Sonbhadra: लघु सिंचाई विभाग 193 स्थलों पर कराएगा चेकडैम का निर्माण, तकनीकी समिति में आया प्रस्ताव

Sonbhadra: जिलाधिकारी ने अधिशासी अभियन्ता (लघु सिंचाई) को निर्देशित किया कि स्वीकृति के लिए प्रेषित कार्यों का स्थलीय सत्यापन, जनपद स्तरीय अधिकारी और खंड विकास अधिकारी के माध्यम से सुनिश्चित कराया जाए।

Update: 2024-08-22 11:58 GMT

लघु सिंचाई विभाग 193 स्थलों पर कराएगा चेकडैम का निर्माण (न्यूजट्रैक)

Sonbhadra News: जिले में किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने और भूजल रिचार्ज की दृष्टि से लघु सिंचाई विभाग की तरफ से वित्तीय वर्ष-2024-25 में मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना के अंतर्गत ऐनीकट (चेकडैम) निर्माण के लिए 193 स्थलों का प्रस्ताव तैयार किया गया है। दो दिन पूर्व जिला स्तरीय जिला स्तरीय तकनीकी समन्वय समिति (टीसीसी) की कलेक्ट्रेट के जन सुनवाई कक्ष में हुई बैठक में अधिशासी अभियंता लघु सिंचाई खंड की तरफ से इसका प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया गया। इसको गंभीरता से लेते हुए, बैठक की अध्यक्षता कर रहे जिलाधिकारी बीएन सिंह ने प्रस्तावित सभी स्थलों का सत्यापन कराए जाने का निर्देश दिया है।

जिलाधिकारी ने अधिशासी अभियन्ता (लघु सिंचाई) को निर्देशित किया कि स्वीकृति के लिए प्रेषित कार्यों का स्थलीय सत्यापन, जनपद स्तरीय अधिकारी और खंड विकास अधिकारी के माध्यम से सुनिश्चित कराया जाए। डीएम ने इस बात की हिदायत दी कि सत्यापन के उपरान्त ही कार्यों की स्वीकृति प्रदान की जाएगी।

रूफटॉप-रेन वाटर हार्वेस्टिंग का भी आया प्रस्ताव

तकनीकी समिति के सामने शासकीय/अर्धशासकीय भवनों पर रूफटॉप और रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना के लिए भी 35 स्थलों के प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। डीएम बीएन सिंह ने इन कार्यों के प्रस्ताव का भी स्थलीय सत्यापन करने के निर्देश दिए।

जानिए किसे कहते हैं ऐनीकट

ऐनीकट एक तरफ से छोटी नदी और नालों पर बोल्डरों से निर्मित किए जाने वाला चेकडैम है। इसका उद्देश्य किसानों को सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता, मवेशियों व अन्य जीवों के लिए पानी के लिए उपलब्धता तथा भूजल रिचार्जिंग है। चूंकि पूर्व के वर्षों में सोनभद्र में चेकडैम को लेकर जहां काफी घपलेबाजी सामने आ चुकी है। वहीं, लघु सिंचाई विभाग से भी निर्मित चेकडैमों पर कई बार सवाल उठाए जा चुके हैं। स्थल चयन और उसकी उपयोगिता भी सवालों के घेरे में रही है। एक ही कार्य को अलग-अलग समय में दिखाए जाने की भी शिकायत मनरेगा घोटाले की जांच के दौरान सामने आ चुकी है। ऐसे में डीएम की तरफ से स्थल चयन और कार्य की उपयोगिता दोनों की दृष्टि से दिए गए सत्यापन आदेश को खासा महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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