Sonbhadra Exclusive: भूजल के अनियंत्रित दोहन और अवर्षण ने बिगाड़े हालत, तीन साल में पांच मीटर खिसका जलस्तर

Sonbhadra News: र्वांचल का बुंदेलखंड कहे जाने वाले सोनभद्र में जहां तीन साल से अवर्षण की स्थिति खेती-किसानी के साथ ही, पेयजल उपलब्धता को लेकर संकट की स्थिति पैदा करनी शुरू कर दी है।

Update: 2024-07-25 14:54 GMT

Sonbhadra News (Pic: Newstrack)

Sonbhadra News: पूर्वांचल का बुंदेलखंड कहे जाने वाले सोनभद्र में जहां तीन साल से अवर्षण की स्थिति खेती-किसानी के साथ ही, पेयजल उपलब्धता को लेकर संकट की स्थिति पैदा करनी शुरू कर दी है। वहीं, महज तीन सालों में लगभग पांच मीटर तक खिसके जलस्तर ने भूजल संरक्षण में लगे अफसरों-भू वैज्ञानिकों को चिंतित कर दिया है। जिले के कई ब्लाकों के हालात जहां क्रिटिकल नजर आने लगे हैं। वहीं, कुछ स्थलों पर महज एक वर्ष के भीतर डेढ़ से साढ़े चार मीटर तक की दर्ज की गई गिरावट ने, जल संरक्षण की कवायद में जुटे लोगों को बेचैन करके रख दिया है।

महज 2021 से 2023 के बीच 4.74 मीटर खिसका जलस्तर

आंकड़ों पर नजर डालें तो सोनभद्र में मानसून के बाद भूजल स्तर का औसत वर्ष 2021 में 3.60 मीटर था। वहीं, अनियंत्रित दोहन और बनी अवर्षण की स्थिति के चलते, वर्ष 2023 में जलस्तर लुढ़ककर 8.64 मीटर पर पहुंच गया। विभागीय आंकड़ों पर ध्यान दें तो जिले में महज वर्ष 2021 से 2023 के बीच 4.74 मीटर की गिरावट दर्ज की गई। इस वर्ष भी बारिश के हालात अच्छे दिख नहीं रहे, ऐसे में इस वर्ष यह आंकड़ा और भी ज्यादा नजर आए तो बड़ी बात नहीं होगी।

प्री मानसून की भी स्थिति डरा रही

सोनभद्र को लेकर दर्ज प्री मानसून के भी आंकड़े डराने वाले हैं। वर्ष 2020 में 9.34 मीटर पर रहने वाला जलस्तर वर्ष 2024 में खिसककर 12.59 मीटर पर पहुंच गया है। इस पांच साल की अवधि में बारिश पूर्व के जलस्तर में 3.03 मीटर की गिरावट दर्ज हुई है। जिस तरह से बारिश के बाद और बारिश के पहले, दोनों के जलस्तर में गिरावट देखने को मिली है, उसको देखते हुए, जलसंरक्षण के लिए जन-जन को जागरूक होने की जरूरत जताई जाने लगी है।

कहीं 20 तो कहीं 33 मीटर कहीं खिसक गया है जलस्तर

ओवरऑल आंकड़ा भले ही कुछ राहत देने वाला हो लेकिन जिले के कई हिस्से ऐसे हैं, जहां जलस्तर की गिरावट हर किसी को चिंता में डाल देने वाली है। सूत्रों की मानें तो क्रशर, खनन और इंडस्ट्रियल बेल्ट की पहचान रखने वाले चोपन में प्रतिवर्ष एक मीटर जलस्तर खिसकने का क्रम शुरू हो गया है। ओवरऑल आंकड़ों में करमा की स्थिति थोड़ी संतोषजनक है लेकिन इस ब्लाक के केकराही गांव में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है। यहां 33 मीटर पर पानी पाया गया है। यह आंकड़ा जिले के औसत से ढाई गुने से भी अधिक है। वहीं, कोन ब्लाक में कुछ जगहों पर 20 मीटर नीचे पानी पाया गया था। महज एक वर्ष में साढ़े चार मीटर तक की गिरावट दर्ज की गई है।

यहां के भी हालात हैं चिंताजनक, चेतने की जरूरत

घोरावल, राबटर्सगंज, दुद्धी, म्योरपुर और बभनी ब्लाक की स्थिति चिंताजनक पाई गई है। राबटर्सगंज में जहां शहरी एरिया में दिन ब दिन भूजल की स्थिति क्रिटिकल होती जा रही है। वहीं, दुद्धी, म्योरपुर, बभनी ब्लाक में फ्लोराइड के अत्यधिक प्रभाव के चलते शुद्ध पेयजल की उपलब्धता बड़ा मसला तो है ही, 94 स्थलों पर लगाए गए आरओ प्लांट भी, वाटर रिचार्जिंग से जुड़े न होने के कारण, भूजल दोहन का बड़ा केंद्र बने हुए हैं।

नहीं चेते तो हालात होंगे भयावह

बताया जा रहा है कि सोनभद्र की 80 प्रतिशत अर्बन आबादी भूजल पर आधारित है। 81 प्रतिशत सिंचाई व्यवस्था भी भूजल पर टिकी हुई है। 70 प्रतिशत घरों में पेयजल एवं अन्य जरूरतों के लिए भूजल का प्रयोग किया जा रहा है। ऐसे में जो हालात हैं अगर इसको लेकर सतर्कता नहीं बरती गई तो आने वाला समय काफी संकट भरा साबित हो सकता है।

जलस्तर सुधार के लिए जनजागरूकता जरूरी

वरिष्ठ भूभौतिकविद्/भूगर्भ जल विभाग मिर्जापुर मंडल के नोडल अधिकारी स्वप्निल कुमार राय भी हालात पर चिंता जाहिर करते हैं। बताते हैं कि जलस्तर की गिरावट रोकने के लिए जरूरी है कि पानी का बेतहाशा दोहन रोकने के साथ ही, कम से कम पानी के उपयोग पर ध्यान देना होगा। सभी को वर्षा जल संचयन प्रणाली (रेन वाटर हार्वेस्टिंग) के प्रजि जागरूकता दिखानी होगी। स्थिति को देखते हुए, सोनभद्र में यूपी भूजल अधिनियम को प्रभावी बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है।

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