Sonbhadra News: हड़पा जा रहा आउटसोर्सिंग कर्मियों के मेहनताने का बड़ा हिस्सा, खाते से रकम निकलवाने का भी आरोप

Sonbhadra News: शक्तिनगर थाना क्षेत्र के रेहटा गांव निवासी किसमतिया, बृजेश, नेहरू ने शुक्रवार को कार्मिक विभाग में उपलब्ध कराए गए शिकायती पत्र में कहा गया है कि कथित कंपनी प्रभा कांटीनिवल सर्विसेस के माध्यम से काम करने वाले कर्मियों का पिछले कई महीनो से आर्थिक शोषण किया जा रहा है।

Update:2024-10-05 18:11 IST

Sonbhadra News: एनसीएल के कृष्णशिला प्रोजेक्ट से जुड़ी आउटसोर्सिंग कंपनी प्रभा कांटीनिवल सर्विसेस एक बार फिर से सुर्खियों में है। पूर्व में जहां एटीएम और पासबुक रखकर, खाते में आने वाले मेहनताने का एक बड़ा हिस्सा एटीएम तथा ऑनलाइन माध्यम से ले लिए जाने का आरोप लगाया गया था। वहीं, मामला मीडिया में आने के बाद, एटीएम लौटाते हुए, काम करने वाले कर्मियों पर खाते से मेहनताना निकालकर सौंपने का दबाव बनाए जाने, इंकार पर नौकरी से निकाले जाने का बड़ा आरोप लगाया गया है। मामले में कृष्णशिला कोल प्रोजेक्ट के महाप्रबंधक को शिकायती पत्र सौंपकर हस्तक्षेप की गुहार लगाई गई है।

शक्तिनगर थाना क्षेत्र के रेहटा गांव निवासी किसमतिया, बृजेश, नेहरू ने शुक्रवार को कार्मिक विभाग में उपलब्ध कराए गए शिकायती पत्र में कहा गया है कि कथित कंपनी प्रभा कांटीनिवल सर्विसेस के माध्यम से काम करने वाले कर्मियों का पिछले कई महीनो से आर्थिक शोषण किया जा रहा है। अगस्त 2023 में कंपनी के दो सुपरवाइजरों की तरफ से सभी कर्मियों के नाम सिम जारी कराते हुए बैढ़न स्थित पीएनबी शाखा में खाता खोलवाया गया और सिम सहित बैंक दस्तावेज (पासबुक व एटीएम) अपने पास रख लिया गया। इसके बाद खाते में आने वाले मेहनताने को कर्मियों की बगैर जानकारी के एटीएम से निकालने का क्रम शुरू कर दिया गया। नवंबर माह में जब कर्मियों ने इसको लेकर तीखा विरोध दर्ज कराया तब एटीएम तो वापस किया गया लेकिन दबाव बनाते हुए ऑनलाइन तरीके से या खाते से निकलवा कर पैसे लेने का क्रम जारी रहा। आरोप है की मेहनताने के तौर पर प्रति माह आने वाली लगभग ₹30,000 में से लगभग ₹10,000 ही खाते में छोड़े जा रहे हैं।

पैसे की निकासी से किया इनकार तो नौकरी से कर दिया गया बाहर

शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि अगस्त 2024 के मेहनताने में से 20,000 निकाल कर दिए जाने का दबाव बनाया गया। जब उन लोगों ने इनकार किया तो उन्हें काम करने से रोक दिया गया। इस प्रकरण को लेकर स्टाफ ऑफिसर कार्मिक प्रवीण मिश्रा से जानकारी चाही गई तो उनका फोन पर कहना था कि उन्हें ऐसे किसी भी मामले या शिकायत की जानकारी नहीं है। बताते चलें कि इस तरह के मामले को लेकर पूर्व में भी आउटसोर्सिंग कंपनियों के खिलाफ काम करने वाले संविदा कर्मियों और विस्थापितों की तरफ से आवाज उठाई जा चुकी है लेकिन इस तरह की शिकायतें अभी भी बनी हुई हैं। फिलहाल सच्चाई क्या है? यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा लेकिन जिस तरह से मामले पर आउटसोर्सिंग कंपनियों के जिम्मेदारों के साथ ही एनसीएल से जुड़े अफसरों की चुप्पी सामने आ रही है उससे तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है।

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