Sonbhadra News: सवर्ण युवक की पिटाई मामला: चक्काजाम को लेकर FIR पर उठे विरोध के स्वर, बीजेपी-सपा नेता सहित 14 नामजद

Sonbhadra News: सवर्ण समाज के युवक की पेड़ से बांधकर पिटाई किए जाने के मामले को लेकर ब़ढ़ौली चौक पर किए गए धरना-प्रदर्शन और सांकेतिक चक्काजाम के मामले में पुलिस की कार्रवाई पर विरोध के स्वर उठने लगे हैं।

Update: 2024-07-24 14:05 GMT

Sonbhadra News (Pic: Newstrack)

Sonbhadra News: राबटर्सगंज कोतवाली क्षेत्र के ऊंचडीह गांव में सवर्ण समाज के युवक की पेड़ से बांधकर पिटाई किए जाने के मामले को लेकर ब़ढ़ौली चौक पर किए गए धरना-प्रदर्शन और सांकेतिक चक्काजाम के मामले में पुलिस की कार्रवाई पर विरोध के स्वर उठने लगे हैं। एक तरफ जहां पुलिस की एफआईआर में तीन से चार घंटे तक राजमार्ग जाम करने के आरोप पर सवाल उठाए गए हैं। वहीं, धरना-प्रदर्शन-सांकेतिक चक्काजाम के 15 दिन बाद एफआईआर को सियासी दांव-पेंच से जोड़कर देखा जा रहा है।

यह था मामला, जिसको लेकर उठी थी आवाज

बताते चलें कि गत तीन जुलाई को एक वीडियो वायरल हुआ था। उसमें राबटर्सगंज कोतवाली क्षेत्र के ऊंचडीह गांव निवासी अमितेश पांडेय पुत्र सुनील पांडेय की, उसी गांव के दलित समाज के व्यक्तियों द्वारा पेड़ से बांधकर पिटाई के दृश्य ने ब्राह्मण समाज को उद्वेलित कर दिया था। घटना के विरोध में जहां चार जुलाई को कोतवाली का घेराव करते हुए आवाज उठाई गई थी। वहीं, छह जुलाई को सर्वदलीय समाज की ओर से बढ़ौली चौक पर घंटों घरना-प्रदर्शन किया गया था। सांकेतिक चक्काजाम करते हुए भी मामले में गंभीर अपराध की धाराएं बढ़ाने और सभी आरोपियों के गिरफ्तारी की मांग की गई थी। एडीएम सहदेव मिश्र और एएसपी ऑपरेशन त्रिभुवन त्रिपाठी ने 76 घंटे के भीतर नामजद तीसरे बालिग आरोपी की गिरफ्तारी, आईटी एक्ट सहित अन्य धाराओं की बढोत्तरी का भरोसा दिया गया जिसके बाद धरना-प्रदर्शन समाप्त कर दिया गया।

15 दिन बाद 14 नामजद, 20 अज्ञात के खिलाफ दर्ज हुआ केस

तीसरे आरोपी की गिरफ्तारी के बाद मामला शांत हो गया लेकिन अचानक से 22 जुलाई को प्रभारी निरीक्षक राबटर्सगंज की तरफ से चार भाजपा-सपा नेताओं सहित 14 के खिलाफ नामजद और 20 अज्ञात के खिलाफ धारा 144 के उल्लंघन तथा वाराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग जाम करने के आरोप में दर्ज कराए गए केस ने मामले को एक बार फिर से गरमाकर रख दिया।

एफआईआर से बढ़ेगा तनाव, क्लोज किया जाए मामला: विनोद

सोनभद्र बार एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री विनोद कुमार शुक्ल ने कहा कि मामला शांत होने के 15 दिन बाद एफआईआर दर्ज किया जाना कहीं से उचित नहीं है। इससे समाज के दो वर्गों में तनाव की स्थिति बनेगी। वहीं, शांतिप्रिय तरीके से आवाज उठाने वालों के खिलाफ कार्रवाई एक गलत संदेश देगी।

राजनीतिक द्वेष-दबाव का नतीजा है प्राथमिकी: सूर्यप्रकाश

पूर्वांचल नव निर्माण मंच के महासचिव सूर्य प्रकाश चौबे ने कहा कि यह प्राथमिकी राजनीतिक द्वेष और दबाव का नतीजा है। इसमें पुलिस की कार्यशैली और मंशा सवालों के घेरे में है। आखिरी ऐसी क्या वजह बन गई कि फ्लाईओवर के जरिए हाइवे पर होना धरना-प्रदर्शन के दौरान निर्बाध गति से जारी रहने के बावजूद हाइवे पर चक्काजाम दर्शात हुए, छह जुलाई के मामले में 15 दिन बाद, प्राथमिकी दर्ज करनी पड़ी।

पक्षपातपूर्ण कार्रवाई को लिया जाए वापस: अखिलेश

संयुक्त अधिवक्ता मंच उत्तर प्रदेश के महासचिव अखिलेश मिश्रा ने कहा कि पुलिस की यह कार्रवाई सवर्ण समाज के प्रति पक्षपातपूर्ण कार्रवाई है। एक तरफ जहां पीड़ित परिवार को समुचित न्याय मिलना चािहए था। ऐसे गंभीर मामले में आरोपियों पर कडी कार्रवाई की जानी चाहिए थी लेकिन ऐसा न कर मामले को लेकर आवाज उठाने वालों पर ही कार्रवाई कर, सवर्ण समाज के आवाज को दबाने की कोशिश की गई है। उन्होने कहा कि कार्रवाई वापस ली जानी चाहिए।

प्रशासन के लचीले रवैए से लादे गए मुकदमे

भाजपा नेता संदीप मिश्रा ने एफआईआर को गलत ठहराया है। कहा है कि ऊंचडीह और सिलथरी दोनों मामले में, जो जनाक्रोश उपजा वह कहीं न कहीं प्रशासन के लचीले रवैए का परिणाम था। निर्दोष व न्याय की गुहार लगाने वालों पर जो मुकदमे लादे गए हैं उसे अविलंब विलोपित किया जाना चाहिए।

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