Sonbhadra News: UPRVUNL अफसरों पर बड़ा आरोप, मिलीभगत से काटे गए 50 हजार पेड़, एनजीटी ने लिया संज्ञान

Sonbhadra News: ओबरा परियोजना से जुड़े यूपीआरवीयूएनएल के अफसरों पर मिलीभगत कर, 50 हजार पेड़ अवैध तरीके से कटवाने का बड़ा आरोप लगाया गया है। मामले में एनजीटी ने स्वतः संज्ञान लेते हुए प्रकरण की सुनवाई शुरू कर दी है।

Update: 2024-07-26 15:00 GMT

Sonbhadra News (Pic: Social Media)

Sonbhadra News: ओबरा परियोजना से जुड़े यूपीआरवीयूएनएल के अफसरों पर मिलीभगत कर, 50 हजार पेड़ अवैध तरीके से कटवाने का बड़ा आरोप लगाया गया है। मामले को लेकर भेजी गई शिकायत का एनजीटी ने स्वतः संज्ञान लेते हुए प्रकरण की सुनवाई शुरू कर दी है। मामले को मूलवाद के रूप में दर्ज करते हुए, पेड़ों की हुई कटान से जुड़़ी रिपोर्ट तलब कर ली गई है। डीएम, यूपीपीसीबी, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ के अफसर और डीएफओ की मौजूदगी वाली टीम गठित करते हुए, एक माह के भीतर तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रेषित करने का निर्देश दिया है।

अक्टूबर 2023 में पत्र भेजकर की गई थी शिकायत

ओबरा निवासी श्याम जी मिश्रा ने एनजीटी को पत्र प्रेषित कर आरोप लगाया गया कि ओबरा सी पावर प्लांट निर्माण के लिए ओबरा परियोजना कॉलोनी ढहाए जाने के दौरान, कालोनी स्थित लगभग 50,000 पेड़ अवैध रूप से अधिकारियों की मिलीभगत से काट दिए गए। आरोप है कि कहीं इसका लेखा-जोखा नहीं रखा गया न ही इसके बदले कहीं पौधरोपण की प्रक्रिया अपनाई गई। काटे गए पेड़ों को वर्षों पुराना होने का भी दावा किया जा रहा है। वहीं ओबरा डी परियोजना की मंजूरी का जिक्र करते हुए कहा गया कि इसके लिए भी लगभग 1,00,000 पेड़ काटे जाने की संभावना है। बावजूद निर्माण संस्था/सरकारी तंत्र की तरफ से इसको लेकर पौधरोपण की कोई गतिविधि शुरू नहीं की गई।

एनजीटी ने कहा: प्रकरण गंभीर, तथ्यात्मक रिपोर्ट जरूरी

एनजीटी के स्वतः संज्ञान लिए गए इस मामले की गत 24 जुलाई को न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और एक्सपर्ट मेंबर डा. अफरोज अहमद की बेंच ने सुनवाई की। पाया कि पत्र याचिका में लगाए गए आरोप गंभीर प्रतीत होते हैं। यह मामला पर्यावरण से संबंधित है एनजीटी अधिनियम 2010 से जुड़ा हुआ है। हालांकि इस मामले में कोई कार्रवाई आगे बढ़ाने के लिए तथ्यात्मक रिपोर्ट प्राप्त करना आवश्यक है।

इनकी-इनकी मौजूदगी वाली टीम की गई गठित

मसले की गंभीरता को देखते हुए मामले में डीएम की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय टीम गठित की गई है। इसमें उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, प्रभागीय वनाधिकारी, केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन के एकीकृक्षेत्रीय कार्यालय, लखनऊ और डीएफओ को शामिल किया है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोडल एजेंसी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। बोर्ड का दायित्व एनजीटी के निर्देश का अनुपालन और टीम में शामिल अफसरों-विभाग के बीच समन्वय स्थापित करना होगा।

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