Sonbhadra News: नीलामी की आड़ में उच्च गुणवत्ता वाले कोयले की तस्करी का वीडियो हुआ वायरल

Sonbhadra News Today: वायरल हो रहे वीडियो को लेकर लोगों का दावा है कि सबसे निम्न गुणवत्ता यानी लो ग्रेड वाले कोयले की ई-आक्शन के जरिए खरीदारी की जाती है।

Update:2022-09-27 19:07 IST

Video of smuggling high quality coal under auction went viral in Sonbhadra (Social Media)

Sonbhadra News: नीलामी के कोयले की आड़ में ब्लैक डायमंड की चोरी/तस्करी के तो कई खुलासे सामने आ चुके हैं। अब नीलामी में लिए जाने वाले कम गुणवत्ता वाले कोयले (ओआरएम कोयला) की उच्च गुणवत्ता वाले कोयले (स्टीम कोयले) की लोडिंग और इसके परिवहन का मामला सामने आया है। इसको लेकर एक वीडियो भी वायरल हो रहा है। इस कथित वीडियो के जरिए दावा किया जा रहा है कि मौजूदा समय में मिनी रत्न कंपनी का दर्जा रखने वाली एनसीएल की ककरी कोल परियोजना से, रोजाना इस खेल के जरिए सैकड़ों टन कोयले की हेराफेरी की जा रही है।

वहीं एनसीएल को हर माह लाखों का चूना लगाया जा रहा है। आरोप है कि इस खेल में सिफ नीलामी लेने वाले डीओ होल्डर और चंद कर्मी ही नहीं, बल्कि निगरानी और लोडिंग की जिम्मेदारी संभालने वाले अधिकारियों की भी भूमिका है। इसको देखते हुए जहां एनसीएल प्रबंधन से मामले की उच्च स्तर पर जांच कराए जाने की मांग उठने लगी है। वहीं इस सिंडीकेट को एनसीएल के एक पूर्व अधिकारी के बेट के साथ ही कई सफेदपोशों का संरक्षण बताया जा रहा है।

नए खुलासे को लेकर यह किए गए दावे

ब्लैक डायमंड का दर्जा रखने वाले कोयले के कारोबार में कई बड़े सिंडीकेट जुड़े हुए हैं। वायरल हो रहे वीडियो को लेकर लोगों का दावा है कि सबसे निम्न गुणवत्ता यानी लो ग्रेड वाले कोयले की ई-आक्शन के जरिए खरीदारी की जाती है। इसके बाद उस नीलामी और उस परमिट की आड़ में, मजदूरों के लिए उच्च गुणवत्ता का कोयला उठवाकर, उसे ट्रक पर लोड करवा लिया जाता है। इसके बाद नीलामी वाले कागजात के आधार पर उसे चंधासी मंडी या अन्य जगहों पर ले जाकर आसानी से खपा दिया जाता है।

लोगों की मानें तो इस खेल में कांटा से लेकर डिस्पैच तक के कर्मियों की भूमिका को लेकर जब-तब चर्चा सामने आती रहती हैं, वहीं इसकी निगरानी से जुड़े अधिकारियों पर भी कई बार सवाल उठ चुके हैं। कुछ परियोजनाओं में कार्रवाई भी हो चुकी है लेकिन कभी ककरी, बीना तो कभी किसी अन्य परियोजना में डीओ होल्डरों और कथित कर्मियों और संबंधित सेक्शन के इंचार्जों की मिलीभगत से यह खेल चलता रहता है।

तीन गुने से भी अधिक कीमत पर होती है स्टीम कोयले की बिक्री

लोगों की बातों पर यकीन करें तो लो ग्रेड वाले कोयले की जगह, उच्च गुणवत्ता कोयले की बाजार में तीन गुने से भी अधिक कीमत है। यानी अगर लो ग्रेड वाला कोयला तीन हजार टन बिक रहा है तो स्टीम कोयले की कीमत लगभग 10 हजार या इससे भी ज्यादा रहती है। मौजूदा समय में स्टीम कोयले का बाजार रेट 12 हजार टन के करीब होने का दावा किया जा रहा है।

डीओ होल्डरों के जरिए निकलने वाली एक ट्रक/ ट्रेलर पर लगभग 30 टन माल लदा होता है। दावों पर गौर करें तो इस खेल के जरिए रोजाना 15 से 20 ट्रक जाते है। अगर इस आंकड़े को सच मानें तोे एनसीएल को रोजाना महज एक ट्रक स्टीम कोयले से लगभग दो से ढाई लाख की चंपत लग रही है।

डीजल तस्करी की तर्ज पर होती है रकम की बंदरबांट

लोगों के आरोपों पर ध्यान देंं तो इसमें भी, कोयला बिक्री का जो अतिरिक्त मुनाफा मिलता है, उसमें सिंडीकेट में हासिल लोगों की हिस्सेदारी डीजल तस्करी के ही तर्ज पर ही होती है यानी मुनाफे की लगभग आधा रकम एनसीएल कर्मियों की जेब में और आधा मुनाफा डीओ होल्डर और उससे जुड़े लोगों के पास।

हालांकि इसको लेकर जो वीडियो वायरल हो रहा है, उसकी न्यूजट्रैक पुष्टि नहीं करता लेकिन जिस तरह से इस मसले पर जानकारी चाहने पर जिम्मेदार कन्नी काट रहे हैं, उससे इस बात को तो बल मिल ही रहा है कि कहीं न कहीं, कुछ न कुछ तो गड़बड़ जरूर है।

उधर, इस बारे में ककरी कोल परियोजना के डिस्पैच इंचार्ज विजेंद्र सिंह से सेलफोन पर जानकारी चाही गई तो उनका जवाब था कि इस बारे में वह फोन पर कोई जानकारी नहीं देंगे। इसकी जानकारी लेने के लिए ककरी आना होगा। बता दें कि एनसीएल कोयले की साइज और गुणवत्ता के आधार पर ग्रेड तय करता है और ग्रेड के हिसाब से ही कोयले की कीमत तय की जाती है। लो ग्रेड वाले कोयले का बाजार मूल्य जहां काफी कम होता है। वहीं गुणवत्ता बढ़ने के हिसाब से कोयले की कीमत बढ़ती जाती है।

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