Sonbhadra News: जहर पिलाकर मासूम की हत्या करने वाले दंपती सहित तीन को उम्र कैद

Sonbhadra News: करमा थाना क्षेत्र के सिरविट गांव में 13 वर्ष पूर्व सगे भतीजे को जहर पिलाकर हत्या कर देने के मामले दंपती सहित तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।

Update: 2023-02-16 14:18 GMT

सोनभद्र: जहर पिलाकर मासूम की हत्या करने वाले दंपती सहित तीन को उम्र कैद

Sonbhadra News: करमा थाना क्षेत्र के सिरविट गांव में 13 वर्ष पूर्व सगे भतीजे को जहर पिलाकर हत्या कर देने के मामले दंपती सहित तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। दोषियों ने छोटे भाई के पांच वर्षीय इकलौते बेटे को शर्बत में जहर पिलाकर मार डाला था। गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम खलीकुज्जमा की अदालत ने दोषसिद्ध पाया और तीनों दोषियों रामप्रसाद, शांति देवी और पप्पू को उम्रकैद के साथ ही 25- 25 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने की दशा में छह-छह माह की अतिरिक्त कैद भुगतने का निर्णय पारित किया गया। जेल में बिताई गई अवधि सजा में समाहित की जाएगी।

बताते हैं कि सिरविट गांव निवासी रामलाल के पिता रेलवे में नौकरी करते थे। सेवानिवृत्ति की आयु पूरी होने से पहले ही उनकी मौत हो गई। रामलाल की उम्र कम थी और उसके बड़े भाई रामप्रसाद की उम्र ज्यादा थी। कुछ लोगों ने हस्तक्षेप कर सलाह दी कि रामलाल को नौकरी करने दीजिए, उसकी उम्र कम है, इसलिए वह ज्यादा दिन तक नौकरी कर सकेगा। इस पर पिता की जगह रामलाल को नौकरी मिलने पर सहमति जता दी गई और मिलने वाली ग्रेच्युटी सहित अन्य देय रामप्रसाद को दिलाए गए। बाद में इस मसले को लेकर विवाद हो गया।

पांच वर्षीय इकलौते बेटे चंदन की हत्या

बताते हैं कि बात इतनी बढ़ गई कि सिरविट निवासी रामप्रसाद, उसकी पत्नी शांति देवी और उनके हेलीमेली पप्पू निवासी धौरहरा ने रामलाल के पांच वर्षीय इकलौते बेटे चंदन की हत्या का प्लान बना डाला और पहली फरवरी 2010 को धोखे से उसे जहर मिला शरबत पिला दिया। जब उसकी हालत बिगड़ने लगी तो घर पर मौजूद लड़कियों ने शोरगुल करना शुरू कर दिया।

शोरगुल की आवाज सुनकर आस पास व गांव घर के लोग मौके पर आ गए। उसके बाद चंदन को जिला अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने गंभीर हालत देख वाराणसी रेफर कर दिया। वहां वह चार घंटे तक जिंदा रहा, इसके बाद उसकी मौत हो गई। तीन फरवरी 2010 को मामले की सूचना करमा पुलिस को दी गई।

कार्रवाई न होने पर अदालत का दरवाजा खटखटाया गया। वहां से मिले आदेश पर करमा पुलिस ने सात अप्रैल 2010 को रामप्रसाद, शांति देवी और पप्पू सहित पांच लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की। पर्याप्त सबूत मिलने की बात कहते हुए न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया। वहां सुनवाई के दौरान तीनों को दोषी पाया गया और उन्हें उम्रकैद के साथ ही 25 - 25 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अर्थदंड न देने पर छह- छह माह की अतिरिक्त कैद भुगतना पड़ेगा। अभियोजन पक्ष की तरफ से मामले की पैरवी अपर जिला शासकीय अधिवक्ता कुंवर वीर प्रताप सिंह ने की।

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