खाद की कालाबाजारी, धान खरीद में बिचौलियागिरी पर लगाई जाए रोक, भाकपा-किसान सभा ने उठाई आवाज

Sonbhadra News: किसान नेताओं का कहना था कि क्रय केंद्र संचालकों और आढ़तियों के बीच सांठ-गांठ के चलते धान खरीद में भी किसानों को चूना लगाने का क्रम शुरू हो गया है।

Update:2024-11-18 18:17 IST

धान खरीद में बिचौलियागिरी पर लगाई जाए रोक (न्यूजट्रैक)

Sonbhadra News: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और उत्तर प्रदेश किसान सभा की तरफ से डीएपी सहित अन्य उर्वरकों की कालाबाजारी और धान खरीद में बरती जाने वाली गड़बड़ी और बिचौलियागिरी पर रोक लगाने की मांग की गई है। इसको लेकर सोमवार को एक प्रतिनिधिमंडल कलेक्ट्रेट पहुंचा और मौजूद मिले एडीएमए (नमामि गंगे) रोहित यादव को राष्ट्रपति व राज्यपाल के नाम संबोधित ज्ञापन सौंप कड़े कदम उठाए जाने की मांग की।

घंटों कतार के बाद भी किसानों को होना पड़ रहा मायूस

भाकपा के जिला सचिव आरके शर्मा, किसान सभा के जिला संयोजक रामरक्षा, शिवमंगल प्रसाद, बसावन गुप्ता, देव कुमार विश्वकर्मा, विरेंद्र सिंह गोंड, जोगेंद्र सिंह, राजेंद्र प्रसाद, नागेंद्र प्रसाद आदि का कहना था कि अन्नदाता कहे जाने वालों को रबी की बोआई में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें डीएपी सहित अन्य खाद उपलब्ध नहीं करा पा रही है। खाद के लिए किसानों को कई घंटे सहकारी समितियों के सामने लाइन लगाकर खड़ा होना पड़ रहा है। बावजूद कई बार पिछले दरवाजे से खाद गायब हो जा रही है और कतार में खड़े किसानों को मायूस होकर वापस लौटना पड़ रहा है। इसके चलते किसानों को बाहर से अधिक कीमत पर खाद खरीदनी पड रही है।

आढ़तियों से सांठ-गांठ किसानों को लगा रही चूना

किसान नेताओं का कहना था कि क्रय केंद्र संचालकों और आढ़तियों के बीच सांठ-गांठ के चलते धान खरीद में भी किसानों को चूना लगाने का क्रम शुरू हो गया है। इस वर्ष पहले सूखा और फिर बाढ़ से धान की पैदावार जहां औसत से कम हुई है। वहीं, अब सरकारी क्रय केंद्रों पर खरीदें जाने वाले धान को आढ़तिए ( बिचौलिए) किसानों से कम मूल्य पर खरीद कर क्रय केंद्र पर बेचकर मुनाफा कमाने में जुटे हुए हैं। वहीं, क्रय केंद्र पर सीधे पहुंचने वाले किसानों को परेशान होना पड़ रहा है। बिचौलिए आसानी से इसका फायदा उठाने में जुटे हुए हैं।

इन-इन मांगों पर दिया गया प्रमुखता से जोर

- क्रय-विक्रय सहकारी समितियों पर हो रहे भ्रष्टाचार और दलाली की कथित परंपरा पर रोक लगाते हुए किसानों को सुगम तरीके से पर्याप्त मात्रा में डीएपी सहित अन्य खाद व बीज उपलब्ध कराया जाए।

- मच्छरजनित रोगों से मुक्ति के लिए शहरों और गांवों में कीटनाशक दवाओं का वास्तविक रूप से छिड़काव और युद्ध स्तर पर स्वच्छता अभियान चलाया जाए।

- मनरेगा मजदूरी 600 रुपए प्रतिदिन करते हुए दो सौ दिन के काम की गारंटी दी जाए।

- बड़ी सिंचाई परियोजनाएं का विस्तार करते हुए किसानों को कटौती मुक्त पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराई जाए।

- अवैध-खनन परिवहन पर रोक लगाते हुए, इस पर अंकुश के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं।

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