Sonbhadra: दहेज के लिए पत्नी की हत्या करने वाले पति को मिली सजा, 10 वर्ष की हुई कैद

Sonbhadra: शादी के महज ढाई वर्ष के भीतर दहेज के लिए पूजा की हुई हत्या के मामले में पति को दस साल कारावास की सजा सुनाई गई है।

Update:2022-07-22 21:35 IST

गिरफ्तार प्रेमी को भेजा जेल। (Social Media)

Sonbhadra: शादी के महज ढाई वर्ष के भीतर दहेज के लिए पूजा की हुई हत्या के मामले में पति को दस साल कारावास की सजा सुनाई गई है। सत्र न्यायाधीश अशोक कुमार यादव (Sessions Judge Ashok Kumar Yadav) की अदालत ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। पूजा हत्याकांड के मामले (pooja massacre Case) में दोषसिद्ध पाकर दोषी पति राजू मोदनवाल को 10 वर्ष की कैद और 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा मुकर्रर की। अर्थदंड न देने की दशा में तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतने के लिए आदेश पारित किया । वहीं साक्ष्य के अभाव में सास, ससुर, जेठ और देवर को आरोपों से दोषमुक्त करार दिया गया।

यह है पूरा प्रकरण

अभियोजन कथानक के मुताबिक बभनी थाना क्षेत्र के अरझट गांव निवासी देवनारायन पुत्र स्व. ने अपनी बेटी पूजा देवी का विवाह मार्च 2016 को राबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र के मधुपुर गांव निवासी राजू मोदनवाल पुत्र राजकुमार के साथ किया था। 13 जुलाई 2018 को पूजा की अचानक मौत हो गई। इस मामले को लेकर मृतका के पिता हरिचरन ने राबर्ट्सगंज कोतवाली में तहरीर दी और आरोप लगाया कि शादी के बाद से ही ससुराल के लोगों ने दहेज में 50 हजार नकद और एक मोटरसाइकिल की मांग की जाने लगी। इसके लिए पति राजू मोदनवाल, सास जूठनी देवी, ससुर राजकुमार, जेठ दिनेश और देवर बीजू द्वारा पूजा को अक्सर प्रताड़ित किया जाने लगा। इसी बीच सूचना मिली कि उसकी मौत हो गई है। मृतका के पिता के मुताबिक जब उसने पूजा के ससुराल जाकर देखा तो उसका शव पड़ा हुआ था। शरीर पर कई जगह चोट के निशान थे। इस पर तहरीर देकर दावा किया कि इससे साफ जाहिर है कि उसके बेटी पूजा की हत्या की गई है।

तहरीर के आधार पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना की और पर्याप्त सबूत मिलने की बात कहते हुए पति सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दी। सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुना। गवाहों के बयान और पत्रावली का अवलोकन किया। इसके आधार पर दोषसिद्ध पाकर दोषी पति राजू मोदनवाल को 10 वर्ष की कैद और 10 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अर्थदंड न देने पर तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतने का आदेश पारित किया। पति के अलावा अन्य आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया गया। अभियोजन पक्ष की तरफ से जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी ज्ञानेंद्र शरण रॉय ने पैरवी की।

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