Sonbhadra News: अस्पताल में मिली लावारिश बच्ची दत्तक इकाई को की गई सुपुर्द, बाल तस्करी को लेकर तेज की गई जांच

Sonbhadra News: वहीं लावारिश बच्चे का मिलने का मामला कहीं, बाल कल्याण तस्करी से जुड़ा तो नहीं, इसको लेकर बाल कल्याण समिति की तरफ से जांच भी शुरू कर दी गई है।

Update: 2022-07-20 12:22 GMT

Child was given to adoption unit in Sonbhadra (Image: Newstrack) 

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Sonbhadra News: अस्पतालों के जरिए ह्यूमन ट्रैफिकिंग खासकर नवजात बच्चों की तस्करी की शिकायत पर, जिला मुख्यालय क्षेत्र में नित्या हास्पीटल के नाम से संचालित अस्पताल में की गई छापेमारी और उस दौरान बगैर किसी डाॅक्टर तथा बगैर किसी प्रशिक्षित कर्मी के संचालित मिले अस्पताल के साथ ही, वहां से मिली नवजात बच्ची को जिला अस्पताल में उपचार कराने के बाद, राबटर्सगंज में संचालित बाल दत्तक इकाई को सौंप दिया गया है।

वहीं लावारिश बच्चे का मिलने का मामला कहीं, बाल कल्याण तस्करी से जुड़ा तो नहीं, इसको लेकर बाल कल्याण समिति की तरफ से जांच भी शुरू कर दी गई है। जांच के प्राथमिक चरण में ही कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। उधर, इस मामले में विस्तृत जानकारी हासिल करने के लिए, जिला बाल संरक्षण अधिकारी पुनीत टंडन की तरफ से एसडीएम दुद्धी को जांच अधिकारी नामित किया गया है।


बताते चलें कि कथित नवजात तस्करी के शक में गत 13 अगस्त को बरैला महादेव मंदिर के पास से गए रास्ते पर जमगांव गांव में संचालित नित्या हास्पीटल नामक अस्पताल पर बाल कल्याण समिति, स्वास्थ्य विभाग की टीम और पुलिस ने संयुक्त छापेमारी की थी। इस दौरान हास्पीटल में जहां संदिग्ध हालत में एक नवजात शिशु (कन्या) पाई गई। वहीं प्रसूता, जिसका सीजर आपरेशन नित्या हास्पीटल में ही किया गया था, को भर्ती पाया गया लेकिन उक्त हास्पीटल में कोई भी पंजीकृत चिकित्सक या संचालक मौजूद नहीं मिले। इस पर नवजात शिशु और प्रसूता को एंबुलेंस बुलाकर जिला अस्पताल पहुंचाया गया।

वहीं अस्पताल सील कराने के साथ ही, इस मामले में 14 जुलाई को अस्पताल के कथित संचालक-प्रबंधक मनोज कुमार पांडेय के खिलाफ राबटर्सगंज कोतवाली में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र राबटर्सगंज केकराही के प्रभारी चिकित्साधिकारी की तरफ से धारा 269, 336, 420 और इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट 1956 की धारा 16 के तहत एफआईआर दर्ज करा दी गई।

बाल कल्याण इकाई कर रही बाल तस्करी की जांचः

इस मामले में अस्पताल से लावारिश हाल में मिली प्री-मेच्योर बच्ची को बगैर मां-बाप के अस्पताल में रखने का मामला कहीं किसी रूप में बाल तस्करी से तो जुड़ा नहीं है। इसकी जांच बाल कल्याण समिति की तरफ से की जा रही है। इस मामले में समिति की तरफ से अस्पताल संचालक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।

वहीं इस संबंध में एक कथित डाॅक्टर की तरफ से अपनी बेटी होने वाले और उस कथन के समर्थन में वाराणसी के एक अस्पताल का कथित जन्म प्रमाणपत्र भी दाखिल किया गया है लेकिन हैरत वाली बात यह है कि जब जांच कर रही टीम ने सेलफोन के जरिए, कथित चिकित्सक की पत्नी से सेलफोन पर जानकारी चाही तो बताया गया कि उसकी डिलीवरी राबटर्सगंज में हुई है। कब, किस अस्पताल में डिलीवरी हुई। इसको लेकर टीकाकरण-दवा आदि कहां, किस अस्पताल में कराया गया, इसका कोई जवाब नहीं मिल सका।

जांच टीम को शक है कि जन्म प्रमाणपत्र भी फर्जी हो सकता है। इसके लिए वाराणसी में स्थित बताए जा रहे संबंधित अस्पताल से संपर्क साधा जा रहा है। वही मामले की गंभीरता को देखते हुए, प्रकरण की विस्तृत जांच के लिए एसडीएम दुद्धी को जांच अधिकारी नामित किया गया है। उधर, जिला बाल संरक्षण अधिकारी पुनीत टंडन का कहना है कि उक्त मामले की सच्चाई जानने के लिए तेजी से, जांच कराई जा रही हैै। 

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