Sonbhadra News: एनजीटी ने खदानों के बंदी पर तलब की रिपोर्ट, कहा-एक माह में उपलब्ध कराएं रिस्पांस

Sonbhadra News: न्यूजट्रैक की खबर का स्वतः संज्ञान लेते हुए, जहां एनजीटी की ओर से, यूपीपीसी की तरफ से गत 10 जनवरी 2024 को बंदी आदेश जारी होने के बाद भी अब तक उसे प्रभावी न बनाने के मसले को लेकर सुनवाई जारी है।

Update: 2024-07-13 14:05 GMT

 Sonbhadra News (Pic: Newstrack)

Sonbhadra News: जिले में बगैर वायु प्रदूषण नियंत्रण एनओसी के संचालित खदानों के बंदी को लेकर एक माह में रिपोर्ट तलब की गई है। न्यूजट्रैक की खबर का स्वतः संज्ञान लेते हुए, जहां एनजीटी की ओर से, यूपीपीसी की तरफ से गत 10 जनवरी 2024 को बंदी आदेश जारी होने के बाद भी अब तक उसे प्रभावी न बनाने के मसले को लेकर सुनवाई जारी है। वहीं, यूपीपीसीबी और डीएम की ओर से, खदानों की बंदी के लिए टीम गठन की जानकारी दिए जाने के बाद, आदेश के क्रियान्वयन/रिस्पांस को लेकर एक माह के भीतर रिपोर्ट तलब की है। अब मामले में अगली सुनवाई 21 अगस्त 2024 को की जाएगी।

गत 11 जुलाई को एनजीटी की न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की अगुवाई वाली बेंच ने मामले की सुनवाई की। पाया कि यूपीपीसीबी, सीपीसीबी और डीएम की रिपोर्ट की तरफ जो रिपोर्ट सौंपी गई है, उसमें बताया गया है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जिन आठ पत्थर खदानों, को यूपीपीसीबी की तरफ से गत 10 जनवरी को बंदी का आदेश जारी किया गया था। उनको लेकर, वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 (यथासंशोधित) की धारा 31-ए के तहत जारी आदेश के अनुपालन के लिए गत एक जुलाई को डीएम चद्रविजय सिंह की तरफ से टीम गठित कर, बंदी के आदेश को प्रभावी बनाने के निर्देश दिए हैं।

प्रभारी खनन अधिकारी, ज्येष्ठ खान अधिकारी और एसडीएम सदर की मौजूदगी वाली टीम गठित करते हुए, डीएम ने निर्देशित किया है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण में उक्त प्रकरण में आच्छादित प्रश्नगत आठ पत्थर खनन परियोजनाओं की अविलंब बंदी सुनिश्चित करते हुए खनिज का खनन/परिवहन कार्य प्रतिबंधित कर अधोहस्ताक्षरी को सूचित करें और उसकी सूचना यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, लखनऊ को प्रेषित किये जाने वाले पत्रालेख के साथ उनके समक्ष प्रस्तुत करें।

एनजीटी ने इनसे - इनसे तलब किया रिस्पांस

अब एनजीटी ने एक माह के भीतर बंदी के आदेश के प्रभावी अनुपालन से संबंधित रिपोर्ट तलब की है। इसके लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ के उप महानिदेशक, यूपीपीसीबी बोर्ड के सदस्य सचिव, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव और डीएम से रिस्पांस रिपोर्ट मांगी गई है।

इन-इन खदानों से जुड़ा है मसला

बताते चलें कि यह मसला मेसर्स विंदुमती देवी सिरसिया ठकुरई, तहसील राबर्ट्सगंज, माइनिंग प्रोजेक्ट डोलो स्टोन (गिट्टी, बोल्डर) आराजी संख्या-7536ग मि. खण्ड संख्या-2 (लीज एरिया 4 हे०) बिल्ली मारकुण्डी, तहसील ओबरा, मेसर्स अजय कुमार सिंह-मेसर्स एकेएस इंडस्ट्रीज गाटा नंबर 02ग, जाता जुआ, तहसील दुद्धी, मेसर्स अजय कुमार सिंह, बिल्ली मारकुण्डी, स्टोन गिट्टी / बोल्डर डोलोस्टोन माइनिंग प्रोजेक्ट, अरून सिंह यादव से जुड़े मेसर्स महादेव इंटरप्राइजेज गाटा नंबर 4949ख, बिल्ली मारकुंडी, ओबरा (5.880 हेक्टेयर), अभिषेक कुमार सिंह से जुड़े मेसर्स उन्नति इंजीनियरिंग सैंड/ मोरम माइनिंग सोन रिवर गाटा नंबर 221छ, ससनई, तहसील ओबरा, राजीव कुमार शर्मा आराजी संख्या 4478छ, बिल्ली-मारकुण्डी, ओबरा, (1.80 हेक्टेअर) मेसर्स अमित मित्तल, आराजी नंबर 5593क, बिल्ली मारकुंडी, ओबरा से जुड़ा और इन खदानों को बगैर सीटीओ/सीटीई संचालन के कारण बंदी के निर्देश जारी किए गए हैं।

सख्ती के बाद सीटीओ जारी कर संचालन वैध बनाने की कोशिश

बताते चलें कि जिन खदानों की बंदी के निर्देश प्रभावी बनाने की हिदायत दी गई है, उनको एनजीटी की सख्ती के बाद, अब जाकर यूपीपीसीबी की तरफ से सीटीओ/सीटीई प्रमाण पत्र जारी कर वैध ठहराने की कोशिश हो रही है। दिलचस्प मसला यह है कि जब इस मसले पर खान अधिकारी शैलेंद्र सिंह से फोन पर बात की गई तो उनका कहना था कि बंदी आदेश जारी होने के पहले ही सभी खदानों को सीटीओ/सीटीई निर्गत किया जा चुका है। वह इसको लेकर आख्या भी दे चुके हैं।

विभागीय आंकड़े बयां कर रहे, कागजी खेल की कहानी

जबकि विभागीय वेबसाइट पर प्रदर्शित किए जाने वाले आंकड़े बताते हैं कि प्रश्नगत खदानों में एक को यूपीपीसीबी की तरफ से जारी बंदी आदेश के बाद, जबकि एक खदान को डीएम की ओर से जारी बंदी आदेश के बाद सीटीओ/सीटीई प्रमाणपत्र निर्गत किया गया है। महादेव इंटरप्राइजेज सहित शेष खदानों को लेकर अभी कोई सीटीओ-सीटीई प्रमाण पत्र जारी नहीं है। बावजूद जिस तरह से बेरोकटोक खदानों का संचालन और बंदी आदेश को बगैर प्रभावी बनाए ही, जिस तरह से धीरे-धीरे प्रमाणपत्र जारी कर, खदानों को ठहराने की कोशिश हो रही है, उससे पर्यावरण संरक्षण से जुड़े अफसरों की मंशा और कार्यशैली दोनों पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इसको लेकर प्रभारी क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी उमेश कुमार गुप्ता से संपर्क का काफी प्रयास किया गया लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला।

Tags:    

Similar News