Sonbhadra News: माफिया से माननीय बने पूर्व MLC विनीत सिंह, जिला पंचायत अध्यक्षी के बहाने सियासत में हुई इंट्री

Sonbhadra News : विधानसभा और विधान परिषद के चुनाव की प्रयोगशाला बनता आ रहा सोनभद्र इस बार भी इसी तैयारी में है।

Published By :  Shraddha
Update: 2021-07-06 05:20 GMT

माफिया से माननीय बने पूर्व MLC विनीत सिंह

Sonbhadra News : 2010 से प्रमुखी के चुनाव के बहाने विधानसभा (Assembly) और विधान परिषद (Legislative Assembly) के चुनाव की प्रयोगशाला बनता आ रहा सोनभद्र, इस बार भी इसी तैयारी में है। माफिया से माननीय बने पूर्व एमएलसी विनीत सिंह (Former MLC Vineet Singh) की भाजपा नेता के रूप में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के बहाने जिले की सियासत में हुई इंट्री को जहां महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

वहीं 2016 के एमएलसी चुनाव में अपने बाहुबल से विनीत को पछाड़ने वाले भदोही के विजय मिश्र एवं उनके एमएलसी पत्नी रामलली की प्रमुखी के चुनाव में क्या भूमिका रहेगी? इस पर चर्चा छिड़ी हुई है। जीत की लहर पर सवार अद का रुख क्या होगा और सत्ताधारी भाजपा किस तरह अपनी मौजूदगी दर्ज कराएगी? इसको लेकर भी सवाल दागे जा रहे हैं।

सोमवार की शाम राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से ब्लाक प्रमुख के चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही भाजपा, सपा और बसपा तीनों दलों की तरफ से समीकरण बिठाए जाने लगे हैं। ऐनवक्त पर गठबंधन कोटे में जिला पंचायत अध्यक्ष की दावेदारी गंवाने वाली भाजपा के सामने इस चुनाव में क्या स्थिति रहेगी? इसको लेकर अंदरखाने प्रदेश नेतृत्व से संपर्क साधा जाने लगा है।

चुनावी संभावनाओं पर विचार-विमर्श करते पूर्व एमएलसी विनीत सिंह

वहीं जिला पंचायत में जीत के साथ ही अपना दल के लोगों की तरफ से अपने नेतृत्व से प्रमुखी के चुनाव में भी भागीदारी की उठी मांग भाजपा नेताओं को बेचैन किए हुए है। उधर जिला पंचायत चुनाव में शिकस्त खा चुका सपा खेमा गुपचुप तरीके से प्रमुखी की रणनीति बनाने में जुटा है लेकिन इस बार विनीत सिंह के मजबूत स्थिति में होने और विधायक विजय मिश्रा का साथ न होने के कारण प्रमुखी में संभावित शक्ति प्रदर्शन का सपा कितना प्रतिरोध कर पाएगी? चर्चाएं जारी हैं।

बसपा से नगवां के प्रमुख रह चुके प्रवीण सिंह और 2010 के एमएलसी चुनाव में बसपा नेता के रूप में विनीत सिंह की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इंद्रदेव सिंह की जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में विनीत सिंह के साथ भाजपा+अद एस गठबंधन के लोगों संग दिखी नजदीकी के चलते बसपा की रणनीति क्या होगी? अभी कहना मुश्किल है। बता दें कि 2022 में जिले में विधानसभा और विधान परिषद दोनों के चुनाव होने हैं। इसीलिए इसे 2022 के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है।

यूं रहा है विनीत का माफिया से माननीय बनने का सफर

मूलरूप से वाराणसी के गोला गांव (चोलापुर अंचल) निवासी पूर्व एमएलसी श्यामनारायण उर्फ़ विनीत सिंह ने 2010 में बसपा के टिकट पर सोनभद्र-मिर्जापुर एमएलसी सीट से माननीय बनने की राह चुनी थी। 2017 में रांची जेल में निरुद्ध रहने के दौरान चंदौली जिले की सैयदराजा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन बीजेपी प्रत्याशी एवं बाहुबली बृजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह से हार गए।

जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में जीत के बाद खुशियों में शरीक यह लोग

2019 में चंदौली लोकसभा से भी दावेदारी जताई लेकिन ऐन वक्त पर पीछे हटकर भाजपा का दामन थाम लिया। इसके बाद मिर्जापुर में जिला पंचायत की सीट आरक्षित होने के बाद अपने पसंद के प्रत्याशी को एकतरफा जीत और कांटे के संघर्ष में सोनभद्र की अध्यक्षी अद एस की झोली में डलवाने में भूमिका निभाकर मजबूत सियासी पारी खेलने के इरादे जाहिर कर दिए। मिर्जापुर में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर लगातार 10 वर्ष से काबिज उनकी पत्नी इस बार सीट आरक्षित होने के कारण, चुनावी समर से बाहर हो गईंं तो विनीत सिंह को सोनभद्र में जिला पंचायत अध्यक्ष का दावेदार बनने की अटकलें लगने लगी थीं लेकिन उन्होंने उसी समय स्पष्ट कर दिया था कि वह फिर से सोनभद्र-मिर्जापुर एमएलसी सीट से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। वर्तमान में इस सीट पर बाहुबली विधायक विजय मिश्रा की पत्नी रामलली मिश्रा एमएलसी हैं जिन्होंने 2016 में विनीत के भाई त्रिभुवन नारायण सिंह को हराया था।

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