Sonbhadra News: महिला सशक्तिकरण से जुड़े विभाग में फर्जीवाड़े से हड़कंप, फकीर.. समिति की वैधता पर भी सवाल, जांच के निर्देश
Sonbhadra News: जिला मुख्यालय पर राज्य महिला आयोग की सदस्य नीलम प्रभात की तरफ से आयोजित की गई जनसुनवाई में यह मसला खासा छाया रहा। वन स्टाप सेंटर से जुड़़े लोगों के बीच सिर्फ नोंकझोंक ही नहीं हुई।
Sonbhadra News: चार दिन पूर्व जिले के दौरे पर आईं राज्य महिला आयोग की सदस्य नीलम प्रभात के संज्ञान में आए, फर्जीवाड़े के बाद, महिला सशक्तिनगर से जुड़े विभाग में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। ताजा मामला यहां के वन स्टाप सेटर से जुड़ा हुआ है। यहां दो कार्मिकों की नियुक्ति के बाद, जहां थर्ड पार्टी के जरिए जिले में हुई अब तक की सभी नियुक्तियों के जांच की मांग उठने लगी है।
वहीं, प्रकरण में महिला आयोग की सदस्य की तरफ से डीपीओ को दिए गए प्रकरण की विस्तृत जांच के निर्देश के बाद, जहां संबंधितों में बेचैनी की स्थिति है। वहीं, नियुक्ति देने वाली थर्ड पार्टी यानी संबंधित संस्था की वैधता पर भी सवाल उठाए जाने लगे हैं। फिलहाल, जांच कहां तक पहुंचेगी, यह अभी कहना मुश्किल है लेकिन जिस तरह से आयोग की सदस्य का कहना है कि जांच छोटे स्तर पर नहीं रहने वाली है.. इसके बड़े मायने निकाले जा रहे हैं।
जनसुनवाई के दौरान छाया रहा यह मसला, खूब हुई नोंकझोंक
बताते चलें कि थर्ड पार्टी के जरिए वन स्टाप केंद्र में होने वाली नियुक्ति में दो कार्मिकों से जुड़े कागजातों में गड़बड़ी पाए जाने के बाद, जहां यह मसला जिले में तेजी से सुर्खियां बटोरता जा रहा है। वहीं, पिछले सप्ताह जिला मुख्यालय पर राज्य महिला आयोग की सदस्य नीलम प्रभात की तरफ से आयोजित की गई जनसुनवाई में यह मसला खासा छाया रहा। वन स्टाप सेंटर से जुड़़े लोगों के बीच सिर्फ नोंकझोंक ही नहीं हुई, बल्कि प्रशासक पर पांच हजार मांगे जाने का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी गई। कुछ कार्मिकों पर कई दिन गायब रहने, पूरे माह का वेतन उठाने का आरोप लगाया गया। नोंकझोंक इतनी बढ़ गई कि खुद सदस्य नीलम प्रभात को मामला शांत कराने के लिए आगे आना पड़ा ।
जानिए क्या कहना है आयोग की सदस्य का और क्या दिए गए हैं निर्देश
राज्य महिला आयोग की सदस्य नीलम भगत ने कहा कि कुछ बातें संज्ञान में आई है। पूरी तरह से जितने स्टाप यहां काम कर रहे हैं, सभी के अभिलेखों की जांच की जानी चाहिए। जिस एजेंसी ने यहां कार्मिकों को काम करने के लिए भेजा वह एजेंसी ही फर्जी प्रतीत हो रहा है। उन्होंने खुले मन से स्वीकार किया कि भारी अनियमतिता बरती जा रही है। कहा कि प्रकरण से जुड़ी फाइल जांच-कार्रवाई के लिए डीपीओ को दी गई है। वह भी नजर बनाए हुए हैं।
कथित फकीर.. समिति की वैधता पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि एक तरफ संस्था नियुक्ति देता है फिर हटा देती है। जिम्मेदारों से बात करने पर कहा जाता है कि उन्होंने नहीं पता। नियुक्त किए जाने कार्मिक संस्था में कब पंजीकृत किए गए, कब रोजगार मांगने पहुंचे, इसकी भी कोई जानकारी उपलब्ध नही कराई जा रही। कहा कि इन सारे पहलुओं पर जांच होनी है और यह जांच बहुत छोटी नहीं है...।