Sonbhadra News: तेजी से फेफड़ों की बीमारी बढ़ा रहा प्रदूषण, तीव्र श्वसन रोग के साथ फ्लोरोसिस का बढ़ता जा रहा प्रभाव
Sonbhadra news: सीएचसी को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके मुताबिक दुद्धी सीएचसी में वर्ष 2022-23 में उपचार के दौरान फेफड़ा रोगियों की संख्या 271 ओर वर्ष 2023-24 में 102 पाई गई है
Sonbhadra News: गंभीर प्रदूषित क्षेत्र के रूप में चिन्हित सोनभद्र में गहराते वायु प्रदूषण के चलते प्रदूषणजनित बीमारियों का ग्राफ तेजी से बढ़ना शुरू हो गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से कराए गए प्राइमरी सर्वे और सरकारी चिकित्सा केंद्रों के जरिए जुटाई गई जानकारी में जो आंकड़े सामने आए हैं, वह जिले की बिगड़ती आबोहवा के साथ लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ते असर को बयां तो कर ही रहे हैं। भविष्य को लेकर बड़ी चिंता का संकेत/चेतावनी भी दे रहे हैं।
सीबीसीबी की विशेष टीम ने जुटाई थी जानकारियां-आंकड़े
एनजीटी के निर्देश के क्रम में सीपीसीबी की तरफ से क्षेत्रीय निदेशालय, लखनऊ वैज्ञानिक-ई कमल कुमार और आरए धर्मनाथ प्रजापति की मौजूदगी वाली टीम गठित की गई थी। इस टीम ने 06-07 मार्च को सोनभद्र का दौरा कर जहां सतही और भूजन स्रोतों की जानकारी के लिए 11 जगहों से नमूने उठाए थे। वहीं, तीन मई 2024 को क्षेत्रीय अधिकारी यूपीपीसीबी के जरिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) से फेफड़ों की बीमारी और फ्लोरोसिस के संदर्भ में डेटा उपलब्ध कराने के लिए कहा गया था।
सामने आई रिपोर्ट तो बीमारियों को लेकर यह दिखी स्थिति
जिला अस्पताल: सीएमओ की तरफ से जिला अस्पताल से जुड़ी सीपीसीबी को जो रिपोर्ट उपलब्ध कराई गई है, उसके मुताबिक अप्रैल 2022 से अप्रैल 2024 के बीच 1692 तीव्र श्वसन रोगी उपचार के दौरान चिन्हित किए गए। वहीं, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) यानी फेफड़ों संबंधी बीमारी के मामले वर्ष 2022-23 में 13 और वर्ष 2023-24 में 26 मामले दर्ज किए गए। सीपीसीबी की ओर से एनजीटी में दाखिल रिपोर्ट में बताया गया कि 2024-24 के दौरान इसमें तेज वृद्धि सकती है। इसको लेकर कहा गया है कि महज मार्च और अप्रैल-2024 में क्रमशः 118 और 56 सीओपीडी के मामले पंजीकृत हुए हैं।
सीएचसी के आंकड़े भी बयां कर रहे बिगड़ते हालात
सीएचसी को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके मुताबिक दुद्धी सीएचसी में वर्ष 2022-23 में उपचार के दौरान फेफड़ा रोगियों की संख्या 271 ओर वर्ष 2023-24 में 102 पाई गई है। इसी तरह वर्ष 2022-23 में फ्लोरोसिस के 95 और 2023-24 में फ्लोरोसिस के 96 मामले पाए गए हैं। सीएचसी म्योरपुर में वर्ष 2023-24 में उपचार के दौरान 14 फेफड़ा रोगी चिन्हित किए गए। वहीं, गंभीर फ्लोरोसिस के सर्वाधिक मामले (48) दर्ज किए गए। इसी तरह बिरला कार्बन की तरफ से कराए गए स्वास्थ्य परीक्षण में वर्ष 2022-23 में फेफड़े संबंधी रोगियों की संख्या छह ओर वर्ष 2023-24 में चार पाई गई है। वहीं, वर्ष 2022-23 में फ्लोरोसिस के मामले दो पाए गए हैं।
जिला अस्पताल में काम कर रही फ्लोराइड टेस्ट यूनिट: सीएमओ
सीएमओ डा. अश्वनी कुमार ने बताया कि जिला अस्पताल में फ्लोराइड टेस्ट यूनिट स्थापित की गई है। जिले में जहां इस तरह के केस चिन्हित होते हैं, उन मरीजों का जिला अस्पताल में फाइनल टेस्ट किया जाता है और दंत या कंकालीय फ्लोरोसिस के जिस तरह के लक्षण सामने आते हैं, उसके मुताबिक संबंधित को उपचार उपलब्ध कराया जाता है।
लंग्स फंक्शन टेस्ट के लिए जाना पड़ रहा बीएचयू
लंग्न फंक्शन टेस्ट की जिले में क्या व्यवस्था है, इसकी जानकारी चाहने पर सीएमओ को बताया कि शासन स्तर से सभी प्रोजेक्ट हास्पीटलों को लंग्स फंक्शन टेस्ट मशीन लगाकर, संबंधित इलाके के रोगियों को जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। फिलहाल जिले में इसकी कोई व्यवस्था न होने पर जिले स्तर पर भी लंग्स यानी फेफड़े के मरीज चिन्हित किए जाते हैं, उन्हें बीएचयू भेजकर जांच कराई जाती है।
नहीं चेते तो खासे बिगड़ सकते हैं हालात
सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी के संयोजक रामेश्वर प्रसाद कहते हैं कि जो हालात हैं, वह भविष्य में स्वास्थ्य संबंधी बड़े खतरे की तरफ संकेत कर रहे हैं। जरूरत है जिले में ही प्रदूषण प्रभावित रोगियों के लिए सभी जरूरी जांच और उपचार के व्यवस्था की। ऐसा न होने पर आगे चलकर, स्थिति खासी बिगड़ी नजर आ सकती है।