिन उनकी मौत हो गई। मामले में ओबरा पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है। एसपी के निर्देश पर एफआईआर की गई और विवेचना के बाद पर्याप्त सबूत मिलने का दावा करते हुए पर गुड्डू सहित पांच के खिलाफ न्यायालय में हत्या की चार्जशीट दाखिल की गई। इस दौरन जहां दोषी गुड्डू को दोषी पाया गया। वहीं पर्याप्त साक्ष्य न मिलने पर प्रकरण में शामिल तीन महिला आरोपियों को बरी कर दिया गया।

मौत के पीछे ओबरा के तत्कालीन एसओ की पाई गई बड़ी लापरवाहीः

ममले में अदालत ने तत्कालीन ओबरा एसओ रहे दिवाकर सिंह के खिलाफ धारा 304क आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज कराने का आदेशएसपी को दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि जब ललई प्रसाद के बेटे राजबहादुर ने ओबरा थाने पर घटना की सूचना दी तो ओबरा के तत्कालीन एसओ रहे दिवाकर सिंह ने उल्टा उसके पिता ललई प्रसाद को ही थाने पर बैठा लिया। दवा इलाज के लिए लगातार आग्रह पर उन्होंने एक न सुनी बल्कि डांटकर भगा दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि पता ललई की इलाज के अभाव में अगले दिन मौत हो गई। मामले में मृतक के बेटे राजबहादुर, छोटी और राजपति के बयान का अवलोकन करते हुए कोर्ट ने यह माना कि तत्कालीन ओबरा एसओ रहे दिवाकर सिंह ने अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं किया । आरोपियों को थाने पर बुलाकर छोड़ दिया। प्राणघातक चोट लगे होने के बावजूद ललई को दवा इलाज उपलब्ध नहीं करवाया।

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