Sonbhadra News: कनहर विस्थापितों के मसले पर डीएम लेंगे एक्शन, एनएचआरसी ने निर्णय लेने के लिए जारी किया निर्देश

Sonbhadra News: सोमवार को पारित किए गए निर्देश के बाद अब सभी की निगाहें जिला प्रशासन की तरफ से होने वाली पहल पर टिक गई हैं।

Update:2023-08-21 18:29 IST
DM will decide on Kanhar displaced NHRC issued instructions

Sonbhadra News: सपा सरकार में कनहर विस्थापितों को लेकर लागू की गई वर्ष 2014 की पालिसी का दंश झेल रहे विस्थापितों के दर्द की सुनवाई और इसको लेकर समुचित निर्णय डीएम स्तर से लिया जाएगा। इसको लेकर सुनवाई कर रहे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की तरफ से डीएम को उचित निर्णय लेने का निर्देश पारित किया गया है। सोमवार को पारित किए गए निर्देश के बाद अब सभी की निगाहें जिला प्रशासन की तरफ से होने वाली पहल पर टिक गई हैं।

कनहर आंदोलन में लगाए गए मुकदमे अभी तक वापस नहीं किए गए

बताते चलें कि आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के महासचिव दिनकर कपूर की तरफ से राष्ट्रीय मानवाधिकार को पत्र भेज विस्थापितों के मामले में हस्तक्षेप की गुहार लगाई गई थी। आयोग के चेयरमैन के नाम भेजे गए पत्र में अवगत कराया गया था कि सैकड़ों विस्थापित बिना विस्थापन पैकेज पाए ही अपनी जमीन से बेदखल हो गए हैं। विस्थापित कॉलोनी में सुविधाओं का अभाव है। जिन विस्थापितों की वारिस एक मात्र लड़कियां हैं, उन्हें राजस्व संहिता में उत्तराधिकार का अधिकार होने के बावजूद विस्थापन पैकेट के लाभ से वंचित कर दिया गया है। प्रपत्र 3 व 11 में दर्ज विस्थापितों और जलमग्न टापू में रहने वाले लोगों को भी विस्थापन सूची में सम्मिलित नहीं किया गया। कनहर आंदोलन में लगाए गए मुकदमे भी अभी तक वापस नहीं किए गए हैं, जिसके चलते बुजुर्गों पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।

पहले मिला जमीन का नाममात्र मुआवजा, 2014 की पालिसी ने कर दिया वंचित

बताते चलें कि एक तरफ कनहर परियोजना ने जहां निर्माण पूर्ण होने के करीब पहुंचने में 46 साल लगा दिए। वहीं, विस्थापन की अलग-अलग पालिसी ने भी यहां के लोगों को खासा दर्द पहुंचाया। बताते हैं कि सबसे पहले यहां 1982-84 के बीच विस्थापन पालिसी लागू की गई, जिसमें जमीन के बदले 1800 से 2000 बीघे मुआवजा थमाया गया। वहीं वर्ष 2014 में मुआवजे की नई पालिसी लागू कर, जमीन का मुआवजा पाने वाले लोगों को मकान के एवज में मिलने वाले विस्थापित लाभ से वंचित तो किया ही गया, बेटियों को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के हो रहे दावे के बीच, जिनको बेटे नहीं थी, उनकी बेटियों को पिता का उत्तराधिकारी मानने से इंकार कर दिया गया है।

निर्देश के साथ एनएचआरसी ने किया केस निस्तारित

बताते हैं कि केस के रूप में दर्ज किए गए इस प्रकरण की सोमवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सुनवाई की और डीएम को उचित निर्णय लेने का निर्देश जारी करते हुए, केस निस्तारित कर दिया।

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